
- एसटीएफ के अपर पुलिस अधीक्षक विशाल विक्रम सिंह के निर्देशन में टीम को मिली बड़ी सफलता।
- एसटीएफ ने चित्रकूट से फर्जी सिम कार्ड गिरोह के 6 सदस्यों को गिरफ्तार किया।
- गिरोह वोडाफोन आइडिया अधिकारियों की मिलीभगत से हजारों सिम कार्ड एक्टिवेट करता था।
- गिरफ्तार आरोपियों में गिरोह का सरगना, नेटवर्क अधिकारी और पीओएस एजेंट शामिल हैं।
- 500+ एक्टिव सिम, फर्जी आधार कार्ड, मोबाइल फोन और बायोमैट्रिक डिवाइस बरामद।
- सिम कार्ड डिजिटल अरेस्ट, पार्सल स्कैम, और स्टॉक मार्केट फ्रॉड जैसे साइबर अपराधों में उपयोग होते थे।

चित्रकूट/लखनऊ, 15 मई 2025: उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) को साइबर अपराध के एक बड़े रैकेट का भंडाफोड़ करने में बड़ी सफलता मिली है। वोडाफोन आइडिया कम्पनी के कुछ भ्रष्ट अधिकारियों के साथ मिलकर फर्जी तरीके से सिम कार्ड एक्टिवेट कर उन्हें डिजिटल अरेस्ट, स्टॉक मार्केट ठगी, पार्सल स्कैम जैसे साइबर अपराधों में प्रयुक्त करने वाले संगठित गिरोह के सरगना सहित 6 आरोपियों को जनपद चित्रकूट के राजापुर क्षेत्र से गिरफ्तार किया गया है। गिरोह ने बीते दो-तीन वर्षों में 10,000 से अधिक सिम कार्ड फर्जी तरीके से एक्टिवेट कर देशभर में साइबर ठगों को बेचे हैं।
गिरफ्तारी की कार्रवाई
एसटीएफ की यह कार्रवाई 15 मई 2025 की रात लगभग 11:15 बजे चित्रकूट जनपद के राजापुर थाना क्षेत्र के बरगदी पुरवा बेराउर इलाके में की गई। एसटीएफ की साइबर क्राइम यूनिट को लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि कुछ पीओएस एजेंट व मोबाइल नेटवर्क डिस्ट्रीब्यूटर, विशेष रूप से वोडाफोन आइडिया से जुड़े अधिकारी, संगठित गिरोहों को फर्जी तरीके से सिम कार्ड उपलब्ध करा रहे हैं। अपर पुलिस अधीक्षक, एसटीएफ विशाल विक्रम सिंह के निर्देशन में संचालित इस अभियान में विशेष अभिसूचना इकाई की सहायता से कार्रवाई की गई।
गिरफ्तार आरोपियों का विवरण
- ओमप्रकाश अग्रहरि उर्फ टीटू
- उम्र: 37 वर्ष
- निवासी: सरांय तलैया, राजापुर, चित्रकूट
- शिक्षा: बीए
- प्रोपराइटर: अग्रहरि कम्युनिकेशन (गिरोह का सरगना)
- शिवदयाल निषाद
- उम्र: 35 वर्ष
- निवासी: बरगदी पुरवा बेराउर बांगर, राजापुर, चित्रकूट
- शिक्षा: बीए
- पद: टेरीटरी सेल्स एक्जीक्यूटिव, वोडाफोन आइडिया (राजापुर)
- राहुल पाण्डेय
- उम्र: 30 वर्ष
- निवासी: पाण्डेय पुरवा, राजापुर, चित्रकूट
- शिक्षा: बीए, एलएलबी
- प्रोपराइटर: नित्या इंटरप्राइजेज; पूर्व में डीएसई, अग्रहरि कम्युनिकेशन
- जितेन्द्र कुमार
- उम्र: 29 वर्ष
- निवासी: पश्चिम नाका, राजापुर, चित्रकूट
- शिक्षा: बीए
- पद: टेरीटरी सेल्स एक्जीक्यूटिव, वोडाफोन आइडिया (कौशाम्बी)
- शिवबाबू
- उम्र: 32 वर्ष
- निवासी: बरगदी का पुरवा, राजापुर, चित्रकूट
- शिक्षा: बीए
- पीओएस एजेंट व प्रमोटर (पूर्व में अग्रहरि कम्युनिकेशन में कार्यरत)
- सुरेन्द्र सिंह
- उम्र: 34 वर्ष
- निवासी: लूपलाइन, राजापुर, चित्रकूट
- शिक्षा: बीटीसी, बीएड
- प्रोपराइटर: रवि जनसेवा व स्टूडियो (फर्जी आधार कार्ड तैयार करने में संलिप्त)
बरामद सामग्री
गिरोह के कब्जे से भारी मात्रा में इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और फर्जी दस्तावेज बरामद हुए, जिनका विवरण निम्न है:
- 31 मोबाइल फोन
- 87 फर्जी आधार कार्ड
- 514 प्री-एक्टिवेटेड सिम कार्ड (वोडाफोन आइडिया)
- 505 ब्लैंक सिम कार्ड (वोडाफोन आइडिया)
- 30 ब्लैंक सिम कार्ड (रिलायंस जियो)
- 26 ब्लैंक सिम कार्ड (एयरटेल)
- 3 बायोमैट्रिक स्कैनर
- 1 सीपीयू
- ₹7,250 नकद
गिरोह की कार्यप्रणाली
एसटीएफ की पूछताछ में खुलासा हुआ है कि ओमप्रकाश अग्रहरि ने वर्ष 2006 में “अग्रहरि कम्युनिकेशन” नाम से अपनी फर्म की स्थापना की थी। शुरुआत में वह हच मोबाइल कम्पनी से जुड़ा और फिर वोडाफोन व रिलायंस जियो के साथ डिस्ट्रीब्यूटरशिप की। उसने वोडाफोन आइडिया में कार्यरत अधिकारियों और अपने पुराने कर्मचारियों जैसे शिवदयाल, राहुल, जितेन्द्र और शिवबाबू के साथ मिलकर एक जाल बुनना शुरू किया।
ये लोग फर्जी पीओएस एजेंट बनवाकर उनके माध्यम से दो सिम कार्ड एक ही व्यक्ति के नाम पर एक्टिवेट करते थे। एक सिम कस्टमर को दे दिया जाता था जबकि दूसरा खुद के पास रख लिया जाता था। डिजिटल केवाईसी में फर्जी आधार कार्ड का प्रयोग किया जाता था, जिन्हें सुरेन्द्र सिंह के स्टूडियो से बनवाया जाता था। इन सिम कार्डों को बाद में साइबर ठगों को ऊंचे दामों पर बेचा जाता था, जिससे ये लोग करोड़ों की अवैध कमाई कर रहे थे।
साइबर अपराध में सिम कार्डों की भूमिका
गिरोह के सदस्य 200 से 300 एक्टिवेटेड सिम कार्ड इकट्ठा होने पर कौशाम्बी जाते थे और वहां संदीप पाण्डेय नामक व्यक्ति को बेचते थे, जो इन सिम कार्डों का इस्तेमाल साइबर अपराधों में करता था। इस गिरोह ने सिर्फ अक्टूबर 2023 से मार्च 2024 के बीच हजारों सिम कार्ड विभिन्न फर्जी आईडी से जारी किए। गिरोह के सदस्यों ने “राजू मोबाइल,” “अशोक किराना,” “दिनेश मोबाइल” जैसे फर्जी पीओएस के माध्यम से यह कार्य किया।
आगे की कार्रवाई
एसटीएफ द्वारा दर्ज अभियोग संख्या 115/2025 के अंतर्गत भारतीय दण्ड संहिता की धारा 34, 419, 420, 465, 467, 468, 471 तथा सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66C, 66D के तहत अभियोग पंजीकृत किया गया है। बरामद इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा जाएगा और गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश जारी है।
महत्वपूर्ण संकेत
एसटीएफ के इस ऑपरेशन से यह स्पष्ट है कि टेलीकॉम कम्पनियों की आंतरिक निगरानी व्यवस्था में भारी खामियां हैं। फील्ड अधिकारियों के सहयोग से इस तरह के बड़े फर्जीवाड़े संभव हो पा रहे हैं। यह कार्रवाई आने वाले समय में साइबर अपराध पर प्रभावी अंकुश लगाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकती है।
रिपोर्टः True News Up | चित्रकूट ब्यूरो |
दिनांक: 15 मई 2025