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Sports News:साउथ अफ्रीका के खिलाफ 9 दिसंबर से टी20 सीरीज शुरू—गिल की उपलब्धता पर आया बड़ा अपडेट।

भारत और साउथ अफ्रीका के बीच 9 दिसंबर से पांच मुकाबलों की टी20 सीरीज शुरू होगी, जिसमें शुभमन गिल की फिटनेस और उपलब्धता पर सभी की निगाहें रहेंगी. बुधवार को अजीत अगरकर की अध्यक्षता वाली समिति रायपुर में मीटिंग करेगी, ताकि 15 सदस्यीय टीम तय की जा सके.

शुभमन गिल साउथ अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट मैच में चौका लगाने के बाद चोटिल हुए थे. गर्दन में चोट के बाद गिल सीरीज का अगला मुकाबला नहीं खेल सके. इसके बाद उन्हें वनडे सीरीज से भी बाहर बैठना पड़ा.

आईएएनएस को जानकारी मिली है कि गिल रिहैब के लिए मंगलवार को बेंगलुरु में बीसीसीआई सेंटर ऑफ एक्सीलेंस पहुंच गए हैं. टी20 सीरीज के लिए भारतीय टीम 6 दिसंबर को एकजुट होगी, इसलिए चयनकर्ताओं को बुधवार को टीम चुननी होगी. फिलहाल, टी20 सीरीज में गिल के खेलने की संभावनाएं 50 प्रतिशत हैं.

एक सूत्र ने आईएएनएस को बताया, “हो सकता है कि गिल बल्लेबाजी आजमाएं और देखें कि आगामी सीरीज में उन्हें शामिल करने का फैसला लेने से पहले वह फिटनेस को लेकर कैसा महसूस कर रहे हैं.”

अगर शुभमन गिल साउथ अफ्रीका के खिलाफ टी20 सीरीज में नहीं खेलते, तो अभिषेक शर्मा के साथ संजू सैमसन या यशस्वी जायसवाल बतौर सलामी बल्लेबाज नजर आ सकते हैं. संजू सैमसन ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टी20 सीरीज में सिर्फ दो मैच खेले, जिसमें एक बार बल्लेबाजी का मौका मिला. इस दौरान उन्होंने ‘नंबर 3’ पर बैटिंग की.

उम्मीद की जा रही है कि इस टी20 सीरीज में सीम-बॉलिंग ऑलराउंडर हार्दिक पंड्या को भी शामिल किया जा सकता है. पंड्या ने मंगलवार को सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में पंजाब के खिलाफ 1 विकेट लेने के बाद नाबाद 77 रन बनाए हैं. पंड्या की शानदार पारी के दम पर बड़ौदा ने मुकाबला 7 विकेट से जीता. पंड्या को ‘प्लेयर ऑफ द मैच’ चुना गया.

भारत और साउथ अफ्रीका के बीच पांच मुकाबलों की टी20 सीरीज 9 दिसंबर से शुरू होगी. पहला मैच कटक में खेला जाएगा, जिसके बाद 11 दिसंबर को न्यू चंडीगढ़ में सीरीज का दूसरा मुकाबला होगा. धर्मशाला में 14 दिसंबर को तीसरा मैच आयोजित होगा, जबकि 17 दिसंबर को लखनऊ सीरीज के चौथे मैच की मेजबानी करेगा. 19 दिसंबर को अहमदाबाद में सीरीज का अंतिम मुकाबला खेला जाना है.

Vaibhav Suryavanshi: वैभव सूर्यवंशी का धमाका—58 गेंदों में जड़ा शतक, सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में फिर मचाई धूम।

सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी 2025 में बिहार के उप-कप्तान वैभव सूर्यवंशी का बल्ला आखिरकार पूरा गरजा. वैभव पर शुरुआती तीन मैचों में रन न आने से दबाव बढ़ रहा था. महाराष्ट्र के खिलाफ चौथे मुकाबले में इस युवा बल्लेबाज ने ऐसा धमाका किया कि सभी हैरान रह गए. सूर्यवंशी ने जितने चौके लगाए, उतने ही छक्के लगाकर ऐसा हाहाकार मचाया, जिसने विरोधी गेंदबाजों का पूरा प्लान ध्वस्त कर दिया.

वैभव सूर्यवंशी का तूफान

बिहार ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 20 ओवर में 3 विकेट पर 176 रन बनाए, जिनमें से अकेले 108 रन वैभव सूर्यवंशी ने ठोक डाले. खास बात यह रही कि उन्होंने अपनी पारी की शुरुआत भले शांत तरीके से की हो, लेकिन जैसे-जैसे इनिंग आगे बढ़ी, उनका बल्ला तेजी से आग उगलने लगा.

वैभव ने 61 गेंदों पर नाबाद 108 रनों की शानदार पारी खेली. उनकी पारी में 7 चौके और 7 छक्के शामिल रहे. इस दौरान उनका स्ट्राइक रेट 177 से ज्यादा का रहा. उन्होंने एक गगनचुंबी छक्के के साथ अपना शतक पूरा किया. यह पारी उनके आत्मविश्वास का बयान भी थी और उनके हुनर का साफ सबूत भी.

ओपनिंग में नहीं मिला साथ

बिहार की शुरुआत काफी डगमगाने वाली रही. पहले ओवर में ही ओपनिंग पार्टनर बिपिन सौरभ सस्ते में आउट हो गए. दूसरे विकेट पर भी साझेदारी लंबी नहीं चली. इसके बाद भी वैभव ने एक छोर को मजबूती से संभाले रखा. तीसरे विकेट पर आकाश राज के साथ उन्होंने तेज 50 से ज्यादा रनों की पार्टनरशिप की और टीम को मुश्किल से बाहर निकाला.

आकाश राज के आउट होने के बाद वैभव बिल्कुल अलग मोड में आ गए. गेंद को देखने के बाद ही मारने की क्लासिक स्टाइल में उन्होंने पहले हाफ सेंचुरी पूरी की, फिर आखिरी ओवरों में रफ्तार बढ़ाते हुए शतक तक पहुंच गए.

पिछले 3 मैचों के बाद की शानदार वापसी

टूर्नामेंट के पहले तीन मुकाबलों में वैभव सूर्यवंशी कुल मिलाकर केवल 32 रन ही बना सके थे. उनकी आलोचना भी हो रही थी, दबाव भी था, लेकिन उन्होंने मैदान में अपने खेल से सभी सवालों का जवाब दे दिया. महाराष्ट्र के खिलाफ जमाया गया यह शतक सिर्फ मैच बदलने वाला नहीं था, बल्कि उनके सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी के करियर का पहला शतक भी रहा.

Health Tips:भारत में HIV मामलों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी, 72% मरीज युवा! विशेषज्ञों का कहना—जागरूकता अभियान बेहद अहम।

विश्व एड्स दिवस पर HIV/AIDS को लेकर एक बार फिर जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया जा रहा है. देश में बदलती जीवनशैली, सुरक्षित यौन संबंधों की अनदेखी और सेक्स एजुकेशन की कमी के कारण संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि समय पर टेस्टिंग, सही जानकारी और जिम्मेदार व्यवहार अपनाकर इस बीमारी को काफी हद तक रोका जा सकता है.

एक्सपर्ट ने दी यह जानकारी

भारत मे HIV/AIDS के बढ़ते संक्रमण को लेकर देश के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. विनोद रैना (MD मेडिसिन) ने गंभीर चिंता जताई है. 25 साल से HIV के उपचार में अनुभव रखने वाले डॉ. रैना ने एबीपी लाइव की टीम को जानकारी देते हुए बताया कि विश्व के कई देशों ने समय रहते जागरूकता और कम्युनिटी हेल्थ प्रोग्राम्स की मदद से इस बीमारी को काफी हद तक रोक लिया, लेकिन भारत आज भी आवश्यक जागरूकता, शिक्षा और रोकथाम के अभाव में तेजी से संक्रमित होता जा रहा है. चेतावनी भरे लहजे में उन्होंने कहा कि, अगर अभी भी समाज और सरकार सक्रिय नहीं हुए, तो आने वाली पीढ़ियों को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी.

यूरोप-अमेरिका ने जागरूकता से रोका, भारत अब भी पिछड़ रहा

70–80 के दशक में यूरोप और अमेरिका में अनप्रोटेक्टेड सेक्स से HIV तेजी से फैला, लेकिन समय रहते उन देशों ने मजबूत हेल्थ प्रोग्राम शुरू किए. डॉ. रैना बताते हैं कि कम्युनिटी मेडिसिन को बढ़ावा देने और सेक्सुअल हेल्थ पर खुले संवाद ने उन देशों में संक्रमण को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इसके उलट भारत में सोशल नेटवर्क और बदलती जीवनशैली के कारण युवा वर्ग बिना प्रोटेक्शन के संबंध बना रहा है. गांव से शहर आने वाले या नई सेक्सुअल लाइफ शुरू करने वाले युवाओं में जानकारी की कमी के कारण संक्रमण तेजी से फैल रहा है.

सेक्स एजुकेशन की कमी सबसे बड़ी कमजोरी’

डॉ. रैना का कहना है कि देश में आज भी सेक्स को एक टैबू की तरह देखा जाता है. बच्चों, युवाओं, हेल्थ वर्कर्स, यहां तक कि डॉक्टरों तक को सेक्सुअल हेल्थ की पर्याप्त ट्रेनिंग नहीं मिलती. उनके मुताबिक, “जब लोग प्रोटेक्शन ही इस्तेमाल नहीं करते, इन्फेक्शन का अंदाज़ा नहीं होता और सेक्सुअल हाइजीन की समझ नहीं होती, तो बीमारी फैलना तय है. आज हालत यह है कि 25 साल पहले महीने में गिने-चुने मरीज आते थे, और अब एक दिन में 15–20 HIV केस देखने पड़ते हैं.”

पोस्ट-एक्सपोज़र प्रोफिलैक्सिस: गलती के बाद भी बचाव मुमकिन

डॉ. रैना ने एक अहम जानकारी देते हुए कहा कि, यदि कोई व्यक्ति असुरक्षित संबंध बना ले और अगली सुबह उसे अपनी गलती का एहसास हो, तो 72 घंटों के अंदर डॉक्टर से संपर्क कर वह पोस्ट एक्सपोज़र प्रोफिलैक्सिस (PEP) नाम की दवा शुरू कर सकता है 30 दिन तक यह दवा लेने पर HIV संक्रमण को रोका जा सकता है. लेकिन समस्या यह है कि देश में ज्यादातर लोग इस दवा के बारे में जानते ही नहीं, क्योंकि न तो उपयोगी प्रोग्राम हैं और न ही सही जानकारी.

कंडोम: छोटी सतर्कता, बड़ी सुरक्षा

डॉ. रैना के अनुसार कंडोम केवल HIV ही नहीं बल्कि सिफिलिस, गोनोरिया, हर्पीज़, क्लेमाइडिया जैसी गंभीर बीमारियों से भी बचाता है. इसलिए हर व्यक्ति को सुरक्षित संबंध बनाना चाहिए और मल्टीपल पार्टनर्स से बचना चाहिए.

शादी से पहले HIV टेस्ट को अनिवार्य करने की अपील

डॉ. रैना बताते हैं कि उनके पास खूब ऐसे केस आते हैं जिसमें शादी के बाद पति या पत्नी को HIV हो जाता है और जांच में पता चलता है कि बीमारी शादी से पहले ही किसी एक को थी. वे कहते हैं, “लोग शादी के पहले कुंडली मिलाते हैं, लेकिन महज 400-500 रुपये का एक टेस्ट है, क्या शादी से पहले इसे अनिवार्य नहीं किया जा सकता? इससे न केवल घर बचेंगे बल्कि ज़िंदगियाँ भी.”

HIV एक बार हुआ तो पूरी जिंदगी रहता है साथ

वे चेतावनी देते हैं कि HIV एक ऐसी बीमारी है जिसे शरीर से पूरी तरह निकालने का कोई तरीका नहीं है. एक बार संक्रमित होने पर व्यक्ति को जीवनभर दवाइयां, नियमित चेकअप, और विशेष डाइट एवं जिंदगीभर की सावधानियों के साथ जीना पड़ता है. दैनिक कसरत, हाई प्रोटीन डाइट और जीवनशैली में अनुशासन जरूरी हो जाता है.

युवाओं और होमोसेक्सुअल कम्युनिटी में तेज़ी से फैल रहा संक्रमण

डॉ. रैना के अनुसार कॉलेज जाने वाले युवाओं और होमोसेक्सुअल समुदाय में HIV संक्रमण के मामले तेजी से बढ़े हैं, जिनमें 72% तक अधिक प्रभाव देखा जा रहा है. वे कहते हैं कि बच्चों को गुड टच-बैड टच, सुरक्षित संबंध, और शरीर की समझ के बारे में शिक्षित किए बिना समाज को सुरक्षित नहीं बनाया जा सकता.

भारत में खुले संवाद की कमी

कई देशों में HIV जागरूकता के लिए रैलियां, परेड और सार्वजनिक कार्यक्रम होते हैं, लेकिन भारत में यह विषय अभी भी छिपाया जाता है. डॉ. रैना का मानना है कि सिर्फ एक दिन की जागरूकता से कुछ नहीं होगा. हेल्थ एजुकेशन में STDs को उतनी ही जगह देनी होगी जितनी रेस्पिरेटरी या कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम को दी जाती है.

WHO गाइडलाइंस पर आधारित आधुनिक इलाज मौजूद

आज तकनीक इतनी बढ़ चुकी है कि अगर माता-पिता दोनों HIV पॉजिटिव हों, लेकिन दवा नियमित रूप से लें, तो भी बच्चा HIV नेगेटिव पैदा हो सकता है. एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी से वायरस को इतना कम किया जा सकता है कि वह दूसरों में संक्रमित न हो.

घर में HIV मरीज हो तो किन बातों का रखें ध्यान?

यदि किसी परिवार में HIV संक्रमित व्यक्ति है और उसकी हालत गंभीर है, तो उनके बर्तन, कपड़े और तौलिए अलग रखें, साबुन आदि अलग रखें. ना उनका झूठा खाना है और ना ही देना है. उन्हें डॉक्टर को दिखा के, एंटी-वायरल थेरेपी शुरू करवाएं. इसके अलावा उन्हें प्रोटीन डाइट देना बहुत ही ज़्यादा जरूरी है.

HIV के लक्षणों को न करें नजरअंदाज

लगातार बीमार रहना, बार-बार टाइफाइड या लूज़मोशन होना, कमजोरी, लगातार थकान, वजन कम होना, तेज़ बुखार—ये HIV के संकेत हो सकते हैं. संक्रमण बढ़ने पर टीबी, सिफिलिस, क्लेमाइडिया, हर्पीज़ या HPV जैसी अन्य बीमारियां भी होने की संभावना रहती है.

समाज जागेगा, तभी देश सुरक्षित होगा

डॉ. रैना कहते हैं, “मैं एक डॉक्टर होकर हाथ जोड़ कर लोगों से विनती करता हूं कि इस मुद्दे को उठाइए. टेस्टिंग को बढ़ावा दीजिए, सेक्स एजुकेशन को पढ़ाइए, सुरक्षित संबंध को आदत बनाइए. आज कदम उठाएंगे, तभी आने वाली पीढियां स्वस्थ रहेंगी.”

Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

भारत यात्रा से पहले पुतिन ने अमेरिका और यूरोप पर तीखा हमला बोला, PM मोदी से मुलाकात से पहले अपना एजेंडा साफ-साफ बता दिया।

भारत दौरे से पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मंगलवार अपना एजेंडा को साफ कर दिया है. पुतिन की 4-5 दिसंबर को नयी दिल्ली की राजकीय यात्रा से पहले भारत के साथ एक महत्वपूर्ण सैन्य समझौते को मंजूरी दे दी गई है. रूस सबमरीन परमाणु संयत्र से चलने वाली एसएसएन (चक्र क्लास) सबमरीन भारत को लीज पर देगा. रूसी राष्ट्रपति 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलेंगे.

पीएम मोदी से मिलकर इन मद्दों पर होगी चर्चा

रूस के दूसरे सबसे बड़े बैंक वीटीबी के कॉन्फ्रेंस में पुतिन ने बताया कि वह पीएम मोदी से मिलकर व्यापार और आयात को लेकर विस्तृत चर्चा करेंगे. इस दौरान उन्होंने इशारों-इशारों में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि रूस अपने देश के हित को ध्यान में रखते हुए स्वतंत्र आर्थिक नीति पर काम करता रहेगा. इस दौरान उन्होंने भारत और चीन के साथ रूस के बढ़ते व्यापार संबंधों का भी जिक्र किया.

यूरोपीय देशों को पुतिन की सख्त चेतावनी

व्लादिमीर पुतिन ने अपने संबोधन में यूरोपीय देशों को सख्त चेतावनी भी है. उन्होंने कहा, “कुछ देश अपने एकाधिकार का इस्तेमाल कर दूसरों पर दवाब डाल रहे हैं, जिससे दुनिया भारी उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है. अगर यूरोप युद्ध लड़ना चाहता है तो हम अब तैयार हैं. यूरोपीय देश युद्ध को बढ़ावा दे रहे हैं उनकी शांति की अब कोई योजना नहीं है.” पुतिन ने कहा कि यूरोपीय देशो ने यूक्रेन पर शांति वार्ता से खुद को बाहर कर लिया है, क्योंकि उन्होंने रूस के साथ संपर्क तोड़ दिया है. उन्हो्ंने कहा कि यूरोपीय देश युद्ध के पक्ष में हैं.

‘यूक्रेन की समुद्र तक पहुंच समाप्त कर दी जाएगी’

रूस के दो ऑयल शिप पर शनिवार (29 नवंबर 2025) को ब्लैक सी में पानी के अंदर चलने वाले ड्रोन (सी बेबी) ने अटैक किया गया. यूक्रेन ने इस हमले की जिम्मेदारी ली. दोनों शिप रूस की शैडो फ्लीट का हिस्सा माने जाते हैं. इसे लेकर भी पुतिन ने यूक्रेन को चेतावनी दी है कि उसकी समुद्र तक की पहुंच को खत्म कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा, “यूक्रेन को समुद्र से अलग कर दिया जाए फिर समुद्री डकैती असंभव हो जाएगी.” पुतिन ने कहा कि रूस यूक्रेनी जहाजों पर हमले तेज करेगा और यूक्रेन की मदद करने वाले देशों के टैंकरों के खिलाफ कदम उठाएगा.

व्यापार और ऊर्जा संबंधों पर बनेगा नया प्लान

रूस ने भारत के साथ अपने व्यापार और ऊर्जा संबंधों को तीसरे देशों के दबाव से सुरक्षित रखने के लिए एक विशेष ढांचा बनाने का सुझाव देते हुए मंगलवार को कहा कि पश्चिमी प्रतिबंधों से भारत का रूसी कच्चे तेल का आयात सीमित अवधि के लिए घट सकता है. क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा कि पुतिन और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच होने वाली शिखर वार्ता में भारी व्यापार घाटे पर भारत की चिंता, छोटे आकार वाले परमाणु रिएक्टरों में सहयोग और रक्षा क्षेत्र एवं ऊर्जा साझेदारी के मुद्दे मुख्य रूप से शामिल होंगे.

डिफेंस सेक्टर में बड़ी डील के आसार

भारत का रूस से आयात लगभग 65 अरब डॉलर है, जबकि रूस का भारत से आयात करीब पांच अरब डॉलर ही है. रक्षा सहयोग के क्षेत्र में पेसकोव ने ब्रह्मोस मिसाइलों के संयुक्त उत्पादन को मिसाल की तरह पेश करते हुए कहा कि यह एडवांस टेक्नोलॉजी साझा करने का मॉडल है. पेसकोव ने कहा, “रूस जटिल रक्षा प्रणालियों और तकनीकी अनुभव को भारत के साथ साझा करने के लिए तैयार है.” उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच सुखोई-57 लड़ाकू विमानों की संभावित आपूर्ति और हवाई प्रतिरक्षा प्रणाली एस-400 की अतिरिक्त खेप पर भी चर्चा हो सकती है.

How GLP-1 Medicines Help Reduce Weight:मोटापे से निपटने के लिए WHO ने GLP-1 हार्मोन आधारित दवा को मंजूरी दी, जानें यह दवा कैसे असर दिखाएगी।

मोटापे का मामला तेजी से बढ़ रहा है, इससे तमाम तरह की बीमारियां हो रही हैं. इसीलिए दुनियाभर में तेजी से बढ़ रहे मोटापे की समस्या से निपटने के लिए WHO ने एक बड़ा कदम उठाया है. WHO ने पहली बार साफ कहा है कि नई पीढ़ी की वजन कम करने वाली दवाएं GLP-1 थैरेपीमोटापा कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं. इन दवाओं में ओजेम्पिक और मौन्जारो जैसे मशहूर ब्रांड शामिल हैं, जो हाल के वर्षों में बेहद लोकप्रिय हुए हैं.

WHO के मुताबिक मोटापा अब सिर्फ एक लाइफस्टाइल इश्यू नहीं, बल्कि एक क्रॉनिक और री-लैप्सिंग बीमारी है, जिसे लंबे समय तक इलाज और देखभाल की जरूरत होती है. इसलिए संस्था ने सलाह दी है कि वयस्कों में मोटापे के इलाज के लिए GLP-1 दवाओं को लंबे समय तक इस्तेमाल करने पर विचार किया जाना चाहिए. हालांकि इससे गर्भवती महिलाओं को बाहर रखा गया है.

मोटापे का खतरनाक स्तर

2022 में मोटापे या बढ़े हुए वजन से जुड़ी बीमारियों के कारण 37 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई. यह संख्या मलेरिया, टीबी और HIV की कुल मौतों से भी अधिक है. WHO का अनुमान है कि अगर स्थिति नहीं बदली तो 2030 तक दुनिया में मोटापे से ग्रस्त लोगों की संख्या दोगुनी हो जाएगी. WHO प्रमुख डॉ. टेड्रोस अधानोम का कहना है कि “मोटापा एक वैश्विक स्वास्थ्य चुनौती है. दवाएं अकेले इस संकट को खत्म नहीं कर सकतीं, लेकिन GLP-1 थैरेपी लाखों लोगों को मोटापा कम करने और उससे जुड़े खतरों को घटाने में मदद कर सकती है.” हालांकि WHO ने यह भी कहा कि अभी भी इन दवाओं के लंबे समय के प्रभाव और सुरक्षा पर और डेटा की जरूरत है.

GLP-1 therapies are changing #obesity care. What does WHO recommend?

Here’s what you need to know. pic.twitter.com/e7EuEmeqxL

— World Health Organization (WHO) (@WHO) December 1, 2025

जादुई इलाज नहीं, लेकिन अहम हथियार

 WHO का कहना है कि GLP-1 दवाओं को सिर्फ दवा के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि इन्हें कई चीजों के साथ जोड़ना चाहिए जिनमें-

  • बेहतर खानपान
  • नियमित शारीरिक एक्सरसाइज
  • व्यवहार में बदलाव

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

रायपुर स्थित शहीद अस्पताल में  एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ. शैलेश जेना कहते हैं कि WHO की यह नई गाइडलाइन सही दिशा में उठाया गया कदम है. उनके अनुसार “GLP-1 दवाओं ने मोटापे के इलाज में उम्मीद से कहीं बेहतर नतीजे दिए हैं. ये दवाएं भूख को नियंत्रित करती हैं, मेटाबॉलिज्म बेहतर करती हैं और इंसुलिन सेंसिटिविटी बढ़ाती हैं. ऐसे में जिन मरीजों पर डाइट और वर्कआउट का असर सीमित रहता है, उनके लिए यह एक बड़ी सहायता साबित हो सकती हैं.” डॉ. शैलेश जेना के मुताबिक मोटापा एक साधारण वजन बढ़ने की समस्या नहीं, बल्कि शरीर में होने वाला मेटाबॉलिक डिसऑर्डर है, जिसे लंबी अवधि की मैनेजमेंट की जरूरत होती है.

Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.