इस समय हार्ट से जुड़ी तमाम बीमारियां महामारी की तरह फैल रही हैं, महामारी इन मायनों में कि पहले जो बीमारी 35 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को होती थी, अब उसके चपेट में 7 साल की उम्र के बच्चे भी हैं. भारत में एडल्ट लोगों की कुल आबादी में से 20 से 25 प्रतिशत आबादी ऐसी है, जो हाई बीपी की समस्या से जूझ रही है. अगर इसको आसान और मेडिकल टर्म में समझा जाए तो इसे हाइपरटेंशन कहा जाता है. पहले लोगों को लगता था कि बीपी की समस्या 30 से 40 साल के लोगों को होती थी, लेकिन आज 7 से लेकर 12 साल के ऐसे तमाम बच्चे आपको देखने को मिल जाएंगे, जो इसकी चपेट में हैं. इस बात का जिक्र तमाम स्टडी में पता चला है. चलिए आपको बताते हैं कि आप कैसे इसका पता लगा सकते हैं.
क्यों छोटी उम्र में हो रहा है खतरा
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (AHA) की रिपोर्ट के अनुसार, नई स्टडी के अनुसार अगर किसी को 7 साल की उम्र में बीपी की समस्या होती है, तो 50 साल की उम्र तक मरने की संभावना काफी ज्यादा हो जाती है. इस पूरी स्टडी के अनुसार, सिस्टोलिक और डायस्टोलिक दोनों समय को लंबे समय तक ट्रैक किया गया. इससे पहले की स्टडी में यह बताया गया था कि अगर किसी को 12 साल की उम्र में बीपी की समस्या होती है, तो एडल्ट होते-होते हार्ट की बीमारी का खतरा काफी बढ़ जाता है. लेकिन अब नई स्टडी में 7 साल की उम्र में खतरे की बात कही गई है.
क्यों हो रहा कम उम्र में खतरा
इतनी कम उम्र में हार्ट डिजीज बढ़ने के कई कारण हैं, जैसे कि बचपन से ही अनहेल्दी लाइफस्टाइल (ज्यादा जंक फूड, मोबाइल-टीवी पर घंटों बैठना, कम शारीरिक गतिविधि) हार्ट डिजीज का रिस्क बढ़ा देता है. मोटापा और बीपी की समस्या के चलते दिल की बीमारियों का खतरा लगातार बढ़ता जाता है. कुछ बच्चों में इस तरह की बीमारियां जेनिटिक या कॉनजेनिटल हार्ट प्रॉब्लम्स की वजह से होती हैं.
पहचान कैसे करें
अगर आपको पता करना है कि आपको कम उम्र में ही हार्ट डिजीज हो रहा है कि नहीं, तो आप ऐसे पता लगा सकते हैं-
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- थोड़ी सी एक्टिविटी के बाद सांस फूलना
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- खेलने या दौड़ने पर जल्दी थक जाना
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- बार-बार सीने में दर्द या असुविधा
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- तेज धड़कनें
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- होंठ या त्वचा का नीला पड़ना (कम ऑक्सीजन सप्लाई का संकेत)
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- वजन सही से न बढ़ना या बार-बार कमजोरी लगना
इसके रोकथाम के लिए जरूरी है कि बच्चों को हेल्दी डाइट दें और कोशिश करें कि उनकी डाइट से जंक फूड और ज्यादा चीनी कम हो. इसके अलावा अगर फैमिली हिस्ट्री है तो समय-समय पर डॉक्टर से हार्ट चेकअप कराना चाहिए.
Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.