
- नई दिल्ली के होटल द ललित में आयोजित हुआ राष्ट्रीय पर्यावरणीय सेवा सम्मेलन
- डॉ. राजेश्वर सिंह ने अंतरपीढ़ीय जलवायु न्याय को बताया संवैधानिक जिम्मेदारी
- भारत की $1 बिलियन कार्बन क्रेडिट बाजार क्षमता को सक्रिय करने की जरूरत जताई
- वनीकरण, टिकाऊ कृषि और ईवी ढांचे में हरित क्रेडिट सृजन की अपार संभावना बताई
- प्रधानमंत्री मोदी के पंचामृत संकल्प को नेट ज़ीरो लक्ष्य से जोड़ते हुए समर्थन जताया

नई दिल्ली, 13 जून 2025: सरोजनीनगर से भारतीय जनता पार्टी के विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित राष्ट्रीय पर्यावरणीय सेवा सम्मेलन एवं मस्केटियर्स अवॉर्ड्स – 2025 में भाग लिया। यह भव्य आयोजन सेवाएं निर्यात संवर्धन परिषद (SEPC) द्वारा भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के तत्वावधान में होटल द ललित, नई दिल्ली में संपन्न हुआ।

डॉ. सिंह को इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था। उन्होंने अपने संबोधन में भारत के हरित भविष्य के लिए एक दूरदर्शी खाका प्रस्तुत किया और हरित नवाचार, ESG सुधार, कौशल विकास तथा अंतरपीढ़ीय जलवायु न्याय पर गहन चर्चा की।
डॉ. राजेश्वर सिंह का वक्तव्य: पर्यावरणीय चिंताओं पर चेतावनी और समाधान

डॉ. सिंह ने अपने भाषण में कहा: “औद्योगिकीकरण के बाद से पृथ्वी का तापमान पहले ही 1.5°C बढ़ चुका है। यदि यह 0.5°C और बढ़ा, तो कई पारिस्थितिकी तंत्र अपरिवर्तनीय रूप से नष्ट हो सकते हैं। यह अब सिर्फ पर्यावरण नहीं, बल्कि नैतिक, संवैधानिक और अंतरपीढ़ीय उत्तरदायित्व का विषय है।”
उन्होंने प्रजातियों की विलुप्ति, प्लास्टिक प्रदूषण, और भविष्य की पीढ़ियों पर पड़ने वाले प्रभावों पर भी चिंता जताई।
भारत की $1 बिलियन कार्बन बाजार क्षमता को जागृत करने का आह्वान
डॉ. सिंह ने भारत की हरित क्रेडिट और कार्बन ट्रेडिंग क्षमता को एक बड़ा अवसर बताते हुए कहा कि देश में:
$1 बिलियन से अधिक मूल्य का कार्बन क्रेडिट बाजार विकसित किया जा सकता है। यह न केवल वैश्विक निवेश आकर्षित करेगा बल्कि उत्सर्जन में कटौती और SDGs की दिशा में भी योगदान देगा। इसके लिए नीति सुधार, सत्यापन प्रणाली और विनियामक ढांचे को सुदृढ़ बनाना अत्यंत आवश्यक है।
हरित क्रेडिट उत्पादन में भारत की विशाल क्षमता
डॉ. सिंह ने उल्लेख किया कि भारत के पास निम्नलिखित संसाधनों के आधार पर हर साल लाखों ग्रीन क्रेडिट उत्पन्न करने की क्षमता है:
- कृषि भूमि का पुनर्वनीकरण
- 186 GW+ नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता
- ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में नवाचार
- इलेक्ट्रिक वाहन (EV) इन्फ्रास्ट्रक्चर
उन्होंने जोर देकर कहा कि वनीकरण, टिकाऊ कृषि, जैव-ऊर्जा जैसे अभी तक कम उपयोग में लाए गए क्षेत्र, मजबूत जलवायु क्रेडिट के स्रोत बन सकते हैं।
कौशल निर्माण और ESG अनुपालन की जरूरत
डॉ. सिंह ने कहा कि हरित भविष्य के लिए कौशल निर्माण और ESG (Environmental, Social & Governance) अनुपालन महत्वपूर्ण है। उन्होंने युवाओं में ग्रीन जॉब्स और सस्टेनेबल टेक्नोलॉजी में दक्षता विकसित करने पर ज़ोर दिया।
SEPC के प्रयासों की सराहना और पीएम मोदी के पंचामृत संकल्प का उल्लेख
डॉ. सिंह ने SEPC के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि संस्था ने ESG, कार्बन मार्केट, ग्रीन फाइनेंस और पर्यावरणीय सेवाओं के निर्यात को एक मंच प्रदान किया है।
उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा COP26, ग्लासगो में दिए गए पंचामृत संकल्प का उल्लेख किया, जिसे भारत ने अपनी उन्नत राष्ट्रीय निर्धारित योगदान (NDC) और कम-कार्बन विकास रणनीतियों में शामिल किया है। यह 2070 तक नेट-जीरो एमिशन के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक सशक्त पहल है।
पर्यावरण मस्केटियर्स अवॉर्ड्स – 2025: ग्रीन हीरोज का सम्मान
सम्मेलन के दौरान पर्यावरण मस्केटियर्स अवॉर्ड्स 2025 के माध्यम से उन संस्थाओं और व्यक्तियों को सम्मानित किया गया, जिन्होंने पर्यावरणीय नवाचार और स्थिरता के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है।
कार्यक्रम में प्रमुख उपस्थितियाँ:
- विनय कुमार (IFS), ICFRE
- मनीष डबकारा, प्रमुख, पर्यावरणीय सेवाएं, SEPC
- अभय कुमार सिन्हा, महानिदेशक, SEPC
- तरविंदर कौर, वरिष्ठ निदेशक, SEPC
- पियूष मिश्रा, संस्थापक, नेट ज़ीरो इंडिया फाउंडेशन
तथा अन्य पर्यावरणविद् और नीति निर्माता
सम्मेलन की खास बातें
- नीतिगत संवाद और तकनीकी पैनल चर्चा
- नेटवर्किंग सत्र और ग्रीन इनोवेशन शोकेस
- भारत की हरित सेवा क्षमताओं को वैश्विक मंच तक पहुंचाने का प्रयास
भारत को बनना होगा ग्रीन लीडर
डॉ. राजेश्वर सिंह का स्पष्ट संदेश था कि भारत को अपनी हरित संभावनाओं का पूर्ण उपयोग करते हुए वैश्विक ग्रीन इकोनॉमी में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए। जलवायु न्याय, सस्टेनेबिलिटी और आर्थिक विकास के त्रिकोण को एक साथ साधने का यही सही समय है।