हमारी आंखों से पानी आना कई वजहों से हो सकता है. अगर सुबह उठते ही आपकी आंखें ज्यादा नम या पानी से भरी लगती हैं, तो यह एपिफोरा नाम की स्थिति भी हो सकती है. एपिफोरा का मतलब है आंखों का अत्यधिक पानी बहाना या तो आंखें जरूरत से ज्यादा आंसू बना रही होती हैं या फिर आंसू निकालने वाला सिस्टम ठीक से काम नहीं कर रहा होता. चलिए, आपको बताते हैं कि सुबह आंखों में पानी क्यों आता है
सुबह आंखों से पानी आने की वजह
rauteyecare के अनुसार, कई बार सुबह-सुबह आंखों से पानी आने के पीछे ये सामान्य कारण होते हैं. अचानक रोशनी बदलने से आंखें आंसू बनाने लगती हैं. ठंडी हवा, तेज रोशनी, धुआं, धूल, केमिकल्स या मच्छर भगाने वाली स्प्रे जैसी चीजें भी आंखों को चुभन देकर पानी ला सकती हैं. कई लोगों को एलर्जिक राइनाइटिस होता है, जिसमें छींक आना, नाक बहना और आंखों से पानी आना, ये सब बेडरूम में मौजूद धूल, मिट्टी, पालतू जानवरों की डैंडर या ठंडी हवा से ट्रिगर हो सकता है.
कभी-कभी यह किसी आंख की बीमारी का संकेत भी होता है
1. सूखी आंखें
अजीब लगता है, लेकिन हां, सूखी आंखें भी पानी ला सकती हैं. आंखों के ऊपर एक टीयर फिल्म होती है जिसमें तीन लेयर होती हैं म्यूकस, पानी और तेल की परत. ड्राई आई में पानी वाली परत कम बनती है या तेल वाली परत कमजोर होने से आंसू जल्दी सूख जाते हैं. जब आंख सूखती है, तो शरीर तुरंत ज्यादा पानी वाली परत बनाने लगता है. पर अगर तेल की परत कमजोर है, तो ये नए आँसू आँख पर टिक नहीं पाते और बाहर बह जाते हैं. इसलिए आँख अंदर से सूखी रहती है, लेकिन बाहर पानी आता है.
2. नींद में पलकें पूरी तरह बंद न होना
कुछ लोगों की पलकें सोते समय पूरी तरह बंद नहीं होतीं, जिससे आंख का एक हिस्सा रातभर सूख जाता है. सुबह उठते ही शरीर सूखी आँख को बचाने के लिए अचानक आंसू बना देता है, जिससे आंख पानी-पानी लगती है.
3. कॉर्नियल इरोजन
कभी हल्की चोट, जैसे नाखून या कागज के किनारे से कॉर्निया पर लग जाती है. शुरू में ठीक लगती है, लेकिन ऊपर की परत ठीक से चिपकती नहीं. सुबह आंख खोलते ही यह परत फिर छिल सकती है, जिससे, तेज पानी, चुभन रोशनी से परेशानी (फोटोफोबिया जैसे लक्षण आते हैं.
सुबह आंखों में पानी आने पर क्या करें?
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- सुबह कमरे में रोशनी धीरे-धीरे आने दें सीधे तेज लाइट न पड़े.
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- पंखे या AC की सीधी हवा में न सोएं.
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- कमरे में नमी बनाए रखने के लिए ह्यूमिडिफायर या पानी से भरा कटोरा रखें.
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- एलर्जी हो तो साफ और धुले हुए बेडशीट-पिलो कवर का इस्तेमाल करें; एयर प्यूरीफायर फायदेमंद है.
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- रात में कमरे में मच्छर-रोधी स्प्रे या तेज केमिकल वाली चीजें न प्रयोग करें.
सुबह वॉक के समय ठंडी हवा से बचने के लिए चश्मा पहनें; बाहर निकलने से पहले आर्टिफिशियल टीयर या सलाइन ड्रॉप डालना मददगार हो सकता है. अगर पलक की किनारों पर इंफेक्शन, ऑयल लेयर की समस्या, कॉर्नियल इरोजन या एक्सपोजर केराटोपैथी हो, तो डॉक्टर का इलाज जरूरी है.
Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


































