
- डॉ. राजेश्वर सिंह ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 125वीं जयंती पर उन्हें ‘राष्ट्र प्रथम’ विचारधारा का प्रतीक बताते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की।
- उन्होंने कहा कि अगर डॉ. मुखर्जी की दूरदृष्टि न होती, तो पश्चिम बंगाल भारत का हिस्सा नहीं होता।
- धारा 370 के खिलाफ डॉ. मुखर्जी का संघर्ष आज कश्मीर में शांति और अखंडता के रूप में सिद्ध हो रहा है।
- डॉ. सिंह ने मोदी-योगी सरकार के राष्ट्रवादी फैसलों को मुखर्जी जी की विचारधारा की सच्ची प्रेरणा बताया।
- कार्यक्रम के अंत में वृक्षारोपण कर पर्यावरण-संरक्षण का संदेश भी दिया गया।

लखनऊ, 7 जुलाई 2025 | True News Up ब्यूरो : भारत के महान राष्ट्रनायक, शिक्षाविद, स्वतंत्रता सेनानी और भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 125वीं जयंती के अवसर पर लखनऊ के बक्शी का तालाब स्थित श्रीपति लॉन में एक भावनात्मक एवं वैचारिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर सरोजनीनगर विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित होकर डॉ. मुखर्जी को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके जीवन, संघर्ष, विचारधारा एवं राष्ट्रहित में किए गए योगदानों को विस्तार से स्मरण किया।
कार्यक्रम का उद्देश्य: डॉ. मुखर्जी के विचारों को जनमानस तक पहुँचाना

संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य भारत के युवा वर्ग और समाज के प्रत्येक वर्ग को यह बताना था कि भारत की आज़ादी के बाद राष्ट्र के निर्माण की बुनियाद किन सिद्धांतों पर रखी गई और उन सिद्धांतों के लिए किसने अपने प्राणों की आहुति दी। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती न केवल एक स्मृति दिवस थी, बल्कि एक वैचारिक पुनर्जागरण का माध्यम भी बनी।
‘राष्ट्र प्रथम’ ही भाजपा की आत्मा: डॉ. सिंह का उद्घोष

अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए डॉ. राजेश्वर सिंह ने कहा:
“डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी की ‘राष्ट्र प्रथम’ की जो विचारधारा थी, वही आज भारतीय जनता पार्टी की आत्मा है। भाजपा का प्रत्येक कार्यकर्ता इस राष्ट्रनिष्ठ सोच का संवाहक है। यह विचारधारा ही भाजपा को विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बनने की ताकत देती है।”
डॉ. सिंह ने कहा कि डॉ. मुखर्जी ने अपने जीवन में कभी सत्ता की लालसा नहीं रखी, बल्कि उन्होंने राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखते हुए ऐसे कई निर्णय लिए जो आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शक बन गए।
डॉ. मुखर्जी का शिक्षा क्षेत्र में अपूर्व योगदान
डॉ. राजेश्वर सिंह ने बताया कि मात्र 33 वर्ष की आयु में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी कलकत्ता विश्वविद्यालय के सबसे युवा कुलपति बने। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में नवीन प्रयोगों की शुरुआत की, भारतीय संस्कृति और राष्ट्रवाद को पाठ्यक्रमों में स्थान दिलाया और शिक्षा को देश की प्रगति से जोड़ने का कार्य किया।
बंगाल को पाकिस्तान में जाने से रोका – राष्ट्रनायक की भूमिका
डॉ. सिंह ने ऐतिहासिक तथ्यों के साथ कहा कि डॉ. मुखर्जी ने विभाजन के समय मुस्लिम लीग की साम्प्रदायिक राजनीति का डटकर विरोध किया। उन्होंने बंगाल को पाकिस्तान में जाने से बचाने के लिए कठोर संघर्ष किया और हिंदू समाज की अस्मिता की रक्षा की।
“आज अगर पश्चिम बंगाल भारत का हिस्सा है, तो यह डॉ. मुखर्जी की निर्णायक भूमिका और राष्ट्रनिष्ठ दृष्टिकोण का प्रतिफल है। अगर वे उस समय निर्णायक नहीं होते, तो बंगाल की स्थिति पाकिस्तान जैसी हो सकती थी।”
राष्ट्रहित के लिए मंत्री पद से इस्तीफा
डॉ. राजेश्वर सिंह ने डॉ. मुखर्जी की सिद्धांतवादी राजनीति का उल्लेख करते हुए कहा कि जब वह देश के औद्योगिक मंत्री थे, तब उन्होंने चितरंजन रेल कारखाना, सिंदरी फर्टिलाइज़र फैक्ट्री, HAL जैसे महत्वपूर्ण सार्वजनिक उपक्रमों की नींव रखी। लेकिन जब उन्होंने देखा कि लियाकत-नेहरू समझौते में राष्ट्रहित की अनदेखी हो रही है, तो उन्होंने बिना हिचक मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
“डॉ. मुखर्जी के लिए पद नहीं, राष्ट्रहित सर्वोपरि था। उन्होंने सत्ता की परवाह नहीं की, राष्ट्र की आत्मा की रक्षा को प्राथमिकता दी।”
कश्मीर और धारा 370: डॉ. मुखर्जी की दृष्टि और बलिदान
डॉ. सिंह ने डॉ. मुखर्जी के बलिदान को याद करते हुए कहा कि उन्होंने कश्मीर के लिए परमिट व्यवस्था और विशेष दर्जे (धारा 370) का कड़ा विरोध किया और “एक देश, एक प्रधान, एक निशान, एक विधान” का नारा दिया। वे बिना परमिट कश्मीर गए और गिरफ्तार होकर जेल में रहस्यमय परिस्थितियों में बलिदान दे दिया।
“आज जब धारा 370 समाप्त हो चुकी है और कश्मीर भारत के साथ पूरी तरह से एकीकृत हो चुका है, तो यह डॉ. मुखर्जी के उस विचार और बलिदान की जीत है। अगर उनकी चेतावनी को पहले ही समझ लिया गया होता, तो कश्मीर 75 वर्षों तक आतंकवाद और अलगाववाद की चपेट में न आता।”
CAA, UCC और हिंदू समाज की सुरक्षा
डॉ. सिंह ने कहा कि पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदुओं की जनसंख्या क्रमश: 15% से घटकर 1.5% और 24% से घटकर 7.5% रह गई है। वहीं, भारत में कुछ राज्य आज भी सांप्रदायिक राजनीति की प्रयोगशाला बने हुए हैं।
“डॉ. मुखर्जी ने जिस संकट की कल्पना की थी, वह आज सच हो चुकी है। इसीलिए आज CAA और UCC जैसे निर्णय जरूरी हैं ताकि भारत में हर नागरिक को समानता, सुरक्षा और सम्मान मिल सके। यह राष्ट्रीय अखंडता की भावना को मजबूत करने का माध्यम है।”
योगी सरकार के कानून-व्यवस्था मॉडल की प्रशंसा
डॉ. सिंह ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की जीरो टॉलरेंस नीति की सराहना करते हुए कहा:
- 70,000+ अपराधियों पर गैंगस्टर एक्ट
- 1000 से अधिक अपराधियों पर NSA
- 250 से अधिक अपराधी पुलिस मुठभेड़ों में मारे गए
- हजारों करोड़ की अवैध संपत्ति जब्त
- 8.5 लाख युवाओं को पारदर्शी तरीके से सरकारी नौकरी
“आज यूपी में हर वर्ग, हर क्षेत्र, हर जाति को बिना भेदभाव न्याय और अवसर मिल रहे हैं। यही नया उत्तर प्रदेश है।”
वृक्षारोपण कर दिया पर्यावरण संरक्षण का संदेश
कार्यक्रम के अंत में डॉ. राजेश्वर सिंह ने वृक्षारोपण कर पर्यावरण सुरक्षा का संदेश भी दिया और कहा कि विकास और प्रकृति का संतुलन राष्ट्रनिर्माण का मूल आधार है।
उपस्थित प्रमुख जनप्रतिनिधि और कार्यकर्ता
इस संगोष्ठी में कई गणमान्य भाजपा नेता एवं कार्यकर्ता उपस्थित रहे, जिनमें प्रमुख रूप से:
मंडल अध्यक्ष संदीप यादव, जिलाध्यक्ष महिला मोर्चा अंजू रस्तोगी, SC मोर्चा जिलाध्यक्ष कामता प्रसाद, पूर्व जिला मंत्री देवेन्द्र प्रताप सिंह, पूर्व जिला उपाध्यक्ष के.के. अवस्थी, जिला उपाध्यक्ष रवि प्रकाश तिवारी, पूर्व मंडल अध्यक्ष बनवारी सिंह, संजेश सिंह, विवेक सिंह, बाबा प्रदीप यादव, कौशल सिंह आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
डॉ. राजेश्वर सिंह का समापन संदेश:
“125वीं जयंती पर हमें संकल्प लेना होगा कि हम ‘राष्ट्र प्रथम’ की विचारधारा को न केवल अपनाएं, बल्कि उसे आगे की पीढ़ियों तक पहुँचाएं। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान केवल इतिहास नहीं, वह एक चेतावनी और एक पथदर्शक है। उनकी सोच, आज के भारत की आत्मा है।”