भारत और अफगानिस्तान के बीच 10 अक्टूबर को नई दिल्ली में जारी हुए संयुक्त बयान पर पाकिस्तान ने कड़ा विरोध दर्ज कराया है. पाकिस्तान ने इस बयान में जम्मू कश्मीर को भारत का हिस्सा बताए जाने पर सख्त आपत्ति जताई है और इसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का उल्लंघन बताया ह
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि जम्मू कश्मीर को भारत का हिस्सा बताना संबंधित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और जम्मू कश्मीर की कानूनी स्थिति का स्पष्ट उल्लंघन है. पाकिस्तान ने कहा कि भारत और अफगानिस्तान का यह संयुक्त बयान कश्मीर के लोगों के बलिदान और उनके आत्मनिर्णय के अधिकार की लड़ाई के प्रति अत्यंत असंवेदनशील है.
अफगानिस्तान के राजदूत को तलब कर जताया विरोध
पाकिस्तान ने इस संयुक्त बयान को लेकर इस्लामाबाद में अफगानिस्तान के राजदूत को तलब किया और अपनी गंभीर चिंताएं औपचारिक रूप से दर्ज कराईं. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव (पश्चिम एशिया और अफगानिस्तान) ने राजदूत को बताया कि जम्मू कश्मीर को भारत का हिस्सा बताना अस्वीकार्य है.
आतंकवाद पर भी भिड़े पाकिस्तान-अफगानिस्तान
संयुक्त बयान में अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी ने यह कहा था कि आतंकवाद पाकिस्तान की आंतरिक समस्या है. इस बयान पर भी पाकिस्तान ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. पाकिस्तान ने मुत्तकी के इस बयान को तथ्यों से परे और गैर जिम्मेदाराना बताया. विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान कई बार अफगान सरकार को बता चुका है कि “फितना ए खवारिज” और “फितना ए हिंदुस्तान” नाम के आतंकी तत्व अफगान जमीन से पाकिस्तान के खिलाफ काम कर रहे हैं.
बयान में कहा गया कि आतंकवाद पर जिम्मेदारी पाकिस्तान पर डालने से अंतरिम अफगान सरकार अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त नहीं हो सकती. अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल पाकिस्तान के खिलाफ नहीं होना चाहिए.”
अफगान शरणार्थियों की वापसी का मुद्दा भी उठाया
पाकिस्तान ने अपने बयान में यह भी कहा कि वह चार दशक से करीब चार मिलियन अफगानों की मेजबानी कर रहा है. अब जबकि अफगानिस्तान में शांति लौट रही है, तो बिना अनुमति के पाकिस्तान में रह रहे अफगानों को अपने देश लौटना चाहिए विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान को अपनी सीमा में विदेशी नागरिकों की मौजूदगी को नियंत्रित करने का अधिकार है, और यह अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के अनुरूप है. इसके साथ ही पाकिस्तान ने दावा किया कि वह मानवीय दृष्टिकोण से अफगानों को मेडिकल और स्टडी वीजा भी जारी कर रहा है और इस्लामी भाईचारे की भावना से अफगान जनता को सहायता देता रहेगा.
‘हम स्थिर और समृद्ध अफगानिस्तान चाहते हैं’
बयान में कहा गया कि पाकिस्तान एक शांतिपूर्ण, स्थिर और क्षेत्रीय रूप से जुड़ा हुआ समृद्ध अफगानिस्तान देखना चाहता है. इसी भावना से पाकिस्तान ने अफगानिस्तान को व्यापार, आर्थिक और संपर्क सुविधाएं मुहैया कराई हैं. हालांकि पाकिस्तान ने साफ किया कि उसकी पहली जिम्मेदारी अपने नागरिकों की सुरक्षा है और अफगानिस्तान को अपनी जमीन पाकिस्तान विरोधी आतंकी तत्वों के इस्तेमाल से रोकने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे.
मुत्तकी बोले-पाकिस्तान को खुद सुलझानी चाहिए अपनी समस्याएं
भारत दौरे पर आए अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी ने भारत और अफगानिस्तान के साझा बयान के बाद पाकिस्तान की आपत्तियों पर कहा, ‘हम समझते हैं कि पाकिस्तान ने गलत किया है. इस तरह समस्याएं सुलझती नहीं हैं. हमने बातचीत के लिए दरवाजे खुले रखे हैं, लेकिन पाकिस्तान को अपनी समस्याएं खुद सुलझानी चाहिए.’ अफगानिस्तान के विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि अफगानिस्तान में 40 वर्षों के बाद शांति आई है और पाकिस्तान का यह रवैया ठीक नहीं है. यही बयान पाकिस्तान के लिए असहज साबित हुआ है, जिससे वह बौखला गया है.
भारत अफगानिस्तान ने पहलगाम आतंकी हमले की की थी निंदा
गौरतलब है कि भारत और अफगानिस्तान ने 10 अक्टूबर को जारी संयुक्त बयान में 22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की निंदा की थी, जिसमें 26 लोगों की मौत हुई थी. दोनों देशों ने आतंकवाद के सभी रूपों की निंदा की और क्षेत्र में शांति, स्थिरता और आपसी विश्वास बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया था.