
- सीएमओ केडी अस्पताल की भूमिका की करेंगे जांच
- अन्य जिलों के प्रकरणों पर भी सख्त हुए उप मुख्यमंत्री, कहा- लापरवाही बर्दाश्त नहीं
- लेकिन मेडिकल कॉलेज के ही एक नामी डॉक्टर ए. के. सचान के कारनामों पर भी दीजिए ध्यान
- हिन्द इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज (HIMS) व शेखर हॉस्पिटल संचालित करने वाले बेनामी संपत्ति के अकूत स्वामी डॉक्टर आमोद कुमार सचान नहीं तो यही कर रहे
लखनऊ: 11 नवम्बर 2024: किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के ईएनटी विभाग के रेजिडेंट डॉ. रमेश कुमार द्वारा प्राइवेट प्रैक्टिस करने के प्रकरण को डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने गंभीरता से लिया है। डिप्टी सीएम ने मरीज की मौत और प्राइवेट प्रैक्टिस प्रकरण की जांच के आदेश दिये हैं।
केजीएमयू ईएनटी विभाग के डॉ. रमेश कुमार पर आरोप है कि उन्होंने प्राईवेट प्रैक्टिस एवं इलाज के दौरान खदरा स्थित केडी अस्पताल में मरीज को भर्ती कराया था। इलाज के दौरान मरीज की मृत्यु हो गई थी। इस प्रकरण का डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने संज्ञान लिया है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की घटनाओं से संस्थान, विभाग तथा सरकार की छवि धूमिल होती है। प्रकरण की जांच के निर्देश देते हुए उन्होंने सीएमओ को खदरा स्थित केडी अस्पताल की भूमिका एवं वहां की व्यवस्थाओं को परखने के लिए भी कहा है। एक सप्ताह में जांच रिपोर्ट प्रेषित करनी है।
पूर्व स्टोनो के प्रकरण पर मांगी रिपोर्ट
सिप्सा के पूर्व स्टेनो राजेन्द्र कुमार जोशी द्वारा आत्महत्या के प्रकरण पर डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने एक सप्ताह में जांच रिपोर्ट तलब की है।
मीडिया में पूर्व स्टोनो राजेंद्र कुमार जोशी को अफसरों द्वारा प्रताड़ित किए जाने की खबर प्रकाशित हुई थी। डिप्टी सीएम ने कार्यकारी निदेशक, राज्य परिवार नियोजन सेवा नवाचार परियोजना एजेन्सी (सिफ़्सा) को उक्त प्रकरण की रिपोर्ट प्रेषित करने के निर्देश दिए हैं।
प्राइवेट सेंटर पर एक्सरे कराने की होगी जांच
आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज में प्राइवेट सेंटर पर एक्सरे कराने एवं अन्य कतिपय अनियमितताओं के संबंध में प्रकाशित समाचार का डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने संज्ञान लिया है। मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य को इस संबंध में प्रभावी कार्रवाई करने एवं स्पष्टीकरण सहित एक सप्ताह में रिपोर्ट प्रेषित करने के निर्देश जारी किए गए हैं। उन्होंने कहा कि मरीजों को उच्चस्तरीय निःशुल्क स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। जांच रिपोर्ट आने के बाद दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी।
चिकित्सक के खिलाफ जांच
जिला चिकित्सालय, गोरखपुर में तैनात रेडियोलॉजिस्ट/कार्यवाहक प्रमुख अधीक्षक डॉ. राजेंद्र कुमार के विरुद्ध लगातार भ्रष्टाचार किए जाने, गलत तरीके से मेडिकोलीगल करने एवं अन्य कतिपय गंभीर शिकायतें प्राप्त होने पर उनके खिलाफ जांच बैठाई गई है। रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी। वहीं, उप मुख्य चिकित्साधिकारी/उपजिला क्षय रोग अधिकारी, हमीरपुर डॉ. दीपक मणि नायक द्वारा स्वास्थ्य संबंधित राष्ट्रीय कार्यक्रमों में रुचि न लेने, उच्चाधिकारियों के आदेशों की अव्हेलना करने की प्रारंभिक जांच जिलाधिकारी द्वारा कराई गई थी। जांच में दोषी पाए जाने पर डीएम द्वारा शासन को अवगत कराया गया है। चिकित्साधिकारी के विरुद्ध प्रमुख सचिव, स्वास्थ्य को भी जांच कराने के निर्देश जारी किए गए हैं।
तो फिर मेडिकल कॉलेज में तैनात HIMS व शेखर अस्पताल के असल मालिक डॉ ए. के. सचान पर क्यों मेहरबान
डॉ. आमोद कुमार सचान, जो केजीएमयू में फार्माकोलॉजी विभाग के अध्यक्ष और शेखर हॉस्पिटल के मालिक हैं, का नाम हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच के कारण विवादों में आया है। सात महीने से अधिक समय तक चली इस जांच में उनके बैंक खातों में 50 करोड़ से अधिक के ट्रांजैक्शन और आय से अधिक संपत्ति के मामले सामने आए हैं। इसके बावजूद, वे अब भी मेडिकल कॉलेज में अपनी नौकरी जारी रखे हुए हैं और रिटायरमेंट तक यह स्थिति बनी रह सकती है, उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक द्वारा विभिन्न मामलों में तेजी से कार्रवाई की जा रही है, ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि डॉ. सचान पर किसका संरक्षण है या उनके खिलाफ अब तक निर्णायक कदम क्यों नहीं उठाए गए हैं । गौरतलब है कि केजीएमयू के प्रोफेसर और शेखर हॉस्पिटल के मालिक, वर्तमान में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की बेनामी संपत्ति और वित्तीय अनियमितताओं से संबंधित जांच का सामना कर रहे हैं। इस जांच के बावजूद वे अपनी पदस्थिति को बनाए हुए हैं, जो कई सवाल खड़े करता है कि इस परिस्थिति में उन्हें कौन सा संरक्षण प्राप्त है। उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक द्वारा अन्य मामलों में त्वरित कार्रवाई के बीच, यह समझना आवश्यक है कि डॉ. सचान पर प्रभावी कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है।
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