Home Blog Page 4

Sports News:विराट और गायकवाड़ के शतक भी न बचा सके मैच, 358 रनों के बावजूद भारत हारा; दक्षिण अफ्रीका ने दर्ज किया अपना सबसे बड़ा रन चेज

दक्षिण अफ्रीका ने दूसरे वनडे मैच में भारत को 4 विकेट से हरा दिया है. इसी के साथ अफ्रीका ने तीन मैचों की वनडे सीरीज में 1-1 की बराबरी कर ली है. रायपुर में खेले गए इस मैच में टॉस हारने के बाद टीम इंडिया पहले बैटिंग करने आई थी, जिसने विराट कोहली और ऋतुराज गायकवाड़ के शतकों की बदौलत 358 रनों का विशाल स्कोर खड़ा किया था. जवाब में दक्षिण अफ्रीका ने अंतिम ओवर तक चले इस मैच में 4 विकेट शेष रहते जीत दर्ज की.

यह भारतीय सरजमीं पर किसी विदेशी टीम द्वारा ODI में चेज किया गया सबसे बड़ा स्कोर है. इससे पहले ऑस्ट्रेलिया भी भारत में आकर 359 रनों का रिकॉर्ड चेज कर चुकी है, उसने यह कारनामा 2019 में भारत के खिलाफ किया था. अब दक्षिण अफ्रीका ने भी 359 रनों का रन चेज करके इस मामले में ऑस्ट्रेलिया की बराबरी कर ली है.

खराब फील्डिंग भी इस मुकाबले में भारतीय टीम की हार का कारण बनी. भारतीय खिलाड़ियों ने कैच छोड़े, वहीं वाशिंगटन सुंदर और रवींद्र जडेजा ने कई बार मिसफील्डिंग की. वहीं बल्लेबाजी में भी टीम इंडिया की खामियां उजागर हुईं. टीम इंडिया आसानी से 380-390 के स्कोर तक पहुंच सकती थी, लेकिन आखिरी 10 ओवरों में भारतीय बल्लेबाज सिर्फ 74 रन ही बना पाई थी.

भारत के खिलाफ ODI में सबसे बड़े रन चेज

दक्षिण अफ्रीका – 359 रन (2025)

ऑस्ट्रेलिया – 359 रन (2019)

न्यूजीलैंड – 348 रन (2020)

इंग्लैंड – 337 रन (2021)

विराट-गायकवाड़ का शतक बेकार

इस मैच की दोनों पारियों में कुल 721 रन बने. भारत और दक्षिण अफ्रीका की पारी में मिलाकर 3 शतक लगे. टीम इंडिया के लिए विराट कोहली ने 102 रनों की पारी खेली, जो उनके वनडे करियर का 53वां शतक रहा. वहीं ऋतुराज गायकवाड़ ने मात्र 77 गेंदों में अपना शतक पूरा कर लिया था, जो भारत के लिए आए ODI में सबसे तेज शतकों में से एक रहा. उन दोनों की शतकीय पारी बेकार चली गईं, क्योंकि 110 रन बनाने वाले एडन मार्करम अकेले ही कोहली और गायकवाड़ पर भारी पड़े. डेवाल्ड ब्रेविस की 34 गेंद में 54 रन की तेजतर्रार पारी भी भारतीय गेंदबाजों पर भारी पड़ी.

How Blood Is Formed In The Body: मानव शरीर में खून कैसे तैयार होता है, और इस प्रक्रिया में हड्डियों की क्या भूमिका होती है?

हमारे शरीर में ब्लड होता है, यह सबको पता है. लेकिन ये ब्लड हमारे शरीर में कहां बनते हैं या कहां से आते हैं, इसको लेकर काफी लोगों को जानकारी नहीं होती है. हमारे शरीर में खून बनने की शुरुआत हड्डियों के भीतर मौजूद बोन मैरो से होती है. यह बोन मैरो एक तरह का नरम, स्पंजी पदार्थ होता है, जो हड्डियों के बीचों–बीच भरा रहता है. यही वह जगह है जहां शरीर के लगभग 95 प्रतिशत ब्लड के सेल तैयार होते हैं.  बड़े होने के बाद अधिकतर बोन मैरो हमारी कूल्हे की हड्डियों, सीने की हड्डी और रीढ़ की हड्डियों में पाया जाता है.  शरीर के कुछ और अंग भी खून के सेल को संतुलित रखने में अहम भूमिका निभाते हैंय  इनमें लिंफ नोड्स, प्लीहा (स्प्लीन) और लीवर शामिल हैं.  ये अंग मिलकर तय करते हैं कि किस समय खून के सेल कितने बनेंगे, कब टूटेंगे और कब किसी खास प्रकार के सेल में बदलेंगे.

बोन मैरो में बनने वाले सभी  ब्लड सेल्स शुरुआत में एक स्टेम सेल के रूप में होती हैं. यही स्टेम सेल धीरे-धीरे बदलकर अलग-अलग तरह के सेल में विकसित होती हैं.  इनमें रेड ब्लड सेल्स, व्हाइट ब्लड सेल्स और प्लेटलेट्स शामिल हैं.  जब ये अधूरे रूप में होते हैं, तो इन्हें ‘ब्लास्ट’ कहा जाता है. कुछ ब्लास्ट बोन मैरो में ही रहकर आगे विकसित होते हैं, जबकि कुछ शरीर के अलग-अलग हिस्सों में जाकर पूरे विकसित सेल बन जाते हैं.

खून की हर सेल्स का क्या काम होता है?

रेड ब्लड सेल्स : इनका मुख्य काम है फेफड़ों से ऑक्सीजन पूरे शरीर तक पहुंचाना और शरीर में बनने वाली कार्बन डाइऑक्साइड को वापस फेफड़ों तक लाना. इन सेल्स में मौजूद हीमोग्लोबिन नाम का प्रोटीन इसी प्रक्रिया को आसान बनाता है.

व्हाइट ब्लड सेल्स: इनका काम है शरीर को इंफेक्शन से बचाना. इनमें कई तरह की सेल्स शामिल होती हैं, जैसे न्यूट्रोफिल्स, ईओसिनोफिल्स, लिम्फोसाइट्स, मोनोसाइट्स और बेसोफिल्स.  हर एक प्रकार की कोशिका किसी न किसी खास तरह के इंफेक्शन से लड़ने में माहिर होती है.

इसके अलावा प्लेटलेट्स शरीर में खून जमाने का काम करती हैं, ताकि चोट लगने पर खून बहना रुक सके. शरीर में इन तीनों में से अगर किसी की भी कमी हो जाती है, तो शरीर में इसके लक्षण दिखने लगते हैं.

ब्लड क्या है?
खून वह जीवन को बनाए रखने वाला तरल है जो पूरे शरीर की ब्लड- वेसल्स में लगातार बहता रहता है. ये वेसल्स तीन तरह की होती हैं आर्टरी वेनिस और  लिरिक्स खून इन्हीं रास्तों से पूरे शरीर में घूमकर ऑक्सीजन, पोषक तत्व और जरूरी तत्व पहुंचाता है और बेकार पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है.

Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

Health Tips:सर्दियों में ज्यादा नमकीन और तला-भुना खाने से बढ़ सकती हैं कई परेशानियां, जानें अधिक नमक सेवन से होने वाले नुकसान

सर्दियों के शुरू होते ही लोगों को अक्सर बाहर का खाना खाने का मन करने लगता है, जिसमें नमकीन पकवान जैसे मठरी, चिप्स, समोसे, गर्म गर्म पकोड़े आदि तला-भुना और नमकीन चीजें शामिल हैं. अगर आप भी ज्यादातर दुकानों और होटलों का खाना खाते हैं तो यह आपकी सेहत के लिए काफी नुकसानदायक साबित हो सकता है, जिससे आपको कई बीमारियां होने का खतरा रहता है.

आज के समय में लोग स्ट्रीट फूड की तरह-तरह के खाने के बहुत शौकीन हो रहे हैं, जिसमें अक्सर नमकीन और तला हुआ खाना होता है जो आपकी हार्ट हेल्थ और किडनी पर गंभीर असर डाल सकता है. क्योंकि सर्दियों के समय हम शारीरिक काम थोड़ा कम कर देते हैं, जिससे हमारा मेटाबॉलिज्म धीमा पड़ जाता है. आयुर्वेद और विज्ञान दोनों ही मानते हैं कि ज्यादा नमकीन खाना खाने से हमारी सेहत पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है.

ज्यादा नमक खाने के नुकसान

हड्डियों की कमजोरी

नमक भारतीय किचन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसे हम रोज खाते हैं, लेकिन आपको पता है ज्यादा नमक खाने से हमारी हड्डियां कमजोर होती हैं क्योंकि ज्यादा नमक की मात्रा से शरीर में कैल्शियम की कमी होती है, जो हड्डियों की मजबूती के लिए सही नहीं है.

किडनी खराब

खाने में ज्यादा नमक की मात्रा होने से हमारी किडनी पर गंभीर असर देखने को मिलता है, जिससे किडनी के काम करने की क्षमता धीमी हो जाती है. क्योंकि इंसानी किडनी को सोडियम को फिल्टर करने में ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है. इसलिए अगर आप रोज अपने खाने में ज्यादा नमक डालते हैं, तो ये आपकी किडनी हेल्थ के लिए हानिकारक है.

त्वचा खराब होना

सर्दियों में हमारी त्वचा सूखी और बेजान रहती है. ज्यादा नमक खाने से शरीर में पानी का संतुलन बिगड़ता है और स्किन और ज्यादा ड्राई हो सकती है. इससे चेहरा बेजान लगता है और चेहरे पर झुर्रियां जल्दी दिखने लगती हैं.

ब्लड प्रेशर बढ़ने का खतरा

नमक ज्यादा लेने से आपके हार्ट पर असर पड़ता है, जिससे हाई बीपी की समस्या हो सकती है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि सोडियम खून में पानी की मात्रा बढ़ा देता है, जिससे कोशिकाओं पर दबाव बढ़ता है.

वजन बढ़ना

ठंड में बाहर का तला-भुना खाना जैसे पकोड़े, समोसे, चाट ज्यादा खाया जाता है. इनमें नमक भी अधिक होता है और सर्दियों में शारीरिक मेहनत कम होने के कारण वजन बढ़ सकता है.

पानी रुकने की समस्या

सर्दी के मौसम में प्यास कम लगती है. ऐसे में ज्यादा नमक खाने से शरीर में पानी रुकने लगता है, जिससे चेहरे, हाथों और पैरों पर सूजन दिखाई देने लगती है.

दिसंबर में सिर्फ 10 हजार में करें इन 3 बेहतरीन स्थानों की सैर, बजट-फ्रेंडली ट्रिप का बनाएं शानदार प्लान

आज के समय में लोगों के पास खुद के लिए समय नहीं होता है। काम का प्रेशर इतना अधिक होता है कि वह खुद को सुकून देने के लिए बाहर कहीं घूमने की योजना बनाते हैं। वहीं अब घूमना फिरना सिर्फ शौक नहीं बल्कि जिंदगी की भागदौड़ में अपने आप को फिर से फ्रेश करने का तरीका बनता जा रहा है। लेकिन हर किसी के पास इतना पैसा नहीं है कि वह हर महीने ट्रिप प्लान कर सकें। इसलिए कुछ लोग पहले पैसे इकट्ठे करते हैं और फिर घूमने का प्लान बनाते हैं। कम बजट में घूमने वाले लोगों के लिए 10,000 रुपए भी बहुत अधिक होते हैं। इसलिए आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपके लिए कुछ ट्रैवल लिस्ट लेकर आए हैं। ऐसे में अगर आप भी इन जगहों पर जाने का प्लान बनाती हैं, तो आसानी से कम बजट में आराम से घूम सकेंगी।

कसौल

दिल्ली से पहले भुंतर और फिर कसोल की बस लें। सर्दियों में बर्फीली घाटियां और सुकून वाली जगहें ढूंढ रहे लोगों के लिए बेस्ट जगह है। फ्रेंड्स, परिवार और कपल्स के लिए यह अच्छी है। यहां आने के लिए रात में बस लें, जिससे होटल का एक दिन का किराया बच सके। आप गेस्ट हाउस या होमस्टे में रात गुजार सकते हैं। आप कम खर्चे के लिए लोकल ढाबों और स्टॉस से खाना खाएं। निकलने से पहले वॉटर बॉटल, स्नैक्स और पावर बैंक रखना न भूलें।

नैनीताल

नैनीताल जाने के लिए आप दिल्ली से हल्द्वानी या काठगोदाम के लिए बस पकड़ें। इसके बाद नैनीताल पहुंचे। कपल्स के लिए नैनीताल एक परफेक्ट लोकेशन माना जाता है। हालांकि अगर आप बजट का ध्यान नहीं रखेंगी, तो अधिक खर्च हो सकता है। यहां का मौसम ठंडा होता है। नैनीताल में पहाड़, झीले, हरा-भरा वातावरण और शांत वातावरण इस जगह को खास बनाती हैं। आपको यहां पर बस से आना सस्ता पड़ेगा। आप नाइट बस लें, जिससे कि एक दिन का होटल का किराया बच सके। वहीं नैनी झील में बोटिंग कर सकती हैं। लेकिन प्रयास करें कि एक्टिविटी पर अधिक खर्च न करें। यहां के नजारे का और वातावरण का आनंद उठाएं। क्योंकि अलग-अलग एक्टिविटी पर अधिक खर्च हो सकता है।

ऋषिकेश

आप दिल्ली से ऋषिकेश के लिए सीधा बस पकड़ सकती हैं। आप 10 हजार के बजट में आराम से ऋषिकेश को एक्सप्लोर कर सकते हैं। हालांकि यहां पर भीड़ काफी होती है। एक रात के लिए 800-900 रुपए में होटल मिल जाएगा। वहीं जो लोग सस्ती में अच्छी जगह को एक्सप्लोर करना चाहते हैं, तो ऋषिकेश आपके लिए बेस्ट डेस्टिनेशन हो सकता है। यहां पर आप आरती, घाट और शाम को सुकून के लिए गंगा किनारे आराम से घूम सकती हैं।

पाकिस्तान के लाहौर में 25 साल बाद पतंगबाज़ी की अनुमति, जानें आखिर किस कारण लगा था बैन्।

लगभग ढाई दशक बाद पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में पतंगबाजी की वापसी हो गई है. सरकार ने बसंत उत्सव पर पतंग उड़ाने की अनुमति दे दी है, लेकिन इसके लिए सख्त नियम लागू किए गए हैं. पंजाब के गवर्नर सरदार सलीम हैदर ने इस आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए हैं. इस फैसले के बाद पंजाब की सांस्कृतिक पहचान और परंपरा फिर से जीवंत होने की उम्मीद है.

नियमों के साथ मिली अनुमति
सरकार ने स्पष्ट किया है कि अब पतंगबाजी की जा सकती है, लेकिन केवल तय नियमों और सुरक्षा मानकों के तहत. यह कदम संस्कृति को बचाने के साथ-साथ लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है. अगर कोई व्यक्ति कानून तोड़ता है, तो उसे भारी सजा का सामना करना पड़ेगा. नए कानून के अनुसार नियम तोड़ने वालों को कम से कम तीन साल और अधिकतम पांच साल तक की जेल हो सकती है. इसके साथ ही दो मिलियन रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है. पुलिस को संदिग्ध स्थानों और घरों की तलाशी लेने की अनुमति भी दी गई है और इस कानून में दर्ज मामले जमानती नहीं होंगे.

खतरनाक मांझे पर पूरी तरह रोक
सरकार ने केवल साधारण धागे का इस्तेमाल करने की अनुमति दी है. धातु वाली डोर, केमिकल से लेपित धागा, कांच या ब्लेड जैसी धार वाला मांझा पूरी तरह प्रतिबंधित है. ऐसे धागे का इस्तेमाल करने वालों पर सख्त कानूनी कार्रवाई होगी.

बच्चों के लिए भी नियम
18 साल से कम उम्र के बच्चों को पतंग उड़ाने की अनुमति नहीं होगी. अगर कोई नाबालिग पहली बार पतंग उड़ाता पकड़ा गया, तो उस पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा और दूसरी बार नियम तोड़ने पर जुर्माना बढ़कर 1 लाख रुपये हो जाएगा. अगर भुगतान नहीं किया गया तो बच्चे के अभिभावक के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

QR कोड से होगी निगरानी
सरकार ने पतंगबाजी को नियंत्रित तरीके से करने के लिए पंजीकरण प्रणाली लागू की है. पतंग बेचने वाले और मांझा बनाने वाले सभी दुकानदारों को सरकार के साथ रजिस्टर्ड होना पड़ेगा. हर पतंग और संबंधित दुकान पर QR कोड होगा ताकि नियमों की निगरानी की जा सके. इसके अलावा, पतंग उड़ाने वाले क्लबों को भी डिप्टी कमिश्नर के ऑफिस में पंजीकरण कराना होगा.सरकार ने यह भी कहा है कि नियम तोड़ने वालों की शिकायत करने वालों को प्रोत्साहन देने की व्यवस्था भी की जाएगी.