
- भक्तमाल कथा के चौथे दिन रविवार को आचार्य रमाकांत गोस्वामी ने संत नरसी मेहता के जीवन की कथा सुनाई और उनकी भक्ति के उदाहरण दिए।
- आचार्य ने बताया कि भक्त नरसी ने जाति-पांति के बंधनों को तोड़ा और समाज में समानता का संदेश फैलाया।
- कथा में राधा स्नेह दरबार की सखियों ने बांस की बांसुरी पर नृत्य प्रस्तुत किया, जिससे श्रद्धालुओं का मन मोह लिया।
- कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह, नंदगोपाल गुप्ता नंदी, दयाशंकर सिंह समेत कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
- सोमवार को कथा का समापन नानी बाई का मायरा के साथ होगा, और दोपहर में भंडारे का आयोजन होगा।

लखनऊ, 01 दिसम्बर 2024: लखनऊ के गोमती तट स्थित खाटूश्याम मंदिर परिसर में राधा स्नेह दरबार के तत्वावधान में आयोजित भक्तमाल कथा के चौथे दिन रविवार को संत नरसी मेहता के प्रेरणादायक जीवन का वर्णन किया गया। आचार्य रमाकांत गोस्वामी ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए बताया कि जो भक्त भगवान की शरण में आता है, उसके सभी कष्ट और ऋण भगवान स्वयं अदा करते हैं। उन्होंने भक्त नरसी के जीवन से जुड़ी घटनाओं को विस्तार से साझा किया, जिसमें नरसी ने भगवान के प्रति अपनी अटूट भक्ति का प्रदर्शन किया और कठिनाइयों के बावजूद अपनी आस्था बनाए रखी।
भक्त नरसी मेहता का संघर्ष और भक्ति

आचार्य रमाकांत ने कथा के दौरान बताया कि नरसी मेहता का जीवन संघर्षों और भक्ति का अद्भुत मिश्रण था। उन्होंने बताया कि जब नरसी ने भोलेनाथ से सबसे प्रिय चीज की मांग की, तो भगवान शिव ने उन्हें कृष्ण भक्ति का वरदान दिया। इस वरदान ने नरसी के जीवन को एक नई दिशा दी, और उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी कृष्ण भक्ति में ही व्यतीत कर दी। घर से निकाल दिए जाने और कठिनाइयों का सामना करने के बावजूद, नरसी ने कभी अपनी भक्ति को नहीं छोड़ा। भगवान ने उनकी सहायता की और उनके जीवन की सभी समस्याओं का समाधान किया। उन्होंने भगवान की कृपा से घर बनवाया और अपनी पुत्री का विवाह कराया, जिससे उनकी जीवन यात्रा सफल रही।
जाति-पांति के बंधनों को तोड़ना
आचार्य रमाकांत ने इस कथा के माध्यम से यह संदेश भी दिया कि भक्त नरसी ने समाज में व्याप्त जाति-पांति के बंधनों को तोड़ते हुए एकता और समानता का संदेश फैलाया। उन्होंने बताया कि नरसी ने अपनी भक्ति में सभी भेदभावों को नकारते हुए यह बताया कि सच्चा भक्ति मार्ग जाति, धर्म या संप्रदाय से परे होता है। आचार्य ने इस समय की समस्याओं जैसे लव जिहाद और धर्मांतरण पर भी चर्चा की और सभी सनातनियों से एकजुट रहने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “अगर हम एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे, लेकिन बंटेंगे तो कटेंगे।”
संगीत और नृत्य से भक्ति का उत्सव
कथा के दौरान राधा स्नेह दरबार की सखियों ने अपनी मनमोहक प्रस्तुति से श्रद्धालुओं का मन मोह लिया। उन्होंने “बांस की बांसुरिया पर धनौ इतरावै” गीत पर नृत्य प्रस्तुत किया, जो दर्शकों के बीच गहरी छाप छोड़ गया। इस भव्य आयोजन में संगीत का भी विशेष स्थान था। ढोलक पर कृष्णा शर्मा, कीबोर्ड पर मुकेश शर्मा, तबला पर राजेंद्र शर्मा और ऑक्टोपैड पर हरिओम शर्मा ने अपनी संगीत प्रस्तुति से कथा को जीवंत बना दिया।
गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति
भक्तमाल कथा के इस विशेष दिन कई प्रमुख मंत्री और समाज के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। उत्तर प्रदेश सरकार के जलशक्ति मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह, औद्योगिक विकास मंत्री नंदगोपाल गुप्ता नंदी, परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह, और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक कौशल जी सहित अनेक अतिथियों ने व्यास पीठ का आशीर्वाद लिया। कार्यक्रम में मनकामेश्वर मंदिर के श्रीमहंत देव्या गिरि जी महाराज, भाजपा प्रदेश महामंत्री संजय राय, विधान परिषद सदस्य पवन सिंह चौहान, मुकेश शर्मा, विधायक डॉ. नीरज बोरा, ओ.पी. श्रीवास्तव, समाजसेवी सुधीर हलवासिया और डीसीपी नॉर्थ आर.एन. सिंह ने भी भाग लिया।
भक्तमाल कथा का समापन और भविष्य की योजना
राधा स्नेह दरबार की अध्यक्ष बिंदू बोरा ने बताया कि सोमवार को भक्तमाल कथा का समापन नानी बाई का मायरा के साथ होगा। यह कथा प्रातः 11 बजे से प्रारंभ होगी और दोपहर 2 बजे भंडारे के साथ संपन्न होगी। उन्होंने सभी श्रद्धालुओं को समापन समारोह में शामिल होने का निमंत्रण दिया।
भक्तमाल कथा का आयोजन न केवल भक्तों के लिए एक धार्मिक अनुष्ठान था, बल्कि यह एक सामाजिक संदेश भी था कि भक्ति, एकता और समानता का मार्ग ही सच्चे मानवता का परिचायक है। यह कथा एक बार फिर यह साबित करती है कि एकजुट होकर हम हर समस्या का सामना कर सकते हैं और समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।