मिस्र के शर्म अल शेख शांति सम्मेलन में सोमवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध रोकने का पूरा श्रेय अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को जाता है. यह बयान ऐसे समय आया जब मंच पर शरीफ और ट्रंप के बीच सौहार्दपूर्ण माहौल देखने को मिला. वहीं भारत की कूटनीति को दुनिया ने देखा.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, जिन्होंने गाजा शांति योजना प्रस्तावित की है, इस सम्मेलन के सह आयोजक हैं. उनके साथ मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल सीसी भी सह आयोजक हैं. दिन में पहले ट्रंप ने इज़रायली संसद में संबोधन दिया, जहां उन्होंने प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की प्रशंसा की और हमास को हिंसा के खिलाफ सख्त चेतावनी दी.
PM मोदी ने किया गाजा युद्धविराम का स्वागत
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जिन्हें मिस्र शिखर सम्मेलन में आमंत्रित किया गया था, लेकिन उन्होंने विदेश राज्यमंत्री कीर्ति वर्धन सिंह को भेजा. मोदी ने गाजा में युद्धविराम और बंधकों की रिहाई का स्वागत करते हुए ‘X’ (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, ‘हम दो वर्षों से अधिक समय से बंदी बनाए गए सभी बंधकों की रिहाई का स्वागत करते हैं. यह उनके परिवारों के साहस, राष्ट्रपति ट्रंप के अथक शांति प्रयासों और प्रधानमंत्री नेतन्याहू के दृढ़ संकल्प का प्रतीक है. हम राष्ट्रपति ट्रंप की ईमानदार कोशिशों का समर्थन करते हैं जो इस क्षेत्र में शांति लाने के लिए की जा रही हैं.’
20 से अधिक देशों के नेता सम्मेलन में शामिल
मिस्र के राष्ट्रपति कार्यालय के अनुसार, शर्म अल शेख शांति सम्मेलन में कम से कम 20 देशों के नेता भाग ले रहे हैं. कांग्रेस सांसद और पूर्व राजनयिक शशि थरूर ने इस पर X पर पोस्ट करते हुए सवाल उठाया,’क्या यह रणनीतिक संयम है या एक खोया हुआ अवसर?’ शशि थरूर ने स्पष्ट किया कि यह कीर्ति वर्धन सिंह की योग्यता पर सवाल नहीं है, लेकिन इतने बड़े नेताओं की मौजूदगी में भारत का यह स्तर का प्रतिनिधित्व “रणनीतिक दूरी” का संकेत दे सकता है, जो भारत के बयानों से मेल नहीं खाता.
उन्होंने आगे कहा, ‘केवल प्रोटोकॉल के लिहाज से भी देखा जाए तो भारत की आवाज उतनी प्रभावशाली नहीं हो पाएगी जितनी हो सकती थी. जब क्षेत्र खुद को नया आकार दे रहा है, तो हमारी अनुपस्थिति चौंकाने वाली है.’
शिखर सम्मेलन में शामिल प्रमुख नेता
इस सम्मेलन में कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी शामिल हैं, जिन्होंने ट्रंप के साथ मिलकर शांति प्रक्रिया शुरू करने में भूमिका निभाई. इसके अलावा, फिलिस्तीनी प्राधिकरण के नेता महमूद अब्बास भी इसमें भाग ले रहे हैं, जबकि इसराइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने हिस्सा नहीं लिया.
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर, स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज़, इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी, यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष एंटोनियो कोस्टा, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस, अरब लीग के महासचिव अहमद अबूल ग़ैत और जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला द्वितीय. इसके साथ ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़, कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी, और इराक के प्रधानमंत्री मोहम्मद शिया अल सूदानी भी उपस्थित रहे.