
- राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने राजभवन में उत्तराखंड राज्य के स्थापना दिवस समारोह का आयोजन किया।
- जल संरक्षण पर आधारित ‘जल चालीसा’ का ऑडियो विमोचन किया गया।
- राज्यपाल ने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में उत्तराखंड के अभूतपूर्व विकास की सराहना की।
- उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के किसानों की प्रेरणादायक कहानी, जिन्होंने मिलेट्स से बिस्किट बनाने की फैक्ट्री स्थापित की।
- ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ योजना के तहत विभिन्न राज्यों की सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा देने की दिशा में कदम उठाए गए।

लखनऊ, 5 दिसंबर, 2024: उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में आज राजभवन में उत्तराखंड राज्य के स्थापना दिवस का भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर राज्यपाल ने जल संरक्षण और जल की महिमा पर आधारित एक संगीतमय ‘जल चालीसा’ का ऑडियो विमोचन किया। यह ऑडियो जल के महत्व को समझाने और जल संरक्षण के उपायों को बढ़ावा देने के लिए एक अभिनव प्रयास है। राज्यपाल ने उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर, ऐतिहासिक महत्व और प्राकृतिक सौंदर्य की सराहना करते हुए राज्य के विकास की दिशा में किए गए कार्यों का उल्लेख किया।

राज्यपाल ने अपने संबोधन में कहा कि उत्तराखंड की भूमि धार्मिक स्थलों का घर है, जहां सबसे अधिक तीर्थ स्थल स्थित हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उत्तराखंड के लोग अपनी मेहनत, समर्पण और देशभक्ति के लिए प्रसिद्ध हैं, और यहां के लोग हमेशा सहयोग और सद्भाव के साथ रहते हैं। राज्यपाल ने यह भी बताया कि पिछले 10 वर्षों में उत्तराखंड का अभूतपूर्व विकास हुआ है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सक्षम नेतृत्व और उनके दूरदर्शी कार्यों का परिणाम है। राज्यपाल ने प्रधानमंत्री मोदी के योगदानों को वैश्विक स्तर पर मान्यता मिलने की बात करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री जी ने महिला शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़कों और अस्पतालों के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए हैं। उनके कार्यों के परिणामस्वरूप भारत का समग्र विकास हुआ है, और यह सुनिश्चित हुआ है कि देश के प्रत्येक नागरिक को सभी आवश्यक सुविधाएं मिलें। उन्होंने उत्तराखंड के किसानों की कठिन मेहनत और कृषि में उनके योगदान की सराहना की, विशेष रूप से मोटे अनाज (श्रीअन्न) के प्रचार में केंद्र सरकार के प्रयासों के चलते राज्य के किसानों को बड़ा लाभ हुआ है।

उन्होंने बागेश्वर जिले के मुनार गांव के किसानों की प्रेरणादायक कहानी साझा की, जिन्होंने मिलेट्स (मंडवा, चौलाई, मक्का और जौ) की खेती को एक नई दिशा दी। इन किसानों ने सहकारी संस्था बना कर मिलेट्स से बिस्किट बनाने की फैक्ट्री स्थापित की, जो आयरन रिच होने के कारण गर्भवती महिलाओं के लिए बहुत उपयोगी हैं। इस परियोजना ने 900 से अधिक परिवारों को रोजगार मुहैया कराया और इसे राष्ट्रीय आजीविका मिशन से भी जोड़ा गया, जिससे इस पहल को और मजबूती मिली। उत्तराखंड के चार धाम—गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ—की आध्यात्मिक महत्ता का उल्लेख करते हुए राज्यपाल ने इन स्थानों को भारत की सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न हिस्सा बताया। साथ ही, राज्यपाल ने ‘होम स्टे योजना’ की सराहना की, जो पर्यटन क्षेत्र में रोजगार का एक महत्वपूर्ण स्रोत बन रही है। राज्यपाल ने उत्तराखंड के प्रमुख पर्यटन स्थलों, जैसे नैनीताल, मंसूरी, औली, रानीखेत, भीमताल, कौसानी, लैंसडाउन, पिंडारी ग्लेशियर, और हरिद्वार का भी उल्लेख किया और कहा कि हरिद्वार में आयोजित होने वाला कुम्भ मेला भारत की सांस्कृतिक धरोहर का एक अद्भुत उदाहरण है।

राज्यपाल ने उत्तराखंड के सीमावर्ती क्षेत्रों में हुए विकास कार्यों का जिक्र करते हुए कहा कि पिछले कुछ वर्षों में इन क्षेत्रों में 4,200 किमी सड़कों, 250 पुलों और 22 सुरंगों का निर्माण किया गया है, जिससे सीमावर्ती इलाकों की कनेक्टिविटी बेहतर हुई है। उन्होंने यह भी बताया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में केंद्र सरकार ने उत्तराखंड में अवस्थापना विकास की 37 योजनाओं को मंजूरी दी है। इसके अलावा, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत पर्वतीय क्षेत्रों में 250 से अधिक आबादी वाले इलाकों को सड़कों से जोड़ा जा रहा है। राज्यपाल ने केंद्र सरकार द्वारा रेल परियोजनाओं के लिए स्वीकृत 5,131 करोड़ रुपये के बजट का भी उल्लेख किया और बताया कि उच्च शिक्षा, स्वास्थ्य, सिंचाई और लोक निर्माण कार्यों के लिए भी पर्याप्त बजट का प्रावधान किया गया है।

कार्यक्रम के दौरान उत्तराखंड की समृद्ध संस्कृति, पारंपरिक खानपान, संगीत, प्रमुख तीर्थ स्थलों और महान व्यक्तित्वों पर आधारित एक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। राज्यपाल ने इस प्रदर्शनी और रंगोली कृतियों का अवलोकन किया। इस आयोजन के दौरान उत्तराखंड राज्य पर आधारित एक विशेष डाक्यूमेंट्री भी प्रदर्शित की गई, जिसमें राज्य की स्थापना से लेकर उसकी लोक संस्कृति, ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण स्थलों के साथ-साथ हाल के वर्षों में हुए विकास कार्यों को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया गया। राज्यपाल के साथ इस आयोजन में अपर मुख्य सचिव डॉ. सुधीर महादेव बोबडे, संस्कृति विभाग और एनसीजेडसीसी, प्रयागराज के अधिकारी, विशेष सचिव श्रीप्रकाश गुप्ता, विशेष कार्याधिकारी डॉ. पंकज एल0 जानी, और अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ-साथ छात्र-छात्राएं भी उपस्थित रहे।