
आत्मनिर्भर गोशालाओं की ओर प्रदेश सरकार का बड़ा कदम
- प्रदेश सरकार 12.43 लाख निराश्रित गोवंश का संरक्षण कर रही है, गोशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए गोबर व गोमूत्र उत्पादों को प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
- मुजफ्फरनगर में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) की मदद से 5000 गोवंश की क्षमता वाली काऊ सेंचुरी और CBG प्लांट स्थापित किया गया।
- राज्य में 543 वृहद गो संरक्षण केंद्रों को मंजूरी, 372 केंद्र पहले ही संचालन में, गोवंश की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय राजमार्गों पर सीसीटीवी और रेडियम बेल्ट की व्यवस्था।
- 2025 तक दूध प्रसंस्करण क्षमता को दोगुना करने की योजना, कानपुर, गोरखपुर, कन्नौज और झांसी में नए डेयरी प्लांट्स का विस्तार।
- उत्तर प्रदेश सरकार गाय और गोपालन को स्कूल पाठ्यक्रम में शामिल करने पर विचार कर रही है, जिससे नई पीढ़ी में पशुपालन के प्रति जागरूकता बढ़े।
महाकुंभ नगर, 08 फरवरी 2025: उत्तर प्रदेश में गो संरक्षण एवं दुग्ध विकास को मजबूती देने के लिए पशुपालन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने महाकुंभ नगर, प्रयागराज में विभागीय अधिकारियों के साथ प्रदेश स्तरीय समीक्षा बैठक की। इस बैठक में प्रयागराज, विंध्याचल और वाराणसी मंडल के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। समीक्षा बैठक में गोशालाओं की आत्मनिर्भरता, गो आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था और दुग्ध उत्पादन को लेकर गहन चर्चा की गई।
उत्तर प्रदेश में गो संरक्षण को नई गति
उत्तर प्रदेश सरकार प्रदेश में 7713 गो आश्रय स्थलों में 12.43 लाख निराश्रित गोवंश का संरक्षण कर रही है। इन आश्रय स्थलों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए गोबर एवं गोमूत्र से उत्पाद निर्माण और विपणन की योजनाओं पर काम किया जा रहा है।
- सरकार ने गोवंश के भरण-पोषण हेतु अनुदान ₹30 से बढ़ाकर ₹50 प्रति दिन कर दिया है।
- मुख्यमंत्री सहभागिता योजना के तहत 1.62 लाख निराश्रित गोवंश को 1.05 लाख लाभार्थियों को सुपुर्द किया गया है।
- राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) के सहयोग से मुजफ्फरनगर में 5000 गोवंश की क्षमता वाली काऊ सेंचुरी और CBG प्लांट स्थापित किया गया है।
- 543 वृहद गो संरक्षण केंद्रों की स्थापना को मंजूरी दी गई है, जिनमें से 372 केंद्रों का संचालन पहले ही शुरू हो चुका है।
- राष्ट्रीय राजमार्गों पर गोवंश सुरक्षा के लिए रेडियम बेल्ट और सीसीटीवी निगरानी योजना क्रियान्वित की जा रही है।
दुग्ध उत्पादन में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ता उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश सरकार दुग्ध उत्पादन और प्रसंस्करण को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाओं पर कार्य कर रही है।
- प्रदेश सरकार ने 38 जिलों में NGO और महिला स्वयं सहायता समूहों की सहायता से गोकास्ट, गोदीप, वर्मी कम्पोस्ट और बायोगैस का उत्पादन शुरू किया है।
- सेक्सड सीमेन तकनीक को प्रोत्साहित करते हुए ₹700 मूल्य वाले सीमेन डोज को ₹100 में उपलब्ध कराया जा रहा है।
- 8000 युवाओं को पैरावेट के रूप में प्रशिक्षित कर कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम से जोड़ा गया है।
- ब्राजील से 100 साहीवाल भ्रूण आयात कर IVF और ETT तकनीक के माध्यम से उच्च दुग्ध उत्पादन क्षमता वाले गोवंश का संवर्धन किया जा रहा है।
- 520 मोबाइल वेटनरी यूनिट्स स्थापित की गई हैं, जो टोल-फ्री नंबर 1962 पर पशु चिकित्सा और टीकाकरण सेवाएं उपलब्ध करा रही हैं।
दुग्ध उत्पादन और प्रसंस्करण की नई योजनाएं
उत्तर प्रदेश में दुग्ध प्रसंस्करण क्षमता को बढ़ाने के लिए सरकार बड़े कदम उठा रही है।
- जनवरी 2025 तक दुग्ध उपार्जन 6.28 लाख किलोग्राम प्रतिदिन तक पहुंच चुका है, जबकि पीसीडीएफ डेयरी प्लांट्स में 9 लाख लीटर प्रतिदिन दूध प्रसंस्करण किया जा रहा है।
- कानपुर (4 LLPD), गोरखपुर (1 LLPD) और कन्नौज (1 LLPD) में डेयरी प्लांट्स स्थापित किए जा रहे हैं।
- बुंदेलखंड पैकेज के तहत बांदा में 20 LLPD क्षमता की नवीन डेयरी का निर्माण हो रहा है।
- झांसी में 10 KLPD क्षमता के डेयरी प्लांट को 30 KLPD तक विस्तारित करने की योजना मंजूर की गई है।
- मथुरा में 30 KLPD क्षमता के डेयरी प्लांट के लिए राज्य योजना के अंतर्गत ऋण स्वीकृत किया गया है।
शिक्षा और गोशालाओं की समृद्धि के लिए नई पहल
प्रदेश सरकार गाय और गोपालन को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने की योजना बना रही है।
- भारतीय चारा अनुसंधान संस्थान, झांसी के सहयोग से वर्मी कम्पोस्ट, साइलेज निर्माण और हरा चारा उत्पादन तकनीक का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
- ग्राम पंचायत स्तर पर सहकारी दुग्ध समितियों को जोड़ने के लिए नंदबाबा दुग्ध मिशन के तहत 1046 समितियों का गठन किया गया है।
- राष्ट्रीय पशुधन मिशन (NPDD) के तहत किसानों और दुग्ध उत्पादकों को प्रशिक्षण देकर उनकी आय बढ़ाने का लक्ष्य है।
- पीसीडीएफ द्वारा निर्मित पशु आहार, मिनरल मिक्सचर और मुफ्त दवाओं का वितरण जारी है।
- सरकार का लक्ष्य 2025-26 तक 4000 नई दुग्ध समितियों का गठन करना है।
उत्तर प्रदेश सरकार गो संरक्षण एवं दुग्ध विकास के क्षेत्र में नवाचार और आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ रही है। गोशालाओं को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए वर्मी कम्पोस्ट, गोबर उत्पादों और बायोगैस उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके साथ ही दुग्ध प्रसंस्करण इकाइयों के विस्तार और दुग्ध उत्पादकों के लिए नई योजनाएं लागू की जा रही हैं, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और लाखों पशुपालकों को लाभ मिलेगा।