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चीन की नौसेना को मिला तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर ‘फुजियान’, जानें इसकी ताकत और भारत की बढ़ती चिंता

चीन ने अपने नौसिक बेड़े में तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर फुजियान शामिल कर लिया है. इसे इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापल्ट से लैस सबसे आधुनिक युद्धपोत बताया जा रहा है, जिससे फाइटर जेट्स और अन्य तरह के विमानों को उड़ान भरने में मदद मिलती है. फुजियान को चीनी नौसेना में शामिल किए जाने के अवसर पर आयोजित गोपनीय समारोह में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी मौजूद थे.

फुजियान एक इलेक्ट्रोमैग्नेटिक एयरक्राफ्ट लॉन्च सिस्टम (EMALS) से लैस है, जिसका इस्तेमाल केवल अमेरिकी एयरक्राफ्ट कैरियर USS गेराल्ड आर फोर्ड में किया जाता है. साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की खबर के अनुसार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले हफ्ते कहा था कि वह EMALS तकनीक को छोड़कर भाप ऊर्जा पर वापस जाना चाहते हैं.

चौथा एयरक्राफ्ट कैरियर भी बना रहा चीन

उन्होंने इस एडवांस लॉन्च सिस्टम को महंगा, अविश्वसनीय और मरम्मत के लिहाज से मुश्किल बताया. हालांकि, तीनों चीनी एयरक्राफ्ट कैरियर पारंपरिक रूप से संचालित हैं, लेकिन हालिया रिपोर्टों में कहा गया है कि चीन कथित तौर पर डालियान में अपना चौथा एयरक्राफ्ट कैरियर बना रहा है, जो परमाणु ऊर्जा से संचालित हो सकता है ताकि इसकी क्षमता और वैश्विक पहुंच बढ़ाने के साथ उन्नत प्रणालियों को चलाने के लिए काफी अधिक शक्ति प्रदान की जा सके.

नौसेना के लिए एयरक्राफ्ट कैरियर रखने वाले प्रमुख देशों की सूची में सबसे आखिरी देश चीन के पास वर्तमान में दो विमानवाहक पोत हैं: लियाओनिंग, जो 2012 में शामिल किये गये सोवियत युग के जहाज का एक रिफिट है और शेडोंग, जो 2019 में चालू होने वाला एक स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर है.

फुजियान चीन का सबसे बड़ा एयरक्राफ्ट कैरियर

सेना ने जब कहा कि कैरियर आधारित विमान जे-15T, J-35 और कोंगजिंग-600 ने इसके सपाट डेक पर कैटापुल्ट की मदद से उड़ान भरने और अरेस्टेड लैंडिंग करने का प्रशिक्षण सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है, इसके बाद फुजियान को इसमें शामिल कर लिया गया. तीनों विमान एयरक्राफ्ट कैरियर पारंपरिक रूप से संचालित हैं. 80,000 टन विस्थापन के साथ फुजियान इनमें से सबसे बड़ा है.

विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिका के साथ बढ़ते तनाव के साथ, चीन विभिन्न वैश्विक समुद्री मार्गों में संचालन के लिए और अधिक एयरक्राफ्ट कैरियर बना सकता है. चीन की सरकारी न्यूज एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, शी जिनपिंग को फुजियान की युद्ध क्षमताओं और उसके एडवांस इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापल्ट के उपयोग के बारे में जानकारी दी गई. उन्होंने ही नौसेना को EMALS तकनीक का उपयोग करने का निर्देश दिया.

कहां हो सकती है फुजियान की तैनाती?

कमांडिंग अधिकारियों और पायलटों की ओर से विमान के तकनीकी और सामरिक प्रदर्शन और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापल्ट के लाभों के बारे में जिनपिंग को जानकारी दी गई. इसके अलावा राष्ट्रपति जिनपिंग ने टॉवर का दौरा किया और उड़ान कमान, टेक-ऑफ और लैंडिंग संचालन के बारे में जानकारी ली. तीसरे एयरक्राफ्ट कैरियर के संचालन के साथ उम्मीद की जा रही है कि चीनी नौसेना इसे ताइवान जलडमरूमध्य और विवादित दक्षिण चीन सागर के आसपास के क्षेत्र में तैनात कर सकती है.

चीन ताइवान को अपनी मुख्य भूमि का हिस्सा बताता है. वह दक्षिण चीन सागर के अधिकांश हिस्से पर भी अपना दावा करता है. वह फिलीपींस, वियतनाम, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान पर अपना दावा करता है.

बढ़ सकती है भारत की टेंशन

फुजियान के संचालन के साथ चीन भारत के निकटवर्ती क्षेत्र हिंद महासागर और अरब सागर में विमानवाहक पोतों की तैनाती का विस्तार भी कर सकता है, जहां उसका नौसैनिक बेड़ा सक्रिय है. इस क्षेत्र में अफ्रीका के हॉर्न में स्थित जिबूती और पाकिस्तान के ग्वादर में उसका नौसैनिक अड्डा है, इसके अलावा श्रीलंका में स्थित वाणिज्यिक बंदरगाह हंबनटोटा पर भी उसका कब्जा है.

बीबीसी की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, चीन के पास अब दुनिया का सबसे बड़ा परिचालन बेड़ा है, जिसमें 234 युद्धपोत हैं, जबकि अमेरिकी नौसेना के पास केवल 219 हैं. एयरक्राफ्ट कैरियर, आईएनएस विक्रांत और आईएनएस विक्रमादित्य का संचालन करने वाली भारतीय नौसेना भी हिंद महासागर में अपना प्रभुत्व बनाए रखने के लिए और अधिक नौसैनिक जहाजों को शामिल करके इस क्षेत्र में आगे बढ़ रही है.

नया फाइटर जेट भी बना रहा चीन

चीन एक नया लड़ाकू विमान विकसित कर रहा है जो उसके वाहक समूहों से संचालित हो सकता है. चीनी सैन्य मामलों के विशेषज्ञ झांग जुनशे ने चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स को बताया कि फुजियान का नौसेना में शामिल होना पीएलए की नौसेना को तटीय रक्षा से सुदूर समुद्र की रक्षा में समर्थ बनाने से जुड़े परिवर्तन की दिशा में उपलब्धियों का प्रतीक है.

झांग ने कहा कि फुजियान के नौसेना में शामिल होने से पीएलए नौसेना में तीन बड़े बदलाव के साथ इसकी क्षमता में उछाल आएगा. पहला, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापुल्ट सिस्टम का इस्तेमाल, जो विमानों को पूरे ईंधन और गोला-बारूद के साथ उड़ान भरने में सक्षम बनाता है, जिससे युद्ध का दायरा बढ़ता है और आक्रमण क्षमता में भी इजाफा होता है.

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