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अयोध्या में ‘नो पार्किंग’ के नाम पर हो रही कथित वसूली से श्रद्धालु नाराज, नगर निगम पर सवाल

  • श्रद्धालुओं से चालान के नाम पर रोजाना वसूले जा रहे लाखों, निजी फर्म को मिला ठेका
  • अयोध्या में नो पार्किंग के नाम पर श्रद्धालुओं से ₹1000–₹2000 तक की वसूली।
  • नगर निगम ने ठेका गोंडा की एमएस कंस्ट्रक्शन को दिया।
  • 5 मिनट रोड किनारे खड़ी कारों तक को नहीं बख्शा जा रहा।
  • वसूली के लिए प्री-प्रिंटेड नोटिस और मोबाइल नंबर का उपयोग।
  • श्रद्धालुओं में भारी नाराजगी, जिम्मेदारों पर अभद्रता के आरोप।
  • योगी-मोदी सरकार की छवि को नुकसान पहुंचाने की साजिश की आशंका।

शिवसागर सिंह चौहान, मुख्य सम्पादक (True News UP, लखनऊ)

अयोध्या: श्रीराम की नगरी अयोध्या में इन दिनों नगर निगम की एक व्यवस्था श्रद्धालुओं के बीच भारी नाराजगी का कारण बन गई है। नगर निगम द्वारा नो पार्किंग के नाम पर गाड़ियों के पहिए लॉक कर चालान थमा देना अब आम बात हो गई है। श्रद्धालुओं का आरोप है कि यह वसूली नियमों से अधिक एक व्यवस्थित ठगी का रूप ले चुकी है, जिससे अयोध्या की छवि पर भी असर पड़ रहा है।

निजी फर्म को सौंपा गया है काम, प्रतिदिन हो रही लाखों की वसूली

जानकारी के मुताबिक नगर निगम अयोध्या ने नो पार्किंग चालान और लॉकिंग की जिम्मेदारी एक निजी फर्म, एमएस कंस्ट्रक्शन को दे रखी है, जो गोंडा जनपद की बताई जा रही है। यह फर्म शहर में नो पार्किंग की स्थिति में गाड़ियों के पहियों को लॉक कर देती है और फिर वाहन मालिकों से ₹1000 से ₹2000 तक की वसूली की जाती है।

बताया जा रहा है कि लाखों की संख्या में चालान पर्चियां पहले से छपवा ली गई हैं, जिनमें नियम उल्लंघन पर ₹1000 जुर्माना और लॉक खोलने पर ₹2000 देने का उल्लेख है। साथ ही एक मोबाइल नंबर भी पर्ची पर छपा होता है, जिसके जरिए भुगतान कराया जाता है।

श्रद्धालुओं को नहीं जानकारी, रोड किनारे खड़ी कारों को भी नहीं बख्शा जा रहा

देश के कोने-कोने से अयोध्या आने वाले श्रद्धालु शहर के ट्रैफिक नियमों और नो पार्किंग क्षेत्रों से अनभिज्ञ होते हैं। ऐसे में अगर कोई कार 5 मिनट के लिए भी सड़क किनारे खड़ी हो जाती है तो तुरंत पहिया लॉक कर नोटिस चस्पा कर दिया जाता है। श्रद्धालुओं को यह भी नहीं बताया जाता कि कहां वैध पार्किंग की व्यवस्था है।

बदसलूकी का आरोप, गंदी हो रही योगी-मोदी सरकार की छवि

कुछ श्रद्धालुओं ने नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारियों पर बदसलूकी करने का भी आरोप लगाया है। उनका कहना है कि पूछने पर नगर निगम कर्मचारी अभद्र भाषा का प्रयोग करते हैं और कोई स्पष्ट जानकारी नहीं देते। इस तरह की घटनाएं न सिर्फ श्रद्धालुओं के साथ अन्याय हैं, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उस छवि को भी धूमिल कर रही हैं, जो अयोध्या को विश्व स्तरीय धार्मिक नगरी बनाने में जुटे हैं।

क्या यह राजस्व बढ़ाने की नीति है या सुनियोजित ठगी?

प्रश्न यह है कि क्या वाकई यह व्यवस्था नगर निगम की राजस्व वृद्धि के उद्देश्य से लागू की गई है या किसी निजी फर्म को लाभ पहुंचाने के लिए सुनियोजित वसूली तंत्र तैयार किया गया है? गौर करने वाली बात यह भी है कि इतनी बड़ी रकम की वसूली के बावजूद न तो किसी स्पष्ट सूचना बोर्ड की व्यवस्था की गई है और न ही श्रद्धालुओं को वैकल्पिक पार्किंग की सुविधा दी गई है।

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