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लखनऊ के मोती महल लॉन में श्रीराम कथा का चौथा दिन: कथावाचक स्वामी राघवाचार्य जी ने दी प्रेरणादायक शिक्षा, बोले- भगवान के दर्शन दुर्लभ नहीं, लालसा का होना जरूरी

लखनऊ के मोती महल लॉन में श्रीराम कथा का चौथा दिन: कथावाचक स्वामी राघवाचार्य जी ने दी प्रेरणादायक शिक्षा, बोले- भगवान के दर्शन दुर्लभ नहीं, लालसा का होना जरूरी
  • स्वामिश्री राघवाचार्य जी महाराज ने भगवान के दर्शन की सच्ची लालसा के महत्व पर जोर दिया।
  • यज्ञ के महत्व और भगवान के रक्षक एवं विनाशक स्वरूप का उल्लेख किया।
  • संतों को समाज की विशेष विभूति बताते हुए उनके जनसामान्य में मार्गदर्शन की भूमिका पर प्रकाश डाला।
  • कथा स्थल पर 2 जनवरी को विशाल संत सम्मेलन का आयोजन प्रस्तावित।
  • कथा में राज्यसभा सांसद एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा, पूर्व सांसद धनंजय सिंह, गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष श्याम बिहारी गुप्ता समेत कई अन्य विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति रही।

लखनऊ: राजधानी के मोती महल लॉन में चल रही श्रीराम कथा के चौथे दिन, श्रीरामलला सदन अयोध्या के पीठाधीश्वर स्वामिश्री राघवाचार्य जी महाराज ने उपस्थित श्रद्धालुओं को गहन आध्यात्मिक विचारों से ओतप्रोत किया। उन्होंने अपने प्रवचनों में भगवान के दर्शन की लालसा के महत्व पर विशेष जोर देते हुए कहा, “भगवान के दर्शन दुर्लभ नहीं हैं, लेकिन दर्शन की सच्ची लालसा दुर्लभ है। जब हमारी आत्मा भगवान के लिए तड़पने लगती है, तभी उनकी कृपा बरसती है।” उन्होंने गोपियों के उदाहरण से समझाया कि जब उनकी लालसा ने रुदन का रूप लिया, तब भगवान ने उनके संग रास रचाया।

उन्होंने भक्त श्री बिन्दु जी का उल्लेख करते हुए कहा, “उल्फत नशे का जिस दिन सच्चा सुरूर होगा, परमात्मा उसी दिन हाजिर जरूर होगा।”

यज्ञ का महत्व और भगवान का स्वरूप

स्वामी राघवाचार्य जी ने यज्ञ के महत्व को विस्तारित करते हुए कहा कि भगवान यज्ञ के रक्षक भी हैं और विनाशक भी। वह विश्व कल्याण के उद्देश्य से किए गए यज्ञों की रक्षा करते हैं, जबकि तामसिक यज्ञों का विध्वंस कराते हैं। उन्होंने भगवान को यज्ञपति, यजमान, यज्ञ के अंग, और यज्ञ के साधन के रूप में वर्णित किया। उन्होंने कहा, “प्रजापिता ब्रह्मा ने यज्ञ के साथ प्रजा का सृजन किया। यज्ञीय जीवन जीने से मानव जीवन उन्नत और पवित्र होता है।”

सत्य और धर्म का महत्व

महर्षि वशिष्ठ का उदाहरण देते हुए स्वामी जी ने बताया कि राम वहीं वास करते हैं, जहां सत्य और धर्म है। उन्होंने राम को सत्यनारायण और सत्य का पर्याय बताया।

संतों की भूमिका

स्वामिश्री राघवाचार्य ने संतों को धरती की विशेष विभूति बताते हुए कहा कि संतों के चरणों में तीर्थ निवास करते हैं। संत समाज को जनकल्याण के लिए आम जनता के बीच जाकर मार्गदर्शन करने का आवाहन किया। उन्होंने कहा कि यदि संत और आध्यात्मिक गुरु सक्रिय रूप से समाज में कार्य करें, तो वैचारिक, सामाजिक और पारिवारिक जीवन को सुदृढ़ बनाया जा सकता है।

विशेष आयोजन और उपस्थित अतिथि

कथा संयोजक डॉ. सप्तर्षि मिश्र ने बताया कि आगामी 2 जनवरी को कथा स्थल पर एक विशाल संत सम्मेलन आयोजित होगा। अयोध्याधाम से पधारे जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी ओम प्रपन्नाचार्य जी महाराज ने भी आज की कथा में अपने आशीर्वचन दिए।

चौथे दिन की कथा के यजमान धनंजय सिंह (पूर्व सांसद), आदेश सिंह (एडवोकेट) और अनिल उपाध्याय (केयर टेक्स) ने व्यास पूजन किया।

कार्यक्रम में राज्यसभा सांसद एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा, श्याम बिहारी गुप्ता (अध्यक्ष, गौ सेवा आयोग), आचार्य आलोक दीक्षित, पंकज तिवारी (कांग्रेस जिलाध्यक्ष, रायबरेली), आदेश यादव, सुनील मिश्रा, राघवेंद्र शुक्ला, विनय सिंह, रमन बाजपेयी, मनोज त्रिपाठी, सुशील शर्मा, संजय श्रीवास्तव, सुशील पांडेय, और लक्ष्मी नारायण मिश्र सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहे।

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