
- मुख्यमंत्री ने संस्थान के मेधावी छात्रों को टेबलेट वितरित किए।
- फॉरेंसिक विज्ञान के पितामह कहे जाने वाले डॉ. लालजी सिंह के परिजनों से भेंट की।
- प्रो. अमित कुमार, डॉ. एस.के. जैन, डॉ. अभिषेक सिंह, डॉ. प्रवीण सिन्हा सहित कई विशेषज्ञों ने अपने व्याख्यान दिए।
- कार्यक्रम में प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद, एडीजी तकनीकी सेवाएं नवीन अरोड़ा व अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज उ0प्र0 स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेंसिक साइंस (UPSIFS), लखनऊ में आयोजित तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय शैक्षणिक शिखर सम्मेलन “Dimensions of Cyber Warfare, Multilateral Legal Frameworks, Forensics and Strategic Countermeasures” का दीप प्रज्वलित कर शुभारंभ किया।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने तरकश ड्रोन एवं रोबोटिक्स लैब, पद्मश्री डॉ. लालजी सिंह एडवांस्ड डीएनए डायग्नोस्टिक सेंटर और अटल लाइब्रेरी का उद्घाटन किया। साथ ही प्रदेश के 75 जिलों के लिए तकनीक-युक्त फॉरेंसिक मोबाइल वैन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का संबोधन

UPSIFS के तृतीय स्थापना दिवस पर मुख्यमंत्री ने संस्थान को बधाई दी और कहा कि ऐसे शिखर सम्मेलन केवल वर्तमान की आवश्यकता नहीं बल्कि भारतीय परंपरा का हिस्सा हैं।
उन्होंने कहा, “ज्ञान ही विकास का एक मात्र साधन है। यदि ज्ञान में बाधा आती है तो वह भविष्य में संघर्ष का कारण बनती है।” मुख्यमंत्री ने नैमिषारण्य में आयोजित संत-सभा का उल्लेख करते हुए कहा कि आज की तरह ऐसे मंथन से ही समाज और राष्ट्र का विकास संभव है। वर्ष 2017 में जहाँ प्रदेश में केवल 4 फॉरेंसिक लैब थीं, वहीं आज इनकी संख्या 12 हो गई है और 6 निर्माणाधीन हैं। प्रदेश में अब तक 1587 साइबर थाने और साइबर हेल्प डेस्क स्थापित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि एआई और रोबोटिक्स जैसी आधुनिक तकनीकियों के प्रयोग से ही देश को सुरक्षित और मजबूत बनाया जा सकता है।
डीजीपी राजीव कृष्णा का वक्तव्य
डीजीपी ने कहा कि साइबर अपराध की चुनौती हमें पारंपरिक विवेचना से आगे बढ़कर विज्ञान-आधारित साक्ष्यों की ओर ले जाती है। BNSS 2023 के तहत अब सात वर्ष से अधिक दंडनीय अपराधों में फॉरेंसिक साक्ष्य संकलन अनिवार्य कर दिया गया है। UPSIFS की स्थापना को उन्होंने मुख्यमंत्री की दूरदृष्टि का परिणाम बताया और कहा कि यह संस्थान छात्रों को विश्वस्तरीय शिक्षा एवं शोध का अवसर उपलब्ध करा रहा है। डीजीपी ने विश्वास जताया कि उत्तर प्रदेश पुलिस अब न सिर्फ कानून-व्यवस्था बल्कि फॉरेंसिक विज्ञान और साइबर सुरक्षा में भी देश की अग्रणी बनेगी।
केंद्र सरकार का दृष्टिकोण
भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव अभिषेक सिंह ने कहा: भारत अब विदेशी तकनीक पर निर्भर नहीं रहना चाहता, बल्कि अपने डिजिटल समाधान विकसित कर रहा है। उन्होंने भारतीय भाषाओं में वॉयस-आधारित सेवाओं, स्वदेशी एआई मॉडल्स और साइबर सुरक्षा के लिए नई फॉरेंसिक लैब्स की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने स्टार्टअप्स सर्वा, ज्ञानी और सॉकेट के योगदान का उल्लेख किया।
संस्थान के निदेशक डॉ. जी.के. गोस्वामी का वक्तव्य
उन्होंने बताया कि UPSIFS में प्रवेश केवल राष्ट्रीय स्तर की मेरिट आधारित परीक्षा से होता है। गत वर्ष प्रमुख पाठ्यक्रम की कट-ऑफ 92% रही। डॉ. गोस्वामी ने “Forensics as a Service” की परिकल्पना प्रस्तुत की और कहा कि UPSIFS डिजिटल युग में न्याय-प्रक्रिया और सुरक्षा को नई दिशा देगा।


































