
सिख गुरु श्री गुरु तेग बहादुर जी के शहीदी दिवस पर लखनऊ में भव्य कार्यक्रम आयोजित
- गुरु ग्रंथ साहिब जी की हजूरी: पाठ और कीर्तन ने आयोजन स्थल को भक्तिमय बना दिया।
- दशमेश पब्लिक स्कूल और चढ़दी कला क्लासेस के बच्चों ने करतब और सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए।
- गुरु तेग बहादुर जी के जीवन पर आधारित एक विशेष चित्र प्रदर्शनी का आयोजन किया गया।
- कार्यक्रम के समापन पर विशाल लंगर का आयोजन हुआ।
- सभी उपस्थितों को गुरु तेग बहादुर जी की जीवनी पर आधारित सचित्र पुस्तिका निःशुल्क वितरित की गई।

लखनऊ, 08 दिसम्बर 2024: श्री गुरु तेग बहादुर जी के शहीदी दिवस के अवसर पर लखनऊ के राजेंद्र नगर स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) कार्यालय, भारती भवन के प्रांगण में रविवार को एक भव्य सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर सिख धर्म और भारतीय संस्कृति के योगदान पर विस्तृत चर्चा हुई।

कार्यक्रम में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट से जुड़े गोपाल जी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने अपने संबोधन में सिख गुरुओं के बलिदान और उनके राम मंदिर आंदोलन में योगदान को रेखांकित किया। उन्होंने कहा,

“350 वर्ष पहले देश की स्थिति विकट थी। विदेशी आक्रांताओं ने धर्म, संस्कृति और परिवार व्यवस्था को चुनौती दी थी। ऐसे समय में सिख गुरुओं ने अपने धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति दी। सिख गुरुओं ने न केवल राम मंदिर आंदोलन में भाग लिया, बल्कि हमें यह शिक्षा दी कि अपने धर्म का पालन करते हुए अगली पीढ़ी को संस्कारित करना हमारा कर्तव्य है।”
धर्म और संस्कृति के रक्षक गुरु तेग बहादुर जी

कार्यक्रम में RSS अवध प्रांत के प्रांत प्रचारक कौशल जी ने गुरु तेग बहादुर जी की बलिदानी गाथा को साझा करते हुए कहा कि औरंगजेब की कड़ी नीतियों और धर्मांतरण के खिलाफ गुरुजी ने हिंदू धर्म और वैचारिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया। उन्होंने कहा, “गुरुजी का जीवन हमें सिखाता है कि विपरीत परिस्थितियों में भी धर्म और मानवता की रक्षा कैसे की जाए।”
शहीदी दिवस का भव्य आयोजन

कार्यक्रम संयोजक निर्मल सिंह ने बताया कि शहीदी दिवस के पावन अवसर पर हर वर्ष की तरह इस बार भी बड़े आदर और श्रद्धा के साथ आयोजन किया गया। कार्यक्रम में धन-धन श्री गुरु तेग बहादुर साहिब के कीर्तन और पाठ ने उपस्थित जनसमूह को मंत्रमुग्ध कर दिया।
धर्म और आदर्शों की रक्षा में अद्वितीय योगदान

कार्यक्रम संयोजक निर्मल सिंह ने कहा, ”‘हिंद की चादर’ के नाम से पूजित गुरु तेग बहादुर जी ने धर्म और मानवीय मूल्यों की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति दी। उनका बलिदान विश्व इतिहास में अद्वितीय है और सदैव स्मरणीय रहेगा।” यह आयोजन गुरु तेग बहादुर जी के बलिदान को स्मरण करने और उनके आदर्शों को आगे बढ़ाने का एक प्रयास था। उनकी शहादत न केवल धर्म की रक्षा का प्रतीक है, बल्कि मानवता के प्रति उनके असीम प्रेम और समर्पण का उदाहरण भी है।
इस अवसर पर कई गणमान्य अतिथियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, जिनमें डा. अनिल, पूज्य वैदेही वल्लभ शरण महाराज, कौशिक चैतन्य ब्रह्मचारी, पूर्व महापौर संयुक्ता भाटिया, एमएलसी पवन सिंह चौहान, सरदार निर्मल सिंह, राजेन्द्र सिंह राजू, भारत सिंह, सौरभ मिश्र और अन्य शामिल थे।