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सुप्रीम कोर्ट की पत्रकारिता: सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ का पत्रकारों को बड़ा तोहफा, सुप्रीम कोर्ट में कवर करने के लिए एलएलबी की अनिवार्यता समाप्त

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  • सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट में पत्रकारिता करने के लिए एलएलबी की अनिवार्यता समाप्त कर दी।
  • मान्यता प्राप्त पत्रकारों को अब सुप्रीम कोर्ट परिसर में पार्किंग सुविधा भी उपलब्ध होगी।
  • इस नई नीति का लाभ कानूनी पृष्ठभूमि के बिना भी सुप्रीम कोर्ट कवर करने वाले पत्रकारों को मिलेगा।
  • ‘प्री दिवाली समारोह’ में सीजेआई ने मीडिया से बात करते हुए इस नई पहल की जानकारी दी।
  • पत्रकारिता में इस बदलाव से न्यायिक संवाद को अधिक स्वतंत्र और व्यापक बनाने में मदद मिलेगी।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने पत्रकारों के लिए बड़ी राहत का ऐलान किया है। सुप्रीम कोर्ट में खबरें कवर करने के लिए पत्रकारों को अब एलएलबी (कानून) की डिग्री की आवश्यकता नहीं होगी। इस पहल का उद्देश्य कानूनी पृष्ठभूमि के बिना भी योग्य और सक्षम पत्रकारों को शीर्ष अदालत की खबरों को कवर करने में सहूलियत देना है। इस नई नीति के तहत, पत्रकार अब बिना किसी कानूनी शिक्षा की अनिवार्यता के सुप्रीम कोर्ट में मान्यता प्राप्त संवाददाता बन सकते हैं।

सीजेआई चंद्रचूड़ का बयान और निर्णय

“बार एंड बेंच” की रिपोर्ट के अनुसार, सीजेआई चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट परिसर में आयोजित ‘प्री दिवाली समारोह’ के दौरान मीडिया से बातचीत में इस नई नीति की घोषणा की। उन्होंने कहा, “मुझे नहीं पता था कि सुप्रीम कोर्ट की खबरें कवर करने वाले पत्रकारों के लिए एलएलबी की डिग्री क्यों अनिवार्य थी, हमने इस आवश्यकता को समाप्त कर दिया है।”

इसके अतिरिक्त, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में मान्यता प्राप्त पत्रकारों की संख्या बढ़ाने के संबंध में एक फाइल पर हस्ताक्षर किए। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि मान्यता प्राप्त पत्रकारों को सुप्रीम कोर्ट परिसर में पार्किंग की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी। इससे पत्रकारों को न केवल काम में सहूलियत होगी बल्कि कोर्ट कवरेज का अनुभव भी बेहतर हो सकेगा।

निर्णय के संभावित लाभ और सीजेआई की पहल का महत्व

सीजेआई चंद्रचूड़ के इस निर्णय का सीधा लाभ उन पत्रकारों को होगा जो सुप्रीम कोर्ट के विषयों को गहराई से समझने और कवरेज में संलग्न होने के इच्छुक हैं, भले ही उनके पास कानूनी डिग्री न हो। इससे प्रेस की स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा मिलेगा। यह निर्णय विशेष रूप से उन पत्रकारों के लिए राहतकारी साबित होगा जो कानून के ज्ञान से परे, अन्य विशेषज्ञता और अनुभव के आधार पर न्यायपालिका से जुड़ी ख़बरों को जनता तक पहुंचाना चाहते हैं।

सुप्रीम कोर्ट पत्रकारिता की पारंपरिक और जटिल प्रक्रिया में इस महत्वपूर्ण बदलाव से एक व्यापक और बहुस्तरीय पत्रकारिता संभव होगी। इससे लोगों तक अदालत के निर्णयों और न्यायपालिका की महत्वपूर्ण सूचनाएं सही समय पर और विस्तार से पहुंचाई जा सकेंगी। यह कदम निश्चित रूप से देश के न्यायिक संवाद के क्षेत्र में एक सकारात्मक बदलाव लाने का कार्य करेगा।

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