इजरायल ने एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए गाजा के निवासियों के मोबाइल फोन और इलाके में लगाए गए लाउडस्पीकरों के जरिए प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का संयुक्त राष्ट्र महासभा का भाषण प्रसारित किया. संबोधन में नेतन्याहू ने वहां बंधक बनाए गए लोगों से सीधे बात की और हमास को चेतावनी देते हुए बंधकों की रिहाई की मांग की.
बताया जा रहा है कि इजरायल की सेना (IDF) ने एक असामान्य अभियान में गाजा के निवासियों के मोबाइल फोन अपने नियंत्रण में लेकर वहां प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिए गए भाषण सीधे उन फोन पर स्ट्रीम किया. इसके साथ ही आईडीएफ ने कई जगहों पर बड़े लाउडस्पीकर भी लगा दिए ताकि भाषण गाजा में सुनाया जा सके.
नेतन्याहू ने बंधकों से सीधे बातचीत का प्रयास किया
अपने भाषण में नेतन्याहू ने 20 जीवित बंधकों के नाम लिए और उन्हें संबोधित किया. उन्होंने कहा, ‘मैं कुछ ऐसा करना चाहता हूं जो मैंने पहले कभी नहीं किया. मैं इस मंच से उन बंधकों से लाउडस्पीकर के जरिए सीधे बात करूंगा.’ उन्होंने बताया कि गाजा के आसपास बड़े लाउडस्पीकर लगाए गए हैं और वे पहले हिब्रू में और फिर अंग्रेजी में अपना संदेश देंगे.
नेतन्याहू ने कहा, ‘यह प्रधानमंत्री नेतन्याहू हैं, जो संयुक्त राष्ट्र से आपसे सीधे बात कर रहे हैं. हम आपको एक पल भी नहीं भूले. इजरायल की जनता आपके साथ है. हम तब तक नहीं रुकेगे जब तक हम आप सभी को घर नहीं लाते.’ उन्होंने आगे कहा कि इजरायली इंटेलिजेंस के खास प्रयासों की वजह से उनके शब्द अब गाजा के मोबाइल फोन पर भी लाइव पहुंच रहे हैं.
हमास को चेतावनी
नेतन्याहू ने हमास नेताओं और बंधकों के कैद रखने वालों से कहा कि वे अपने हथियार डाल दें और सभी बंधकों यानी ‘सभी 48 लोगों’ को तुरंत छोड़ दें. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर वे बंधकों को छोड़ देंगे तो उन्हें जीवन मिलेगा, नहीं तो ‘इजरायल उन्हें ढूंढकर खत्म कर देगा.’
IDF ने लगाए लाउडस्पीकर
प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने पहले कहा था कि गाजा में भाषण को लाइव चलाने की योजना है, मगर दावा किया कि यह केवल इजरायली सीमा के पार से किया जाएगा. हालांकि, आईडीएफ ने कहा कि कुछ लाउडस्पीकर ट्रक और क्रेन पर लगाकर पट्टी के अंदर सेना की चौकियों तक ले जाया गया, जिनमें कुछ स्थान सीमा से एक किलोमीटर से भी अधिक अंदर थे.
नेतन्याहू के कार्यालय ने इसे ‘जनसंपर्क प्रयास’ बताया और कहा कि प्रधानमंत्री ने स्पष्ट रूप से आदेश दिया था कि इस ऑपरेशन से आईडीएफ सैनिकों की सुरक्षा को कोई खतरा नहीं पहुंचना चाहिए.


































