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बांग्लादेश में फिर गृहयुद्ध की हुई साजिश? मोहम्मद यूनुस पर लगे आरोप, जमात-ए-इस्लामी उतरी विरोध में — जानिए पूरा मामला

बांग्लादेश में अगले साल होने वाले चुनाव से पहले राजनीतिक गतिरोध गहराता नजर आ रहा है. कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी जमात-ए-इस्लामी ने मंगलवार को कहा कि भले ही सुप्रीम कोर्ट का फैसला कार्यवाहक सरकार की व्यवस्था को बहाल कर दे, लेकिन उसके अधीन चुनाव नहीं हो सकते.

स्थानीय मीडिया के अनुसार, जमात के वकील मोहम्मद शिशिर मोनिर ने चुनाव के समय कार्यवाहक सरकार की व्यवस्था को बहाल करने की मांग वाली एक अपील पर सुप्रीम कोर्ट के अपीलीय खंड में सुनवाई के बाद यह टिप्पणी की. यह सुनवाई मंगलवार को चौथे दिन भी जारी रही.

SC के फैसले के तहत कार्यवाहक सरकार की व्यवस्था

बांग्लादेश के प्रमुख दैनिक जुगंटोर ने मोनिर के हवाले से कहा कि संसद भंग होने के 15 दिनों के भीतर कार्यवाहक सरकार बनाने की बात चल रही है, अब संसद है ही नहीं. संसद को एक साल से ज्यादा समय पहले भंग कर दिया गया था और अंतरिम सरकार देश चला रही है. इसके अलावा कुछ और भी मुद्दे हैं, इसलिए अगर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत कार्यवाहक सरकार की व्यवस्था वापस भी आ जाती है तो भी आगामी चुनावों में यह संभव नहीं है.

पिछले हफ्ते 2011 के फैसले को चुनौती देने वाली अपीलों और समीक्षा याचिकाओं पर सुनवाई के तीसरे दिन जमात के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वर्तमान अंतरिम सरकार के तहत इस प्रणाली को प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया जा सकता, क्योंकि संसद निष्क्रिय है.

‘कार्यवाहक सरकार’ की तरह काम करने का आह्वान

उन्होंने आगे कहा कि अपीलीय विभाग जो भी फैसला सुनाए, वह कार्यवाहक सरकार प्रणाली के संबंध में जुलाई चार्टर के प्रस्तावों के अनुरूप होना चाहिए. दूसरी ओर बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने हाल ही में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार से ‘कार्यवाहक सरकार’ की तरह काम करने का आह्वान किया, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि अगले साल होने वाले चुनाव स्वतंत्र, स्वीकार्य और निष्पक्ष तरीके से हों.

एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा गया कि इस समय जरूरी है कि आगामी राष्ट्रीय संसदीय चुनाव को सार्थक, निष्पक्ष और सभी के लिए स्वीकार्य बनाया जाए. अंतरिम सरकार इस दिशा में कार्यवाहक सरकार की भूमिका निभा सकती है.

सुधार प्रस्तावों को लेकर भिड़ी अवामी लीग 

अगले साल होने वाले चुनावों से पहले बांग्लादेश में अनिश्चितता और राजनीतिक उथल-पुथल बढ़ती जा रही है. जिन पार्टियों ने पहले शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग की लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए यूनुस के साथ मिलकर काम किया था, वे अब सुधार प्रस्तावों को लेकर आपस में भिड़ गई है.

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