
- सरोजनीनगर विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह की ‘रामरथ-श्रवण अयोध्या यात्रा’ ने 50वां पड़ाव पूरा कर इतिहास रचा।
- इस निःशुल्क सेवा के तहत अब तक 7,000 से अधिक श्रद्धालुओं को अयोध्या दर्शन कराए जा चुके हैं।
- यात्रा की शुरुआत 2022 में डॉ. सिंह ने अपनी माता स्वर्गीय श्रीमती तारा सिंह की स्मृति में की थी।
- बुजुर्गों ने कहा – “हमारे विधायक नहीं, हमारे श्रवण कुमार हैं डॉ. राजेश्वर सिंह।”
- यह यात्रा श्रद्धा, सेवा और सामाजिक समरसता का सशक्त प्रतीक बन चुकी है।

लखनऊ : सरोजनीनगर विधानसभा के भाजपा विधायक डॉ.राजेश्वर सिंह द्वारा संचालित “रामरथ-श्रवण अयोध्या यात्रा” ने जनसेवा, श्रद्धा और सामाजिक समरसता के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की है। गुरुवार को लखनऊ के आशियाना सेक्टर स्थित जगदम्बेश्वर महादेव मंदिर से इस यात्रा का 50वां चरण प्रारंभ हुआ, जिसमें दो विशेष बसों के माध्यम से सेकंड इनिंग सीनियर सिटीजन क्लब के लगभग 120 वरिष्ठ नागरिकों को अयोध्या धाम के दर्शन कराए गए।

इस निःशुल्क यात्रा ने न केवल हजारों श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक अनुभव प्रदान किया है, बल्कि यह सरोजनीनगर की पहचान बन चुकी है- एक ऐसी पहल जिसने भक्ति को सेवा से और आस्था को आत्मीयता से जोड़ा है।
यात्रा की शुरुआत और उद्देश्य : सेवा में निहित श्रद्धा का संदेश
इस सेवा का शुभारंभ 27 सितंबर 2022 को डॉ. राजेश्वर सिंह ने अपनी माता स्वर्गीय श्रीमती तारा सिंह जी की पावन स्मृति में किया था। तब से अब तक यह यात्रा 7,000 से अधिक श्रद्धालुओं को अयोध्या धाम के दर्शन करा चुकी है। इनमें वरिष्ठ नागरिक, महिलाएँ, छात्र-छात्राएँ, प्रशिक्षणार्थी, वृद्धाश्रमों के बुजुर्गजन और समाज के सभी वर्गों के लोग शामिल हैं।
यह यात्रा उन लोगों के लिए एक अवसर बन चुकी है, जो आर्थिक, स्वास्थ्य या पारिवारिक कारणों से कभी अयोध्या नहीं जा पाए थे। यात्रा के हर चरण में डॉ. सिंह की समर्पित टीम भोजन, जलपान, प्रसाद, चिकित्सा सहायता और यात्रा सुविधा का संपूर्ण प्रबंधन करती है। अयोध्या में जहाँ बसें नहीं पहुँच पातीं, वहाँ श्रद्धालुओं को बैटरी रिक्शा से रामलला, हनुमानगढ़ी और सरयू तट तक दर्शन कराए जाते हैं, ताकि हर श्रद्धालु की भक्ति यात्रा पूर्ण और आत्मिक रूप से संतोषप्रद हो।
‘श्रवण कुमार’ की भूमिका में विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह
इस सेवा यात्रा ने सरोजनीनगर के सामाजिक परिवेश को गहराई से प्रभावित किया है।
यहाँ के बुजुर्गजन गर्व से कहते हैं-
“हमारे विधायक नहीं, हमारे श्रवण कुमार हैं डॉ. राजेश्वर सिंह।”
डॉ. सिंह ने इस यात्रा के माध्यम से यह प्रमाणित किया है कि राजनीति केवल पद का नहीं, बल्कि सेवा-संकल्प का माध्यम हो सकती है।
लगातार 50 यात्राओं का संचालन केवल आयोजन नहीं, बल्कि एक सामाजिक आंदोलन है — जो यह दर्शाता है कि सेवा में जब श्रद्धा जुड़ती है, तो वह साधना बन जाती है, और भक्ति में जब करुणा मिलती है, तो वह समाज को जोड़ देती है।
यात्रा के भाव और सामाजिक संदेश
‘रामरथ-श्रवण अयोध्या यात्रा’ केवल धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह सामाजिक एकता और मानवीयता का उत्सव है।
1. धर्म और समाज सेवा का समन्वय
इस यात्रा ने यह सिखाया है कि धर्म केवल पूजा या अनुष्ठान नहीं, बल्कि सेवा, सम्मान और सहानुभूति का विस्तार है।
डॉ. सिंह का मानना है कि –
“श्रद्धा तभी सार्थक है, जब वह किसी के चेहरे की मुस्कान और किसी के जीवन की राहत बन जाए।”
2. वृद्धों का सम्मान और सामाजिक एकता
यह यात्रा बुजुर्गों के लिए आध्यात्मिक संतोष के साथ-साथ समाज में सम्मान और अपनत्व का माध्यम बनी है।
इससे युवाओं में सेवा भावना जागृत हुई है और पीढ़ियों के बीच भावनात्मक सेतु मजबूत हुआ है।
3. सद्भावना और समरसता का प्रतीक
‘रामरथ यात्रा’ में हर वर्ग, हर समुदाय, हर क्षेत्र के लोग सम्मिलित होते हैं।
यह “सबका साथ, सबका विश्वास, सबको तीर्थ” के मूल मंत्र को साकार करती है।
यह यात्रा वास्तव में “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” की आत्मा को अभिव्यक्त करती है।
‘सेवा में श्रद्धा’ – डॉ. राजेश्वर सिंह की दृष्टि
डॉ. सिंह का मानना है –
“रामकाज कीन्हे बिनु मोहि कहाँ विश्राम।” “यह यात्रा केवल आस्था का नहीं, बल्कि समाज को जोड़ने का माध्यम है। हर यात्रा में नए श्रद्धालु जुड़ते हैं, नई कहानियाँ जन्म लेती हैं और समाज में सकारात्मक ऊर्जा फैलती है।”
उनके अनुसार, “रामरथ यात्रा सेवा के माध्यम से साधना है, जहाँ हर मुस्कुराता चेहरा हमारी प्रेरणा है और हर बुजुर्ग का आशीर्वाद हमारी शक्ति।”
यात्रा के 50वें पड़ाव का महत्व
50वीं यात्रा केवल एक आँकड़ा नहीं, बल्कि सेवा के सतत संकल्प का प्रतीक है।
यह दर्शाता है कि जब जनप्रतिनिधि सेवा को अपने कार्य का आधार बना लेता है, तब राजनीति का स्वरूप लोककल्याण का पर्याय बन जाता है।
डॉ. राजेश्वर सिंह की यह पहल लखनऊ की सीमाओं से आगे बढ़कर प्रदेशभर के जनसेवकों के लिए प्रेरणा बन चुकी है।
आगे की दिशा : यात्रा अनवरत जारी रहेगी
डॉ. सिंह ने कहा कि यह यात्रा निरंतर जारी रहेगी, ताकि अधिकाधिक श्रद्धालु विशेषकर वरिष्ठ नागरिक और महिलाएँ इस पावन सेवा से लाभान्वित हो सकें।
उन्होंने कहा कि –
“यह केवल यात्रा नहीं, सरोजनीनगर परिवार की आध्यात्मिक परंपरा बन चुकी है। जब तक समाज में श्रद्धा और सेवा का भाव रहेगा, ‘रामरथ’ चलता रहेगा।”
श्रद्धा, सेवा और समाज का समागम
‘रामरथ-श्रवण अयोध्या यात्रा’ ने यह सिद्ध किया है कि राजनीति का सर्वोच्च रूप जनसेवा है और जनसेवा का श्रेष्ठतम रूप आस्था से प्रेरित समाज सेवा है।
डॉ. राजेश्वर सिंह की यह पहल सरोजनीनगर ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए “सेवा में समर्पण और श्रद्धा में सादगी” का अद्भुत उदाहरण बन गई है।