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डॉ. राजेश्वर सिंह की कड़ी आपत्ति से बड़ा बदलाव: सीएम योगी ने प्रदेश के इस बड़े अधिकारी क को हटाया, सड़कों व नालियों के लिए ₹200 करोड़ स्वीकृत

  • विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह की आपत्ति और चिट्ठी के बाद सीएम योगी ने नगर विकास विभाग की समीक्षा की।
  • राजधानी की दुर्दशा पर नाराज़ होकर मुख्यमंत्री ने नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव को तत्काल हटा दिया।
  • लखनऊ की जर्जर सड़कों और नालियों के लिए ₹200 करोड़ की अतिरिक्त राशि स्वीकृत की गई।
  • सभी लंबित नगर निगम परियोजनाओं को प्राथमिकता पर मंज़ूरी देने का आदेश दिया गया।
  • जनता ने फैसले का स्वागत किया, राजनीतिक पर्यवेक्षकों ने इसे सख़्त नेतृत्व और जवाबदेही का उदाहरण बताया।

लखनऊ, 21 सितम्बर 2025 : राजधानी लखनऊ की नगर व्यवस्था को लेकर सरोजनीनगर विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह की सख़्त आपत्ति और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से हुई विशेष मुलाक़ात ने बड़ा असर डाला है। मुख्यमंत्री ने नगर विकास विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर नाराज़गी जताते हुए विभाग के प्रधान सचिव को तत्काल हटाने का आदेश दिया और शहर के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए ₹200 करोड़ की अतिरिक्त धनराशि स्वीकृत कर दी।

विधायक का हस्तक्षेप और कड़ा रुख

सरोजनीनगर विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह राजधानी की समस्याओं को लगातार जनता के बीच से उठाते रहे हैं। 28 अगस्त 2025 को उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाक़ात कर एक विस्तृत पत्र सौंपा। इस पत्र में उन्होंने साफ़ लिखा कि राजधानी की सड़कों और नालियों की हालत जनता के लिए “असुविधाजनक और शर्मनाक” हो चुकी है। लगातार जलभराव, टूटी सड़कों, रुकी पड़ी परियोजनाओं और नगर विकास विभाग की लापरवाही पर उन्होंने तीखी नाराज़गी व्यक्त की।

पत्र में डॉ. सिंह ने यह भी कहा कि यदि समय रहते सुधार नहीं किया गया तो न केवल जनता को भारी कष्ट झेलना पड़ेगा बल्कि लखनऊ जैसी राजधानी की छवि पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा होगा। उनके इस कड़े रुख ने मुख्यमंत्री को तत्काल कार्रवाई करने के लिए मजबूर कर दिया।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सख़्त कार्रवाई

विधायक की आपत्ति और हस्तक्षेप के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तुरंत नगर विकास विभाग और नगर निगम की कार्यशैली की समीक्षा की। सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री लखनऊ की दुर्दशा और जलभराव जैसी समस्याओं से बेहद असंतुष्ट थे। उन्होंने यह माना कि राजधानी का यह हाल जनता के साथ-साथ सरकार की छवि के लिए भी हानिकारक है।

मुख्यमंत्री ने निर्णायक कदम उठाते हुए नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव को तत्काल प्रभाव से हटा दिया। इसके साथ ही उन्होंने अन्य ज़िम्मेदार अधिकारियों को भी कड़ी चेतावनी दी। उन्होंने साफ़ संकेत दिया कि लापरवाही किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी। साथ ही सभी लंबित परियोजनाओं को प्राथमिकता पर मंज़ूरी देने और काम को तेज़ गति से पूरा करने के निर्देश जारी किए।

₹200 करोड़ की विशेष स्वीकृति

इस पूरे घटनाक्रम का सबसे बड़ा नतीजा यह रहा कि मुख्यमंत्री ने लखनऊ के लिए ₹200 करोड़ की विशेष धनराशि स्वीकृत कर दी। यह राशि सीधे राजधानी की बुनियादी समस्याओं को दूर करने में खर्च की जाएगी। सरकार ने तय किया है कि इस राशि का उपयोग जर्जर और टूटी सड़कों की मरम्मत, नालियों की सफ़ाई और उनकी मज़बूती, तथा त्योहारों से पहले तेजी से विकास कार्यों को पूरा करने के लिए किया जाएगा।

इस कदम से जहां शहर की तस्वीर बदलने की उम्मीद जगी है, वहीं जनता को यह भरोसा भी मिला है कि उनकी आवाज़ पर शीर्ष स्तर पर असर हो रहा है।

जनता और राजनीतिक प्रतिक्रिया

लखनऊ के नागरिकों ने इस निर्णय का स्वागत किया और कहा कि यह सुधार लंबे समय से लंबित था। स्थानीय निवासियों का कहना है कि बरसात के दिनों में जलभराव और गड्ढों से भरी सड़कों ने उनका जीवन मुश्किल बना दिया था। अब मुख्यमंत्री के सीधे हस्तक्षेप से उन्हें राहत मिलने की उम्मीद है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह घटनाक्रम दो अहम बातों को उजागर करता है। पहली, डॉ. राजेश्वर सिंह की आक्रामक और जवाबदेही वाली नेतृत्व शैली, जो जनता की समस्याओं को सीधे शीर्ष स्तर पर पहुंचाने में सफल रही। दूसरी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह सख़्त कदम उनके “ज़ीरो टॉलरेंस” और त्वरित शासन के मॉडल को दर्शाता है, जो जनता के बीच उनकी छवि को और मजबूत करता है।

पृष्ठभूमि और पूर्व प्रयास

यह कोई पहला मौका नहीं है जब डॉ. राजेश्वर सिंह ने राजधानी की समस्याओं को मुख्यमंत्री के सामने रखा हो। अगस्त 2024 में भी उन्होंने लखनऊ में जलभराव की समस्या को लेकर मुख्यमंत्री को विस्तृत ज्ञापन सौंपा था। उस समय उन्होंने “स्थायी एंटी-वॉटरलॉगिंग मास्टर प्लान” बनाने का सुझाव दिया था। उनकी लगातार कोशिशों और दबाव का ही नतीजा है कि अब राजधानी की मूलभूत समस्याओं पर गंभीरता से ध्यान दिया जा रहा है।

आगे की राह

अब जब मुख्यमंत्री कार्यालय खुद इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी करेगा और अतिरिक्त धनराशि स्वीकृत हो चुकी है, तो आने वाले कुछ हफ्तों में लखनऊ की तस्वीर बदलने की उम्मीद है। प्रशासनिक फेरबदल, अधिकारियों की जवाबदेही और नए फंड के साथ शहर में बड़े पैमाने पर सुधार कार्य शुरू होंगे। जनता के लिए यह राहत की नई उम्मीद है। साथ ही यह राजनीतिक संदेश भी देता है कि जब कोई विधायक मजबूती से जनता की आवाज़ उठाता है, तो पूरा सिस्टम हरकत में आ जाता है।

सरोजनीनगर विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह की कड़ी आपत्ति और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सख़्त कार्रवाई से लखनऊ को एक नई शुरुआत मिली है। प्रशासनिक स्तर पर बदलाव, ₹200 करोड़ की धनराशि और कार्यों की निगरानी का निर्णय राजधानी के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है। यह घटनाक्रम न सिर्फ जनता को राहत देगा बल्कि यह भी दिखाएगा कि लोकतंत्र में जब जनप्रतिनिधि ईमानदारी से जनता की बात उठाते हैं, तो बदलाव संभव है।

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