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वॉशिंगटन:जज आमिर अली ने डोनाल्ड ट्रंप को करारा झटका देते हुए USAID से जुड़ा अहम आदेश जारी किया।

 अमेरिका में एक फेडेरल जज ने गुरुवार को ट्रंप प्रशासन को अगले सोमवार तक USAID और राज्य विभाग के साझेदारों को लगभग $2 बिलियन चुकाने का आदेश दिया है। जज आमिर अली के आदेश के बाद ट्रंप प्रशासन द्वारा सभी विदेशी सहायता पर 6 हफ्ते के लिए लगाई गई रोक हट गई। यूएस डिस्ट्रिक्ट जज आमिर अली ने NGOs और व्यवसायों के पक्ष में फैसला सुनाया, जिन्होंने फंडिंग की इस रोक के खिलाफ मुकदमा दायर किया था। फंडिंग रोके जाने के चलते दुनिया भर में संगठनों को अपनी सेवाओं में कटौती करनी पड़ी और हजारों कर्मचारियों को नौकरी से निकालना पड़ा।

जज ने ट्रंप प्रशासन के तर्कों पर किया संदेह

अली के सवालों से लग रहा था कि वह ट्रंप प्रशासन के इस तर्क पर संदेह व्यक्त कर रहे हैं कि राष्ट्रपतियों के पास विदेश नीति, जिसमें विदेशी सहायता भी शामिल है, के मामले में खर्च पर कांग्रेस के निर्णयों को दरकिनार करने का व्यापक अधिकार है। अली ने कहा, ‘यह कहना कि विनियोग वैकल्पिक है, एक धरती को हिला देने वाला, देश को हिला देने वाला प्रस्ताव होगा।’ उन्होंने सरकारी वकील इंद्रनील सूर से पूछा, ‘मेरे मन में यह सवाल है कि आप संवैधानिक दस्तावेज़ में यह कहां से ला रहे हैं?’ गुरुवार को दिए गए आदेश के बाद अब USAID से जुड़े अन्य मामलों पर सभी की नजर है।

ट्रंप ने 20 जनवरी को लगाई थी फंडिंग पर रोक

अली का यह फैसला ट्रम्प प्रशासन द्वारा USAID के माध्यम से मिलने वाली फंडिंग को रोकने के प्रस्ताव को सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज किए जाने के एक दिन बाद आया है। हाई कोर्ट ने अली को यह स्पष्ट करने का निर्देश दिया कि सरकार को उनके पिछले आदेश का पालन करने के लिए क्या करना चाहिए, जिसमें पहले से किए गए काम के लिए फंड को तुरंत जारी करने की जरूरत थी। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 20 जनवरी को हस्ताक्षरित एक कार्यकारी आदेश के तहत धनराशि पर रोक लगाई गई थी।

60 बिलियन डॉलर की फंडिंग पर पड़ा असर

ट्रंप प्रशासन ने अपील तब की जब अली ने एक अस्थायी रोक आदेश जारी किया और पहले से किए गए कार्य के लिए भुगतान जारी करने की समय सीमा तय की। प्रशासन ने कहा कि उसने खर्चों पर पूरी तरह रोक लगाने के स्थान पर व्यक्तिगत निर्धारण को लागू कर दिया है, जिसके नतीजे में 5800 USAID अनुबंध और 41000 विदेश विभाग अनुदान रद्द कर दिए गए, जिनकी कुल सहायता लगभग 60 बिलियन डॉलर की है।

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