डोनाल्ड ट्रंप के चीन से आयात पर अतिरिक्त 100 प्रतिशत टैरिफ और अमेरिकी सॉफ्टवेयर पर एक्सपोर्ट कंट्रोल को लेकर भारत में चीनी राजनयिक ने अमेरिका पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि अगर वॉशिंगटन नरम नहीं हुआ तो उनका देश उचित तरीके से जवाब देगा.
कोलकाता में चीनी महावाणिज्यदूत शू वेई ने एक कार्यक्रम में बुधवार (23 अक्टूबर) को बोलते हुए अमेरिका-चीन टैरिफ युद्ध को लेकर कहा कि अमेरिका को अपनी गलतियां सुधारनी चाहिए, वरना चीन अपने अधिकारों की रक्षा के लिए जरूरी कदम उठाने पर मजबूर हो जाएगा.
‘मजबूर किया गया तो हम जरूर जवाब देंगे’
वेई ने पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में कहा, “अमेरिका-चीन टैरिफ युद्ध के मुद्दे पर चीन का रुख बिल्कुल स्पष्ट है. हम कोई संघर्ष नहीं चाहते, लेकिन अगर हमें मजबूर किया गया तो हम जरूर जवाब देंगे. हम लड़ेंगे, लेकिन हमारे दरवाजे खुले हैं. हम दोहरा रहे हैं कि सहयोग से दोनों देशों को फायदा होता है.
वेई ने जोर देकर कहा कि भारत और चीन दोनों को वर्तमान चुनौती का सामना करने के लिए एक रणनीति बनानी चाहिए. न केवल चीन, बल्कि अमेरिका और भारत को भी सहयोग की आवश्यकता है क्योंकि सहयोग से लाभ होता है और टकराव से सभी को नुकसान होता है. उन्होंने आगे कहा कि जनवरी से सितंबर 2025 तक ही दोनों देशों के बीच व्यापार 115 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया, जो वैश्विक चुनौतियों के बावजूद मजबूत वाणिज्यिक संबंधों को दर्शाता है.
अमेरिका से सोयाबीन खरीदना चीन ने किया बंद
अमेरिकी टैरिफ के जवाब में चीन ने सितंबर में अमेरिका से सोयाबीन का कोई आयात नहीं किया. नवंबर 2018 के बाद पहली बार ऐसा हुआ कि शिपमेंट शून्य हो गया. इसके बजाय, दक्षिण अमेरिका से आयात एक साल पहले की तुलना में तेज़ी से बढ़ाया है, क्योंकि दो सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के बीच जारी व्यापार तनाव के बीच चीनी खरीदारों ने अमेरिकी माल से परहेज किया है.
अमेरिकी किसानों को तगड़ा नुकसान
विशेषज्ञों का मानना है कि व्यापार वार्ता में प्रगति के बिना अमेरिकी किसानों को अरबों डॉलर का नुकसान होने का खतरा है, क्योंकि चीनी सोयाबीन व्यापारी दक्षिण अमेरिकी आपूर्तिकर्ताओं से आयात करते रहेंगे. हालांकि अगले साल की शुरुआत में ब्राजील की नई फसल तैयार होने से पहले बीजिंग को आपूर्ति की कमी का सामना करना पड़ सकता है.