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खनन माफिया: जरायम की दुनिया के दबंग, प्रयागराज के करवरिया एंड संस

  • खुलेआम अवैध खनन करवाने के आरोप लगने के बाद खनन माफिया के सहयोगी डीएम को हटाया गया, बेलगाम खनिज अधिकारी अभी भी माल काट रहा
  • पेशेवर अपराधी व दबंग खनन माफिया करवरिया बन्धुओं का दशकों का है आपराधिक इतिहास
  • प्रयागराज में 1996 में चर्चित विधायक जवाहर पंडित उर्फ जवाहर यादव हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रहे करवरिया
  • दिनदहाड़े हुए विधायक जवाहर पंडित हत्याकांड में पहली बार AK47 जैसे खतरनाक असलहे के इस्तेमाल होने की पुष्टि हुई थी
  • इसके बाद 2007 में प्रयागराज के महेवा स्थित एक बालू घाट में कारोबारी विजय महरा की दिनदहाड़े हुई हत्या में भी इनका नाम चर्चा में आया था लेकिन दुश्मनी की डर से परिजनों की तरफ से एफआईआर न पंजीकृत करवाने पर बेदाग बचे

लखनऊ: उत्तरप्रदेश में भले ही सीएम योगी आदित्यनाथ अपराध व अपराधियों को खत्म करने के लिए तमाम सारे अभियान चला रहे हों लेकिन अभी भी ऐसे माफिया बचे हुए हैं जो कई दशकों से अपने काले कारनामों का साम्राज्य तो फैलाए हुए हैं लेकिन सत्तारूढ़ दल का कोई न कोई सदस्य का हांथ होने के चलते उनके खिलाफ कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हो पाती है।पेशेवर माफियाओं व अपराधियों की पूरी कुंडली तो लगभग सभी के पास होती ही है लेकिन हमें लगा कि शायद राजनीति का चोला ओढ़े हुए इन माफियाओं के बारे में शायद ही आपको कोई जानकारी हो।

दरअसल, हाल ही में हमने कौशाम्बी जनपद में जिस पेशेवर अपराधी व खनन माफिया के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है, वो करवरिया बन्धुओं का मामला है। ये सबको मैनेज करके चलने वाले माफिया हैं और ऊपर से अभी तक राजनीतिक चोला ओढ़े हुए थे। फिलहाल अब इनके पास कोई भी राजनीतिक पद नहीं है लेकिन इससे पहले ये जिला पंचायत अध्यक्ष, सांसद, विधायक, एमएलसी रह चुके हैं और मैनेजमेंट करके तमाम माफियागिरी वाले कार्यों में सदैव मुख्य धारा में बने रहे। इनकी एक और विशेषता रही कि ये तीनों भाई ये कभी भी एक पार्टी विशेष के नहीं रहे, ये अलग अलग पार्टियों में रहे और सत्तासीन पार्टी में एक्टिव नेता बनकर रहे। इससे पहले राजनीति में होने के कारण आज तक इनका नाम उस स्तर के अपराधियों में नहीं लिखा गया जबकि ये शार्प माइंड खूंखार पेशेवर ऐसे अपराधी हैं, जो घटना स्वयं कारित नहीं करते हैं बल्कि इनका अपना एक बड़ा नेटवर्क भी है। जिसमें देश व प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों के शूटर भी हैं। उन्हीं के बल पर ये लोग तमाम अनैतिक गतिविधियों को अंजाम तक पहुंचाने का काम करते हैं। इनके पिताजी से लेकर इनके बेटों तक की प्रवृत्ति में कोई बदलाव नहीं आया है, मतलब ये लोग पुश्तैनी माफिया हैं।

इन लोगों के पास पूर्व में शराब के बड़े कारोबार से लेकर, चीनी मिल जैसे कई बड़े कारोबार थे उसके बाद इन लोगों ने खुद को अपडेट करते हुए राजनीतिक पकड़ बनाई और काली कमाई का सबसे मुख्य अड्डा यानी बालू खनन को अपना मुख्य कारोबार बनाया। जिसमें इन्हीं के लोगों के मुताबिक बालू घाटों से बोरों में भरकर रुपए जाते थे जिसका न तो कोई टैक्स होता था और न ही कोई बिल होता था, शायद इसीलिए उन्होंने जरायम की दुनिया में स्वयं को एक बादशाह के तौर पर स्थापित भी कर लिया। इसके साथ ही इन लोगों ने प्रयागराज व कौशाम्बी में होटल, पेट्रोल पंप, कोल्ड स्टोर, जमीन के कारोबार के साथ ही कौशाम्बी के महेवाघाट थानांतर्गत रामनगर में प्राथमिक विद्यालय से लेकर नदी के किनारे तक गरीब बस्ती में अवैध कब्जा कर ऑफिस के नाम पर अपना झंडा बुलंद किया उसके बाद औने पौने दाम पर लोगों की जमीनें लिखवाया और आलम यह रहा कि लिखवाया 10 बिस्वा तो 2 बीघे में कब्जा किया। ये जहां भी खड़े हो जाते लोग दूर हटने को विवश हो जाते और उसके बाद परिणाम यह निकला कि जहां भी ये चाहते थे लोगों से उनकी जमीनों तक का बैनामा ले लेते थे। कौशाम्बी जनपद के महेवाघाट थानांतर्गत रामनगर में यमुना नदी के किनारे में बने ऑफिस और उसके आसपास एवं जमुनापुर मोड़ से ठीक आगे जिस जगह पर कोल्ड स्टोर बना हुआ है, वो जगह इसका जीता जागता प्रमाण है।

इसी कड़ी में राजधानी लखनऊ व नोएडा जैसे कई और महानगरों में भी कई सारे मकान, रेस्टोरेंट के अलावा कई सारी अघोषित संपत्तियां हैं। इन्हीं संपत्तियों के नशे में चूर होकर इन माफिया बन्धुओं ने आज तक किसी को भी सामने खड़ा होने तक की इजाजत नहीं दी, चाहे वो राजनीति हो या फिर बिजनेस, जिस भी जगह पर इनके सामने किसी ने आने का दु:साहस किया, इन्होंने उसे अपने पैसे व रसूख के चलते कहीं का नहीं छोंडा, या तो उसकी हत्या करवा दिया या फिर अपने गुर्गों से तब तक टॉर्चर करवाया, जब तक वो सरेंडर नहीं हुआ।

1996 में हुआ तत्कालीन विधायक जवाहर पंडित उर्फ जवाहर यादव हत्याकांड इसका सबसे बड़ा सबूत है, जिस मामले में भी इन लोगों ने अपनी पहुंच व रसूख के चलते मामले को 25 साल तक प्रभावित रखा, लेकिन 2017 में यूपी में योगी सरकार आने के बाद मामले की प्रभावी पैरवी हुई और 2019 में इन लोगों को उम्रकैद की सजा हुई, जिसके बाद भी इलाज के लिए पेरोल के नाम पर इन लोगों ने न सिर्फ खूब मनमानी की बल्कि कोर्ट को भी गुमराह किया लेकिन बीते साल हुए निकाय चुनाव के दौरान प्रयागराज, कौशाम्बी व चित्रकूट की अलग-अलग जगहों में चुनाव प्रचार करना इनके लिए घातक हुआ और मामले के एविडेंस कोर्ट पहुंचने पर कोर्ट ने फटकार लगाते हुए न सिर्फ इनका पेरोल कैंसिल किया बल्कि नैनी जेल प्रशासन को यह आदेश भी जारी किया कि अब इन लोगों को सारा इलाज जेल के अंदर ही मुहैया कराया जाए।

इसके साथ ही प्रयागराज के ही महेवा स्थित एक बालू घाट में 2007 में आस्तित्व को लेकर घाट में दिनदहाड़े कारोबारी विजय महरा की हत्या हो जाती है, उस हत्या में भी इन माफियाओं का ही नाम सामने आया था लेकिन इनके प्रभाव व रसूख के चलते और दुश्मनी बढ़ने की खातिर मेहरा परिवार ने एफआईआर ही नहीं दर्ज करवाई। हत्या जैसे मामले में एफआईआर दर्ज न होने से यह प्रकरण पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बना रहा। लेकिन उस दौर में स्वतः संज्ञान जैसी कोई चीज ही नहीं थी जिससे उस परिवार को न्याय मिल सकता।

ऐसे में इन माफियाओं के खिलाफ खड़ा होने का मेरा सिर्फ एक ही उद्देश्य है कि जिस प्रकार से इन लोगों ने लोगों के बीच रहते हुए भी लगभग 4 दशक तक राजनीतिक चोला ओढ़कर जरायम की दुनिया में स्वयं को मजबूत रखा, अब उसी प्रकार से इन लोगों का पतन भी होना चाहिए, जिससे प्रदेश में स्थापित योगी सरकार की एक और मिशाल कायम हो सके। गौर करने वाली बात यह भी है कि भदोही के दबंग बाहुबली विजय मिश्रा से लेकर गोरखपुर वाले माफिया हरिशंकर तिवारी के परिवार तक में इनकी रिश्तेदारियां हैं। माफिया हैं तो माफिया को ही पसंद करेंगे।

प्राप्त जानकारी के अनुसार सत्तारूढ़ पार्टी के कद्दावर नेताओं का भी आशीर्वाद प्राप्त होने के कारण कई बार पार्टी का शीर्ष नेतृत्व भी गुमराह हो जाता है और ऐसे माफियाओं को बचाने तक की पैरवी कर डालते हैं, जिसका फायदा भी सीधा इन्हीं लोगों को मिलता है और इसी का परिणाम है कि डीएम साहब तो चले गए लेकिन मुख्य कर्ताधर्ता खनिज अधिकारी अभी तक जिले में काबिज है। ऐसा पहली बार देखा जा रहा है कि मेरी लगातार खनन विरोधी खबरों के कारण छोटे कर्मचारी (खनिज अधिकारी) को बचाने लिए जिलाधिकारी की बलि चढ़ा दी गई।

अगले 5 साल में डिजिटल योग्यता के अनुरूप करीब 8.5 करोड़ नौकरियों का बदल जायेगा स्वरुप- डॉ.राजेश्वर सिंह

  • लखनऊ इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी की वार्षिक खेल प्रतिस्पर्धा के 5 मेधावियों को डॉ. राजेश्वर सिंह ने सम्मानित करते हुए दिया लैपटॉप, डिजिटल टेक्नोलॉजी को बताया युवाओं का भविष्य
  • उन्होंने कहा कि मिशन चंद्रयान के 80% इंजीनियर रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेजों से, देश के नेक्स्ट लेवल ग्रोथ में इन कॉलेजों का योगदान उल्लेखनीय
  • साथ ही डॉ.सिंह ने कहा कि भारत डिजिटल क्रांति में अग्रणी है, 1 लाख करोड़ के मोबाइल फ़ोन निर्यात कर भारतीय इंजीनियरों ने दिखाई अपनी प्रतिभा, युवाओं को अपने अध्यापकों, अभिभावकों और राष्ट्र के प्रति सदैव कृतज्ञ रहना चाहिए – डॉ. राजेश्वर सिंह

लखनऊ; इंजीनियर इनोवेशन की रीढ़ हैं वे अपनी रचनात्मकता, विश्लेषणात्मक सोच और दुनिया को बदलने की दृढ़ता के मिश्रण से हमारे जीवन को आसान बनाने का काम करते हैं। इंजीनियर प्रगति के वास्तुकार हैं, इंजीनियर विचारों को वास्तविकता में बदलते हैं। हर महान इनोवेशन के पीछे एक महान इंजीनियर होता है। इंजीनीयर की यह नई परिभाषा बताई है सरोजनीनगर विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने, मौका था लखनऊ इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी वार्षिक खेल प्रतिस्पर्धाओं के विजेताओं को सम्मानित करने का। मंगलवार को सरोजनीनगर विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह बंथरा रोड, बिजनौर स्थित लखनऊ इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी पहुंचे वहां उन्होंने संस्थान के वार्षिकोत्सव ‘परवाज’ के दौरान विभिन्न खेल प्रतिस्पर्धाओं में अव्वल रहने वाले 17 छात्र – छात्राओं को सम्मानित किया। इस दौरान विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने भविष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने के संकल्प क्रम ने संस्थान के 5 मेधावी छात्र – छात्राओं : सिविल इंजीनियरिंग में 89% अंक पाने वाली छात्रा ज्योति यादव, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में 82% अंक पाने वाले छात्र अभिज्ञान श्रीवास्तव व 80% अंक पाने वाले गजेंद्र गोंड, मैकेनिकल इंजीनियरिंग में 84% अंक पाने वाले छात्र अभिषेक सिंह व 81% अंक पाने वाले विष्णु कुमार यादव को लैपटॉप प्रदान कर सम्मानित किया।

इस अवसर पर छात्र – छात्राओं का मार्गदर्शन करते हुए डॉ. राजेश्वर सिंह ने कहा कि भारत के इंजीनियर इनोवेशन और स्पेशलाइजेशन के साथ हर क्षेत्र में क्रांति ला रहे हैं, उनका तर्कोंमुखी दृष्टिकोण यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा जैसे क्षेत्रों में चमकता है, जहां 2017-2021 के बीच 64% आईएएस परीक्षा क्वालिफायर इंजीनियर हैं। 67% भारतीय यूनिकॉर्न स्टार्टअप संस्थापक इंजीनियर हैं। भारतीय इंजीनियर ब्रह्मोस, तेजस, अग्नि मिसाइल और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाले पहले चंद्रयान मिशन जैसे इनोवेशन का नेतृत्व करते हैंडॉ. सिंह ने भारत की प्रगति में इंजीनियरों के योगदान को उल्लेखित करते हुए कहा कि सर एम. विश्वेश्वरय्या एवं डॉ. अब्दलु कलाम जैसे इंजीनियरों तथा इसरो व डीआरडीओ जैसे विश्व के सर्वश्रेष्ठ रिसर्च संस्थानों के कारण भारत ने अभूतपूर्व प्रगति की है। देश की प्रगति में रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेजों की भी उल्लेखनीय भूमिका है, भारत के महत्वपूर्ण मिशन चंद्रयान के 1000 इंजीनियर में 800 इंजीनियर रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज से थे। प्रधानमंत्री मोदी के विकसित भारत संकल्प का उल्लेख करते हुए विधायक ने कहा कि वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का सपना है, जिसमें हमारे की सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका रहने वाली है। भारत आज विश्व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने को अग्रसर है तो उसमें हमारे इंजीनियरों का उल्लेखनीय योगदान है।

विधायक ने आगे जोड़ा कि भारत में इंजीनियरों ने नवीन तकनीकों के साथ कृषि, डेयरी फार्मिंग, जलीय कृषि, आईटी और अंतरिक्ष अन्वेषण में क्रांति ला दी है, जिससे विकास और स्थिरता बढ़ रही है। पद्म विभूषण से सम्मानित डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन ने हरित क्रांति लाकर भारत के गेहूं उत्पादन को 1965 के 11 मिलियन टन से बढ़ाकर 106 मिलियन टन कर दिया, आज भारत विश्व के 50 से अधिक देशों को गेहूं निर्यात कर रहा है। “भारत के मिल्कमैन” के रूप में जाने जाने वाले और पद्म विभूषण से सम्मानित डॉ. वर्गीस कुरियन के नेतृत्व में, भारत का दूध उत्पादन 1960 में 17 मिलियन टन से बढ़कर 230 मिलियन टन से अधिक हो गया। हीरालाल चौधरी और डॉ. अरुण कृष्णन द्वारा अन्वेषित ब्लू क्रान्ति के प्रभाव से सतत जलीय कृषि पद्धतियों के कारण भारत का मछली उत्पादन 1950 में लगभग 0.75 मिलियन टन से बढ़कर 17 मिलियन टन हो गया।

डॉ. राजेश्वर सिंह ने बताया कि इंजीनियरों के कारण आज भारत डिजिटल क्रान्ति में अग्रणी है, भारत में सर्वाधिक इन्टरनेट कनेक्शन, सर्वाधिक मोबाइल फ़ोन उपभोक्ता हैं, 1 लाख करोड़ लागत के मोबाइल फ़ोन निर्यात कर भारत मोबाइल डिवाइस निर्यात में भी अग्रणी है। इस अवसर पर इंजीनियरिंग छात्र – छात्राओं को भविष्य की चुनौतियों व अवसरों के प्रति सजग करते हुए डॉ. सिंह ने कहा की अगले 5 साल में डिजिटल योग्यताओं के अनुरूप करीब 8. 5 करोड़ नौकरियों का स्वरुप बदल जायेगा इस लिए सभी को डिजिटल शिक्षा, इनोवेशन, आइडिया सृजन पर जोर देना है। बता दें कि डॉ. राजेश्वर सिंह अपनी विधानसभा क्षेत्र में डिजिटल शिक्षा के प्रसार के लिए अब तक 25 कॉलेजों में डिजिटल लैब, 10 कॉलेजों में स्मार्ट पैनल स्थापित करवाया है। विधायक द्वारा अब ‘रण बहादुर सिंह डिजिटल शिक्षा एवं युवा सशक्तिकरण केंद्रों’ की स्थापना कर युवाओं को फ्री डिजिटल प्रशिक्षण प्रदान करने की अभिनव पहल शुरू की गई है। पहल के पहले चरण में 04 केंद्रों की स्थापना हुई, डॉ. राजेश्वर सिंह का लक्ष्य सरोजनीनगर में 100 केंद्रों की स्थापना का है। डॉ. राजेश्वर सिंह ने स्वास्थ्य को सर्वाधिक महत्वपूर्ण बताते हुए छात्र – छात्राओं को पढ़ाई के साथ खेलों गतिविधियों में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित किया। इस अवसर पर संस्थान की निदेशक शबीहा अहमद व हम्माद, प्रधानाचार्य संदीप सिंह, डीन फरीद सिद्दकी व अन्य अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।

यूपी के कौशाम्बी में अवैध खनन पर बड़ा एक्शन: योगी सरकार ने खनन माफिया के चहेते डीएम को हटाया, खनिज अधिकारी अभी भी मलाई काट रहा

  • बीती 15 मई से जनपद के महेवाघाट थानांतर्गत रामनगर घाट में हो रहे अवैध खनन की खबर “स्वदेश” में प्रमुखता से प्रकाशित हुई थी
  • ⁠सोशल मीडिया में भी एनजीटी के मानकों के विरुद्ध अवैध खनन के कई वीडियो वायरल होने के बावजूद नहीं हुई थी संतोषजनक कार्रवाई

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लखनऊ: लोकसभा चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश में आईपीएस अधिकारियों के बाद अब आईएएस अधिकारियों के तबादले भी किए गए हैं।मंगलवार को एक दर्जन से ज्यादा आईएएस अधिकारियों को इधर से उधर किया गया है। इसमें कई जिलों के जिलाधिकारी बदल दिए गए है। कौशाम्बी, मुरादाबाद, सीतापुर, लखीमपुर खीरी, सहारनपुर, कासगंज, बांदा व चित्रकूट समेत कई जिलों के डीएम बदल दिए गए है। इसी कड़ी में योगी सरकार की भ्रष्टाचार व भ्रष्टाचारियों के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति में पलीता लगा रहे जिलाधिकारी कौशाम्बी राजेश कुमार राय को भी मंगलवार शाम को हुए आईएएस अधिकारियों के तबादले में शंट करते हुए मधुसूदन हुकली को जिलाधिकारी कौशाम्बी बनाया गया है।

चुनाव से पहले हुई थी पोस्टिंग, डीएम पर अवैध खनन के कारण लगे गंभीर आरोपों के बाद हटाए गए

गौरलतब है कि बीती 15 मई से लगातार कौशाम्बी के महेवाघाट थानांतर्गत रामनगर/जमुनापुर बालू घाट में अनवरत चल रहे अवैध खनन में जनपद के खनिज अधिकारी अजीत कुमार पाण्डेय और डीएम राजेश कुमार राय द्वारा पट्टेधारक, घाट संचालकों व मुख्य रूप से घाट के खिलाफ किसी भी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की। जिसकी खबर भी स्वदेश में समय-समय से प्रकाशित की गई। लेकिन जिला प्रशासन द्वारा कोई कड़ा एक्शन नहीं लिया गया उल्टा खनन माफिया ने स्वदेश के विशेष संवाददाता शिवसागर सिंह के ऊपर तमाम बेबुनियाद आरोप लगाते हुए फर्जी पत्रकार तक बोल डाला, लेकिन योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत आखिरकार डीएम आ ही गए और आखिरकार लोकसभा चुनाव से ठीक पहले पोस्ट हुए डीएम राजेश कुमार राय को तमाम शिकायतों के मद्देनजर हटा दिया गया है।

भ्रष्ट खनिज अधिकारी को आखिर किसका संरक्षण

उत्तरप्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के गृह जनपद कौशाम्बी में अवैध खनन का मामला न सिर्फ उत्तरप्रदेश बल्कि समूचे देश में इस समय चर्चा का विषय बना हुआ था। जिसको मद्देनजर रखते हुए मंगलवार को आई आईएएस अधिकारियों की तबादला सूची में डीएम कौशाम्बी को तो हटा दिया गया है लेकिन एक बड़ा सवाल अभी भी लोगों के दिलोदिमाग पर कौंध रहा है कि आखिर खनिज अधिकारी का कौन सा इतना बड़ा सिस्टम है जो खनन का मुख्य जिम्मेदार होने के बावजूद अपनी कुर्सी से हटने को तो छोड़िए, खिसकने तक को तैयार नहीं है। मामले पर जिला प्रशासन के सूत्रों से पता चला है कि अब नए साहब ही इनका चिट्ठा खोलेंगे और इनको सही जगह पहुंचाएंगे क्योंकि शायद ही उत्तरप्रदेश में इतना बड़ा भ्रष्टाचारी किसी भी जिले में तैनात हो।

आखिर कब होगी खनन माफिया, पट्टेधारक, घाट संचालकों समेत घाट पर वाजिब कार्रवाई

मंगलवार देर शाम हुए आईएएस अधिकारियों के तबादले में भ्रष्ट जिलाधिकारी राजेश कुमार राय के तबादले के बाद लोगों में सुगबुगाहट तो शुरू हो गई है कि 15 मई से स्वदेश में लिखी गई अवैध खनन की खबर का असर तो अब दिखने लगा है लेकिन असली गुनहगारों के खिलाफ कार्रवाई कब होगी। खनन माफिया करवरिया बन्धुओं के प्रयागराज के तिलकनगर, अल्लापुर निवासी गुर्गे पट्टेधारक, घाट संचालक कपिल मुनि करवरिया के बेटे वैभव करवरिया व उसके गुर्गों के साथ साथ अन्य संचालकों पर कब होगी वाजिब कार्रवाई और साथ ही जिस घाट में इतने बड़े पैमाने पर अवैध खनन किया गया है उसके खिलाफ उचित कार्रवाई कब की जाएगी।

उत्तरप्रदेश: राजधानी लखनऊ समेत प्रयागराज के सीपी हटाए गए, 1995 बैच के अमरेन्द्र कुमार सेंगर को पुलिस कमिश्नर लखनऊ, आईपीएस तरुण गाबा को सीपी प्रयागराज बनाया गया

  • आईपीएस अमरेन्द्र कुमार सेंगर पुलिस कमिश्नर लखनऊ बने
  • आईपीएस तरुण गाबा प्रयागराज के सीपी बने
  • सीपी लखनऊ एस बी शिराडकर को एडीजी ज़ोन लखनऊ बनाया गया
  • सीपी प्रयागराज रमित शर्मा को बरेली ज़ोन का एडीजी बनाया गया

लखनऊ: लोकसभा चुनाव बीतने के बाद अब उत्तरप्रदेश में योगी सरकार ने देर रात 11 सीनियर आईपीएस ऑफिसरों का ट्रांसफर किया है। इस ट्रांसफर लिस्ट में यूपी की राजधानी लखनऊ व प्रयागराज के पुलिस कमिश्नर भी हटा दिए गए हैं, पुलिस कमिश्नर लखनऊ एस.बी.शिराडकर को लखनऊ जोन का एडीजी बनाया गया है। लखनऊ के नए कमिश्ननर अमरेंद्र कुमार सेंगर होंगे। वह अभी तक एडीजी लखनऊ जोन रहे हैं।

आईपीएस अमरेंद्र कुमार सेंगर लखनऊ पुलिस के नए कमिश्नर बने

आईपीएस अमरेंद्र कुमार सेंगर 1995 बैच के अफ़सर हैं, जिनके पास वर्तमान में लखनऊ जोन के एडीजी का चार्ज है। इससे पहले वह एसएसबी में आईजी रह चुके हैं। साथ ही 2017 में जब लखनऊ से सांसद राजनाथ सिंह देश के गृह मंत्री थे, तब वे उनके OSD थे।

आईपीएस तरुण गाबा बने प्रयागराज पुलिस कमिश्नर

इसके साथ ही पुलिस कमिश्नर प्रयागराज रमित शर्मा को भी हटा दिया गया है। उनको बरेली जोन का एडीजी बनाया गया है। आईजी रेंज लखनऊ के पद पर तैनात तेज तर्रार आईपीएस ऑफिसर तरुण गाबा को पुलिस कमिश्नर प्रयागराज बनाया गया है।

लिस्ट में देखें किसे कहां भेजा गया

⁠लखनऊ में आईपीएस अमरेन्द्र कुमार सेंगर व प्रयागराज में आईपीएस तरुण गाबा को बतौर नए पुलिस कमिश्नर की तैनाती करने के साथ-साथ और भी कई आईपीएस अधिकारियों के तबादले किए गए हैं। जिन आईपीएस अधिकारियों के तबादले किए गए हैं उनमें प्रेमचंद मीना को एडीजी पुलिस आवास निगम लखनऊ, विनोद कुमार सिंह को एडीजी साइबर क्राइम यूपी, प्रकाश डी को अपर पुलिस महानिदेशक रेलवे, जय नारायन सिंह को एडीजी पीटीसी सीतापुर, एलवी एंटनी देव को एडीजी सीबीसीआईडी यूपी, रघुवीर लाल को एडीजी सुरक्षा के साथ ADG एसएसएफ, के सत्यनारायण को अपर पुलिस महानिदेशक यातायात, बीडी पॉल्सन को अपर पुलिस महानिदेशक प्रशिक्षण, प्रशांत कुमार द्वितीय को आईजी रेंज लखनऊ, विद्यासागर मिश्रा को एसपी रामपुर, राजेश द्विवेदी को एसपी कुंभ- प्रयागराज और यमुना प्रसाद को पुलिस कमिश्नरेट गौतमबुद्धनगर में डीसीपी नोएडा बनाया गया है।

लखनऊ: अन्तिम बड़े मंगल के अवसर पर डीसीपी नॉर्थ कार्यालय में हुआ भव्य भंडारा

  • ⁠डीसीपी नॉर्थ आईपीएस अभिजीत आर शंकर ने विधि-विधान से हनुमान जी की पूजा-अर्चना करने के बाद भंडारे की शुरुआत की
  • बड़े मंगल के अवसर पर पूरे लखनऊ में जगह-जगह चल रहा भंडारा
  • आईटी चौराहे के पास स्थित पुलिस कमिश्नरेट लखनऊ के नॉर्थ ज़ोन के डीसीपी कार्यालय में भी हुआ भंडारा
  • ⁠डीसीपी नॉर्थ के साथ ही एडीसीपी नॉर्थ, ज़ोन के सभी सर्कल के एसीपी, डीसीपी के वाचक राधेश्याम मौर्या व सभी थानों के प्रभारी निरीक्षक समेत काफी संख्या में पुलिसकर्मी भी मौजूद रहे

लखनऊ: लखनऊ में ज्येष्ठ माह के बड़े मंगल का विशेष महत्व है, जिसे बड़े मंगल के नाम से जाना जाता है। यह त्योहार हर मंगलवार को मनाया जाता है और इसमें भगवान हनुमान की पूजा की जाती है। बड़े मंगल के दौरान, लखनऊ के विभिन्न हिस्सों में भंडारे का आयोजन किया जाता है। यह भंडारा शहर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है और इसमें हजारों लोग शामिल होते हैं।

इसी कड़ी में लखनऊ के आईटी चौराहे के पास स्थित डीसीपी नॉर्थ कार्यालय में भी भंडारा किया गया है। डीसीपी नॉर्थ अभिजीत आर शंकर ने विधि-विधान से हनुमान जी की पूजा-अर्चना करने के बाद भंडारे की शुरुआत की है। इस मौके पर डीसीपी नॉर्थ के साथ ही एडीसीपी नॉर्थ, ज़ोन के सभी सर्कल के एसीपी, डीसीपी के वाचक राधेश्याम मौर्या व सभी थानों के प्रभारी निरीक्षक समेत काफी संख्या में पुलिसकर्मी भी मौजूद रहे।

भंडारे में कई प्रकार के प्रसादों का भोग लगाते हैं श्रद्धालु

गौरतलब है कि ज्येष्ठ माह में होने वाले इस भंडारे में विभिन्न प्रकार के भोजन, जैसे पूड़ी, सब्जी, हलवा, और शरबत परोसे जाते हैं। इसे आयोजित करने वाले लोग इसे अपनी धार्मिक और सामाजिक जिम्मेदारी मानते हैं। भंडारा लगाने वाले श्रद्धालु सुबह से ही तैयारी में जुट जाते हैं और पूरे दिन लोगों की सेवा करते हैं।

बड़े मंगल के भंडारे में सभी वर्गों के लोग होते हैं शामिल

लखनऊ के बड़े मंगल के भंडारे की खासियत यह है कि इसमें हर जाति, धर्म और वर्ग के लोग शामिल होते हैं, जो आपसी भाईचारे और एकता का संदेश देता है। इस दिन शहर में एक मेले जैसा माहौल होता है, जहां लोग भगवान हनुमान के दर्शन के साथ-साथ भंडारे का प्रसाद ग्रहण करते हैं। इस परंपरा का पालन पीढ़ियों से हो रहा है और यह लखनऊ की समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर को दर्शाता है।