
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के 136वें दीक्षांत समारोह में युवाओं को संबोधित करते हुए बोले- “समय के साथ कदमताल करें, विरोध से नहीं होगा विकास”
- सीएम योगी ने समय के साथ बदलाव और सकारात्मक सोच अपनाने का संदेश दिया।
- युवाओं को विकास के लिए नारेबाजी छोड़कर रचनात्मक कार्यों में लगने की प्रेरणा दी।
- राष्ट्र धर्म को सर्वोपरि मानते हुए जाति और मजहब की राजनीति को नकारा।
- वीर सावरकर और रामप्रसाद बिस्मिल को युवाओं के लिए आदर्श बताया।
- इलाहाबाद विश्वविद्यालय की गौरवशाली परंपरा को आगे बढ़ाने का आह्वान किया।

प्रयागराज/लखनऊ, 27 नवंबर 2024: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के 136वें दीक्षांत समारोह के दौरान छात्रों को संबोधित करते हुए जीवन में बदलाव के प्रति सकारात्मक सोच अपनाने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि जो लोग नए विचारों और सुधारों का विरोध करते हैं, वे विकास में बाधा उत्पन्न करते हैं। समय के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना ही सफलता की कुंजी है।
सीएम योगी ने कहा, “समय बड़ा निर्मम होता है। यदि हम इसके साथ नहीं चलते तो यह हमें पीछे छोड़ देता है। हमें समाज और राष्ट्र के विकास के लिए नए ज्ञान को अंगीकार करना होगा। नारे लगाने और विरोध करने से विकास संभव नहीं है।”
“राष्ट्र धर्म के प्रति समर्पण जरूरी”

मुख्यमंत्री ने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि हमारा हर क्षण और प्रयास राष्ट्र धर्म के प्रति समर्पित होना चाहिए। उन्होंने कहा, “जो लोग जाति, मत और मजहब के आधार पर युवाओं को बांटते हैं, वे भारत की ऊर्जा को विभाजित करने का पाप कर रहे हैं। ऐसे लोगों को कभी बढ़ावा नहीं देना चाहिए।”
उन्होंने युवाओं को इतिहास से प्रेरणा लेने की सलाह दी। सीएम ने कहा कि वीर सावरकर, पंडित रामप्रसाद बिस्मिल और महाराणा प्रताप जैसे महानायक युवावस्था में ही देश के लिए अपना जीवन समर्पित कर चुके थे।
समाजवाद पर कटाक्ष, परिवारवाद पर प्रहार

समाजवाद के नाम पर परिवारवाद को बढ़ावा देने वालों पर निशाना साधते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, “सच्चा समाजवादी वह है, जो संपत्ति और संतति से दूर होकर समाज की सेवा करे। डॉ. राम मनोहर लोहिया ने समाजवाद का जो आदर्श स्थापित किया था, उसे आज के परिवारवादी नेता भूल चुके हैं। समाजवाद के नाम पर चाटुकारिता करने वाले कभी आदर्श नहीं बन सकते।”
प्रख्यात कवि कुमार विश्वास को डी.लिट् की उपाधि

इस अवसर पर सीएम योगी ने प्रख्यात कवि डॉ. कुमार विश्वास को इलाहाबाद विश्वविद्यालय की ओर से डी.लिट् की मानद उपाधि प्रदान की। उन्होंने कहा कि ऐसे व्यक्तित्व समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
विश्वविद्यालय का पुरातन गौरव लौटाने की प्रतिबद्धता
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय की ऐतिहासिक महत्ता का उल्लेख करते हुए कहा कि यह विश्वविद्यालय समाज के हर क्षेत्र के लिए प्रतिभाशाली युवाओं को तैयार करता रहा है। उन्होंने विश्वास जताया कि विश्वविद्यालय अपने पुराने गौरव को पुनः प्राप्त करेगा।
दीक्षांत उपदेश और भारतीय परंपरा का महत्व
मुख्यमंत्री ने दीक्षांत उपदेश की महत्ता पर बात करते हुए कहा, “यह केवल शिक्षा का अंत नहीं, बल्कि एक नए जीवन की शुरुआत है।” उन्होंने तैत्तिरीय उपनिषद के श्लोकों का उल्लेख करते हुए छात्रों को सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने का आह्वान किया।
कुंभ पर शोध को प्रोत्साहन
सीएम योगी ने छात्रों से प्रयागराज के कुंभ और माघ मेले पर शोध करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इन आयोजनों का धार्मिक, आर्थिक और सामाजिक महत्व है, और इस पर किए गए शोध से छात्रों को एक नया दृष्टिकोण मिलेगा।
आधुनिक प्रौद्योगिकी और प्रगति को अपनाने का आह्वान
मुख्यमंत्री ने तकनीकी प्रगति का उल्लेख करते हुए कहा कि आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ऑटोमेशन और इंटरनेट ऑफ थिंग्स जैसी तकनीकें जीवन को आसान बना रही हैं। उन्होंने कहा, “विज्ञान और तकनीक के विकास से दूर रहना अपने और समाज के साथ अन्याय होगा।”
पुराने छात्रों को जोड़ने की पहल
सीएम योगी ने विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों को वर्तमान शिक्षा प्रणाली से जोड़ने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इससे विश्वविद्यालय की भौतिक और अकादमिक प्रगति को नई दिशा मिलेगी।
राजनीति में पढ़े-लिखे युवाओं की जरूरत
मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्वविद्यालयों को युवा संसद जैसे मंच तैयार करने चाहिए, जहां छात्र नेता के रूप में समाज को नई दिशा दें। उन्होंने कहा कि राजनीति में पढ़े-लिखे और संवेदनशील युवाओं का आना जरूरी है।
समारोह में उपस्थित गणमान्य
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के अध्यक्ष आशीष कुमार चौहान, कुलपति प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव, जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी, महापौर गणेश केशरवानी और अन्य वरिष्ठ नेता एवं अधिकारी उपस्थित रहे।
मुख्यमंत्री के प्रेरक संबोधन ने छात्रों को उनके जीवन के नए चरण के लिए तैयार होने और समाज के प्रति जिम्मेदारी निभाने की सीख दी। “समय की गति के साथ कदमताल करना ही सफलता का मूलमंत्र है,” यह संदेश समारोह का मुख्य आकर्षण रहा।