हर दिन कुछ न कुछ नए खुलासे होते रहते हैं. एक नई स्टडी में सामने आया है कि अगर विटामिन D3 का सेवन हर व्यक्ति के ब्लड लेवल के हिसाब से पर्सनलाइज्ड तरीके से किया जाए, तो यह उन लोगों में दूसरे हार्ट अटैक के खतरे को लगभग आधा कर सकता है, जिन्होंने पहले एक बार हार्ट अटैक झेला है. रिसर्च में पाया गया कि जिन मरीजों का विटामिन D लेवल संतुलित रखा गया, उनमें दूसरे हार्ट अटैक का रिस्क कंट्रोल ग्रुप के मुकाबले काफी कम था. अब सवाल उठता है, क्या सच में यह “सनशाइन विटामिन” दिल को बचाने की चाबी हो सकता है?. चलिए आपको इसके बारे में बताते हैं.
रिसर्च में क्या निकला?
विटामिन D, जिसे आमतौर पर सनशाइन विटामिन कहा जाता है, शरीर में कैल्शियम और फॉस्फोरस के अब्जोर्वेशन के लिए बेहद जरूरी है. यह हड्डियों को मजबूत रखता है, मांसपेशियों के कामकाज को सपोर्ट करता है, इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है और मूड को भी कंट्रोल करता है. शरीर इस विटामिन का निर्माण तब करता है जब हमारी त्वचा सूरज की रोशनी के संपर्क में आती है. लेकिन अब वैज्ञानिकों का मानना है कि इसका असर सिर्फ हड्डियों तक सीमित नहीं, बल्कि दिल की सेहत पर भी गहरा पड़ सकता है. पिछले स्टडी से पता चला था कि जिन लोगों में विटामिन D का स्तर कम होता है, उनमें हार्ट डिजीज का खतरा अधिक रहता है. विटामिन D ब्लड सेल्स की लचक, सूजन और आर्टरीज के कामकाज को प्रभावित करता है, ये सभी कारक हार्ट हेल्थ के लिए बेहद अहम हैं. इसलिए शोधकर्ताओं ने सोचा, अगर ब्लड में विटामिन D का स्तर बढ़ाया जाए, तो क्या इससे दूसरा हार्ट अटैक रोका जा सकता है?
क्या मिला जवाब?
इसी सवाल का जवाब खोजने के लिए इंटरमाउंटेन हेल्थ के वैज्ञानिकों ने एक नया अध्ययन शुरू किया. इसमें उन मरीजों को शामिल किया गया जिन्होंने हाल ही में हार्ट अटैक झेला था. रिसर्चर्स ने सबसे पहले हर प्रतिभागी के ब्लड में विटामिन D लेवल मापा और फिर डोज को इस तरह एडजस्ट किया कि पूरे अध्ययन के दौरान लेवल “ऑप्टिमल रेंज” में बना रहे. परिणाम चौंकाने वाले थे, जिन लोगों को इस तरह पर्सनलाइज्ड विटामिन D3 सप्लीमेंट दिया गया, उनमें दूसरे हार्ट अटैक का खतरा उन लोगों के मुकाबले लगभग 50 प्रतिशत कम पाया गया जिन्हें यह विशेष देखभाल नहीं दी गई. यह अध्ययन अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन साइंटिफिक सेशन्स 2025 में पेश किया गया है, हालांकि इसे अभी किसी पीयर-रिव्यू जर्नल में प्रकाशित नहीं किया गया है.
विटामिन की कमी
ट्रायल के तहत जिन मरीजों को शामिल किया गया उनकी औसत उम्र 63 वर्ष थी और लगभग सभी को हाल ही में हार्ट अटैक हुआ था. अध्ययन की शुरुआत में 87 प्रतिशत प्रतिभागियों में विटामिन D की कमी पाई गई. रिसर्चर्स ने लक्ष्य रखा कि हर व्यक्ति का लेवल 40 ng/mL तक पहुंचाया जाए. शुरुआत में औसतन यह लेवल केवल 27 ng/mL था. अधिकांश मरीजों को 5,000 IU D3 की खुराक दी गई, जो सामान्य सिफारिश से कहीं अधिक थी. नतीजों में यह सामने आया कि विटामिन D3 लेने वाले ग्रुप में दोबारा हार्ट अटैक की घटनाएं लगभग आधी रह गईं, केवल 3.8 प्रतिशत बनाम 7.9 प्रकिशत उन लोगों में जिन्होंने सप्लीमेंट नहीं लिया. हालांकि यह इलाज सभी प्रकार के हार्ट इवेंट्स को कम नहीं कर पाया, लेकिन दूसरे हार्ट अटैक का खतरा घटाना अपने आप में एक अहम खोज मानी जा रही है. हालांकि, अगर आपको विटामिन D की कमी है, तो अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर करें और सही डोज तय कराएं. लेकिन याद रखें, विटामिन D3 इलाज का विकल्प नहीं, बल्कि सपोर्ट सिस्टम है, जो आपके दिल को भीतर से मजबूत बना सकता है.
Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


































