
लखनऊ (11 अक्टूबर): समाज के तीसरे जेंडर, जिन्हें किन्नर, थर्ड जेंडर या हिजड़ा के नाम से जाना जाता है, को समाज में अक्सर हेय दृष्टि से देखा जाता है। समाज की इस अनदेखी और भेदभावपूर्ण मानसिकता को बदलने के लिए लखनऊ की प्रसिद्ध सोशल वर्कर गरिमा सिंह ने एक सराहनीय पहल की है। पिछले पांच वर्षों से गरिमा सिंह नवरात्र के समापन अवसर पर “किन्नर अर्धनारीश्वर भोज” का आयोजन कर रही हैं, जिससे किन्नर समुदाय को समाज की मुख्यधारा में जोड़ने का संदेश दिया जा सके।

इस बार भी नवरात्र समापन के मौके पर, गरिमा सिंह ने गोमती नगर एक्सटेंशन स्थित होटल द लीफ में किन्नर भोज का आयोजन किया, जहां उन्होंने किन्नरों के पैरों को धोकर उनको भोजन कराकर और उन्हें सम्मानित किया। इस अनूठी पहल से उन्होंने न केवल किन्नर समुदाय को सम्मानित किया बल्कि पूरे प्रदेश और देश में लिंग आधारित भेदभाव को खत्म करने का संदेश भी दिया।
गरिमा सिंह: किन्नरों को उपदेवता के रूप में मान्यता देने वाली सनातन परंपरा की समर्थक

गरिमा सिंह का मानना है कि प्राचीन सनातन परंपरा में किन्नरों को उपदेवता का दर्जा दिया गया है। उन्होंने कहा, “प्राचीन काल में किन्नरों का समाज में बड़ा महत्व था। धार्मिक ग्रंथ भी किन्नरों को हेय दृष्टि से देखने की इजाजत नहीं देते। किन्नर समुदाय को सम्मान देना हमारे धर्म और परंपरा का हिस्सा है।”

गरिमा सिंह के अनुसार, समाज का ताना-बाना केवल पुरुष और महिला से नहीं, बल्कि तीसरे जेंडर से भी बनता है। दुर्भाग्यवश, सभ्य समाज आज भी इस समुदाय को अच्छी नजर से नहीं देखता और उन्हें केवल हंसी का पात्र मानता है।
समाज में लिंग आधारित भेदभाव पर गरिमा सिंह की टिप्पणी

गरिमा सिंह ने समाज में व्याप्त लिंग आधारित भेदभाव पर अपने विचार साझा करते हुए कहा, “समाज में सभी प्रकार के लोगों का अलग-अलग पेशा होता है और उसका सम्मान करना हर व्यक्ति का दायित्व है। लेकिन किन्नर समुदाय को आज भी वो सम्मान नहीं दिया जाता जो उन्हें मिलना चाहिए। यह वही समुदाय है जो हमारी खुशियों में शामिल होता है, हमें शुभ आशीर्वाद देता है। फिर भी समाज में उन्हें हाशिए पर रखा जाता है, जो समाज की दोहरी मानसिकता को दर्शाता है।”
किन्नर अर्धनारीश्वर भोज: समाज को संदेश

गरिमा सिंह की इस पहल का उद्देश्य किन्नरों के मान-सम्मान को बढ़ावा देना और समाज में उनके योगदान को पहचान दिलाना है। किन्नर भोज के आयोजन से न केवल उन्हें भोजन कराया जाता है, बल्कि उनका सम्मान भी किया जाता है। इस भोज में किन्नरों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए प्रेरित किया जाता है और समाज के लोगों को इस समुदाय के प्रति अपने विचारों को बदलने का संदेश दिया जाता है।
समाज को नई दिशा: गरिमा सिंह की पहल

गरिमा सिंह की इस पहल ने समाज को एक नई दिशा दिखाई है, जहां लिंग के आधार पर भेदभाव समाप्त करने की जरूरत है। किन्नर समुदाय को समाज में सम्मान दिलाने के लिए गरिमा सिंह का यह प्रयास अत्यंत सराहनीय है। उनकी यह पहल पूरे प्रदेश और देश के लिए प्रेरणादायक है और इससे समाज में एक सकारात्मक बदलाव की उम्मीद की जा रही है।


































