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Heart Attack in Young Adults:40 साल से कम उम्र में हार्ट अटैक से मर रहे हैं 25% लोग, जानिए युवाओं में क्यों बढ़ रहा है यह खतरा

बॉलीवुड इस समय चुनौतियों से गुजर रहा है, मानों किसी ने उसपर नजर लगा दी हो. पंकज धीर, गोवर्धन असरानी के बाद अब दिवाली के दो दिन बाद एक्टर और सिंगर ऋषभ टंडन का निधन हो गया. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ऋषभ दिवाली मनाने दिल्ली आए हुए थे और यहीं उन्होंने दुनिया को अलविदा कहा. रिपोर्ट्स में कहा गया है कि वे घर पर थे, उसी दौरान उन्हें हार्ट अटैक आया. उनकी उम्र महज 35 साल थी. आपको बताते हैं कि हार्ट अटैक से मरने वाले 25 प्रतिशत लोगों की उम्र 40 साल से कम क्यों होती है. आखिर युवा इसकी चपेट में क्यों आ रहे हैं?

यंग लोग क्यों चपेट में?

Indian Heart Association के अनुसार, भारत में लगभग 25 प्रतिशत हार्ट अटैक 40 साल से कम उम्र के लोगों में हो रहे हैं. IHA के अनुसार, दुनियाभर में 20 प्रतिशत आबादी की हिस्सेदारी के साथ भारत दुनिया के 60 प्रतिशत हार्ट डिजीज के मामले को झेल रहा है. भारत में हार्ट डिजीज मौत का नंबर वन कारण है और इसे भारतीयों के बीच एक साइलेंट एपिडेमिक माना जा रहा है.

भारत दुनिया में डायबिटीज कैपिटल के तौर पर जाना जाता है. इसका कारण यह है कि भारतीयों में डायबिटीज, मेटाबॉलिक सिंड्रोम, हाई ब्लड प्रेशर और स्मोकिंग की दर काफी अधिक है, जो हार्ट डिजीज के रिस्क को बढ़ा देते हैं. अमेरिकी संस्था American College of Cardiology (ACC) की रिपोर्ट कहती है कि अमेरिका में हर 5 में से 1 हार्ट अटैक मरीज की उम्र 40 साल या उससे कम है.

यंग लोगों में क्यों बढ़ रहे हैं हार्ट के मामले?

एक्सपर्ट बताते हैं कि युवाओं में हार्ट अटैक की बढ़ती दर कई कारणों से जुड़ी है. इसमें पहला कारण है कि आजकल लाइफस्टाइल में काफी बदलाव हुआ है. लोग ज्यादा जंक फूड खाते हैं, कम फिजिकल एक्टिविटी करते हैं और लंबे समय तक स्क्रीन पर रहना पसंद करते हैं.

इसके अलावा दूसरा कारण यह है कि आजकल यंग जनरेशन काफी डिप्रेशन और तनाव का सामना कर रही है. नौकरी, प्यार और परिवार का स्ट्रेस युवाओं के हार्ट पर सीधा असर डालता है. इसके अलावा इसके कई जेनेटिक लक्षण भी होते हैं, जिसके चलते कई लोग इसका शिकार हो जाते हैं.

कैसे करें बचाव?

अब बात करते हैं कि इससे बचाव कैसे करें. इससे बचाव करने के लिए सबसे पहले अगर सीने में हल्का दर्द या दबाव हो रहा है, तो डॉक्टर से जाकर जरूर मिलें. इसके अलावा इसके कुछ दूसरे लक्षण भी हैं, जैसे कि ज्यादा थकान, सांस फूलना और चक्कर आना, इनको नजरअंदाज मत करें.

इसके साथ ही अपनी लाइफस्टाइल को बदलें. जैसे कि संतुलित आहार लें और जंक फूड कम करें, रोजाना कम से कम 30 मिनट एक्सरसाइज करें और धूम्रपान और अल्कोहल से काफी दूरी बनाकर रखें.

Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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