मध्य प्रदेश का बुरहानपुर एक ऐसा ऐतिहासिक नगर है जो स्थापत्य, संस्कृति, मुग़ल इतिहास और इत्र (परफ्यूम) निर्माण की समृद्ध परंपरा के लिए जाना जाता है। नर्मदा नदी के किनारे बसा यह नगर अपने भीतर अनेक कहानियाँ समेटे हुए है— युद्धों की, प्रेम की, भक्ति की और कला की। यदि आप इतिहास प्रेमी हैं या अद्भुत मुग़ल वास्तुकला देखना चाहते हैं, तो बुरहानपुर आपके लिए एक आदर्श पर्यटन स्थल है।
बुरहानपुर का ऐतिहासिक परिचय
बुरहानपुर की स्थापना 14वीं शताब्दी में फारूक़ी सुल्तानों ने की थी, लेकिन इसे ख्याति मिली मुग़ल शासन के दौरान। बुरहानपुर को मुग़ल साम्राज्य ने एक प्रमुख सैनिक केंद्र और शाही विश्रामगृह के रूप में विकसित किया। यहीं से शाहजहाँ की पत्नी मुमताज़ महल की मृत्यु हुई थी, जिनकी याद में बाद में आगरा में ताजमहल का निर्माण हुआ।
बुरहानपुर के प्रमुख दर्शनीय स्थल
1. शाही क़िला (शाही महल)
बुरहानपुर का सबसे प्रमुख आकर्षण। यह क़िला नर्मदा नदी के किनारे स्थित है और इसे फारूकी सुल्तानों ने बनवाया था। इसमें मुग़ल शैली की नक्काशी, दीवार चित्र और सुंदर उद्यान देखने को मिलते हैं। यहीं पर मुमताज़ महल ने अंतिम साँसें ली थीं।
2. बड़ी दरगाह
यह सूफी संत हज़रत सैयद ज़ैन-उल-आबिदीन शाह की दरगाह है। यहाँ हर साल उर्स मेला आयोजित होता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं। यह स्थल बुरहानपुर की धार्मिक सहिष्णुता और सूफी संस्कृति का प्रतीक है।
3. धरमपुरी और असिरगढ़ क़िला
बुरहानपुर के समीप स्थित असिरगढ़ क़िला एक विशाल और प्राचीन दुर्ग है, जिसे “दक्षिण का द्वार” कहा जाता है। इसकी दीवारें और गुप्त सुरंगें इसे एक रोमांचक स्थल बनाती हैं।
4. हामिदिया मस्जिद और जामा मस्जिद
ये मस्जिदें मुग़ल वास्तुकला के सुंदर उदाहरण हैं, जिनमें सुंदर मेहराब, मीनारें और नक्काशी देखने को मिलती है।
5. मुमताज़ महल का मूल मक़बरा (अहूखाना)
यह वह स्थल है जहाँ मुमताज़ महल का पार्थिव शरीर आगरा ले जाने से पहले रखा गया था। आज भी यहाँ की दीवारों पर उस काल की मौन गूंज सुनाई देती है।
इत्र और कारीगरी का केंद्र
बुरहानपुर को “इत्रों की नगरी” भी कहा जाता है। यहाँ पारंपरिक तरीके से गुलाब, केवड़ा और चंदन से इत्र बनाए जाते हैं। साथ ही, यहां की बुनाई कला (हैंडलूम टेक्सटाइल) भी प्रसिद्ध है, विशेष रूप से हिमरू और मशरू वस्त्र।
धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता
यहाँ हिंदू, मुस्लिम, जैन और सिख समुदायों के धार्मिक स्थल मिलते हैं, जो इसकी सांस्कृतिक विविधता को दर्शाते हैं। नर्मदा किनारे का गोस्वामी तुलसीदास घाट और सिंधी समाज का बड़ा मंदिर भी दर्शनीय हैं।
कैसे पहुँचे?
निकटतम हवाई अड्डा: इंदौर (180 किमी)
रेलवे स्टेशन: बुरहानपुर जंक्शन, जो कई प्रमुख ट्रेनों से जुड़ा है
सड़क मार्ग: इंदौर, खंडवा और जलगांव से बस या टैक्सी द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है
ठहरने की व्यवस्था
बुरहानपुर में हर बजट के अनुसार होटल, लॉज और गेस्ट हाउस उपलब्ध हैं। मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा संचालित होटल भी यहाँ मौजूद हैं।
यात्रा का सर्वोत्तम समय
नवंबर से फरवरी का समय बुरहानपुर घूमने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है, जब मौसम ठंडा और सुहावना होता है।
बुरहानपुर एक ऐसा स्थल है, जहाँ इतिहास केवल किताबों में नहीं, दीवारों, दरवाज़ों और हवाओं में बसा हुआ है। यह नगर न केवल स्थापत्य प्रेमियों और इतिहासकारों के लिए स्वर्ग है, बल्कि एक आम यात्री के लिए भी शांति, भक्ति और सुगंध से भरपूर अनुभव प्रदान करता है। एक बार की यात्रा आपको मुग़ल काल की भव्यता, सूफी परंपरा की गहराई और भारतीय विविधता की सुंदरता से परिचित करा देगी।


































