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लखनऊ: सरोजनी नगर में “विशिष्ट शिक्षक सम्मान समारोह”, 120 शिक्षकों का सम्मान और छात्रों को डिजिटल सौगात

  • सरोजनी नगर में विशिष्ट शिक्षक सम्मान समारोह आयोजित हुआ, जिसमें 120 शिक्षकों को सम्मानित किया गया।
  • समारोह में 15 मेधावी छात्रों को लैपटॉप दिए गए, जिससे उन्हें डिजिटल युग की नई सौगात मिली।
  • 32 विद्यालयों व महाविद्यालयों में डिजिटल पुस्तकालय और 31 संस्थानों में इंटरएक्टिव डिजिटल बोर्ड लगाए गए।
  • 5 विद्यालयों में आधुनिक फर्नीचर और 27 विद्यालयों में सुरक्षित झूले लोकार्पित किए गए, जिससे पढ़ाई का माहौल और आकर्षक हुआ।
  • विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने युवाओं को नवाचार और आत्मनिर्भर बनने का संदेश देते हुए शिक्षा क्रांति का विज़न प्रस्तुत किया।

लखनऊ : शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर राजधानी लखनऊ के सरोजनी नगर क्षेत्र में शिक्षा और सम्मान का ऐसा संगम देखने को मिला जिसने पूरे प्रदेश का ध्यान अपनी ओर खींचा। प्राथमिक विद्यालय कली पश्चिम में आयोजित “विशिष्ट शिक्षक सम्मान समारोह” केवल एक औपचारिक आयोजन नहीं था, बल्कि यह शिक्षा की बदलती तस्वीर, नई सोच और समाज के भविष्य की दिशा तय करने वाला ऐतिहासिक क्षण बन गया। इस अवसर पर सरोजनी नगर के विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने शिक्षा क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले 120 समर्पित शिक्षकों को सम्मानित किया। साथ ही, 15 मेधावी छात्रों को लैपटॉप प्रदान कर उनके सपनों को डिजिटल पंख दिए गए।

शिक्षक दिवस पर खास सौगात

शिक्षक दिवस के मौके पर आयोजित इस समारोह ने न केवल शिक्षकों का सम्मान बढ़ाया बल्कि उन्हें समाज में उनकी वास्तविक भूमिका की याद भी दिलाई। विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने कहा कि शिक्षक केवल पढ़ाने वाले नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण करने वाले होते हैं। उन्होंने शिक्षकों की तुलना भारतीय इतिहास और संस्कृति की महान विभूतियों से करते हुए कहा कि हमारे शिक्षक गुरु गोबिंद सिंह की वीरता, चाणक्य की नीति, बुद्ध की करुणा, स्वामी विवेकानंद के जागरण, डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के सपनों और डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के आदर्शों को अपने व्यक्तित्व में समाहित करते हैं।

इस तरह के विचारों ने समारोह में मौजूद प्रत्येक शिक्षक को गर्व से भर दिया। कार्यक्रम ने यह संदेश दिया कि समाज की प्रगति में शिक्षकों का योगदान अमूल्य है और उनके बिना किसी भी राष्ट्र का भविष्य अधूरा है।

सरोजनी नगर में शिक्षा का डिजिटल क्रांतिकाल

समारोह में शिक्षा जगत के लिए कई महत्वपूर्ण घोषणाएं और लोकार्पण किए गए। पांच विद्यालयों में आधुनिक फर्नीचर की व्यवस्था की गई। इससे न केवल छात्रों को आराम मिलेगा बल्कि उनके लिए पढ़ाई का वातावरण और अधिक आकर्षक बनेगा। विद्यालयों की दीवारें और कक्षाएं अब केवल चार दीवारों तक सीमित नहीं रहेंगी, बल्कि उनमें आधुनिक संसाधनों का समावेश होगा।

इसी तरह 27 विद्यालयों में सुरक्षित और आकर्षक झूलों का लोकार्पण किया गया। छोटे बच्चों के लिए यह झूले शिक्षा के साथ-साथ खेल का माध्यम भी बनेंगे। शिक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि बच्चों का मानसिक और शारीरिक विकास तभी संतुलित हो सकता है जब उनके पास सीखने और खेलने दोनों के अवसर हों।

इसके अलावा 32 विद्यालयों और महाविद्यालयों में डिजिटल पुस्तकालयों की स्थापना की गई। इन डिजिटल लाइब्रेरियों में हजारों किताबें और अध्ययन सामग्री उपलब्ध होगी, जिससे छात्रों को किसी भी विषय पर तुरंत जानकारी मिल सकेगी। 31 संस्थानों में इंटरएक्टिव डिजिटल बोर्ड लगाए गए। ये बोर्ड पारंपरिक ब्लैकबोर्ड की जगह लेकर पढ़ाई को और ज्यादा रोचक और प्रभावी बना रहे हैं।

अब तक सरोजनी नगर क्षेत्र में 1300 से अधिक छात्रों को लैपटॉप, टैबलेट और साइकिल वितरित की जा चुकी है। यह पहल साबित करती है कि डिजिटल युग में शिक्षा के अवसरों को सभी तक पहुँचाना कितना आवश्यक है।

मेधावी छात्रों के लिए प्रेरणा – लैपटॉप सौगात

लैपटॉप वितरण समारोह का सबसे प्रेरणादायी हिस्सा रहा। 15 मेधावी छात्रों को लैपटॉप प्रदान किए गए। यह केवल एक तकनीकी उपकरण नहीं था, बल्कि उनके सपनों को साकार करने का जरिया भी है। ग्रामीण और शहरी पृष्ठभूमि से आने वाले इन छात्रों के लिए यह लैपटॉप उच्च शिक्षा, प्रतियोगी परीक्षाओं और भविष्य की डिजिटल दुनिया में सफलता की कुंजी साबित होंगे।

डॉ. सिंह ने कहा कि आज की पढ़ाई केवल किताबों तक सीमित नहीं रह गई है। ऑनलाइन शिक्षा, रिसर्च पोर्टल और डिजिटल इनोवेशन का दौर है। ऐसे में लैपटॉप छात्रों को नई दिशा देने में मदद करेंगे और वे तकनीक का बेहतर उपयोग करके अपना भविष्य उज्ज्वल बना सकेंगे।

शिक्षा का सफर: तब और अब

कार्यक्रम के दौरान डॉ. सिंह ने शिक्षा के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि जब भारत स्वतंत्र हुआ था, तब देश की साक्षरता दर केवल 18 प्रतिशत थी। औसत आयु मात्र 35 वर्ष थी और पूरे देश में विद्यालयों की संख्या 1.4 लाख से भी कम थी। यह आंकड़े बताते हैं कि उस समय शिक्षा व्यवस्था कितनी कमजोर थी।

लेकिन आज देश ने लंबा सफर तय किया है। अब हमारे पास 14.7 लाख से अधिक विद्यालय, 1100 विश्वविद्यालय और 75 प्रतिशत से अधिक साक्षरता दर है। यह परिवर्तन केवल सरकारी योजनाओं से संभव नहीं हुआ बल्कि शिक्षकों की अथक मेहनत, समाज के सहयोग और छात्रों की जिज्ञासा ने मिलकर इसे संभव बनाया।

भविष्य की दृष्टि: नौकरी देने वाले बनें हमारे छात्र

डॉ. राजेश्वर सिंह ने अपने भाषण में युवाओं को आत्मनिर्भरता और नवाचार की ओर प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि आने वाले समय की लगभग 80 प्रतिशत नौकरियां आज अस्तित्व में भी नहीं हैं। इसका अर्थ है कि भविष्य के लिए छात्रों को नई कौशल, रचनात्मकता और वैश्विक सोच से लैस होना पड़ेगा।

उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य यह होना चाहिए कि छात्र केवल नौकरी खोजने वाले न बनें, बल्कि नौकरी देने वाले और नवाचार करने वाले बनें। इसी सोच के तहत सरोजनी नगर में डिजिटल शिक्षा, तकनीकी संसाधन और आधुनिक शैक्षणिक ढांचा विकसित किया जा रहा है।

विद्यालयों में बेहतर माहौल – आधुनिक फर्नीचर और झूले

विद्यालयों में बच्चों के लिए बेहतर माहौल तैयार करने के प्रयासों का असर अब दिखने लगा है। आधुनिक फर्नीचर से जहां छात्रों को आराम और सुविधा मिल रही है, वहीं सुरक्षित झूले बच्चों के लिए विद्यालय को मनोरंजक बना रहे हैं। इससे छात्रों में विद्यालय आने की रुचि बढ़ रही है और पढ़ाई का स्तर भी सुधर रहा है।

शिक्षा मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि जब बच्चे आरामदायक माहौल में पढ़ते हैं और खेल-खेल में सीखते हैं तो उनकी स्मरण शक्ति और रचनात्मकता कई गुना बढ़ जाती है। इस दृष्टि से यह पहल बेहद महत्वपूर्ण है।

कार्यक्रम में शामिल गणमान्य अतिथि

समारोह में बड़ी संख्या में गणमान्य लोग मौजूद रहे। सांसद श्री कौशल किशोर ने इस अवसर पर कहा कि डॉ. राजेश्वर सिंह का विज़न सरोजनी नगर को शिक्षा का हब बना रहा है। सर्वजन हिताय संरक्षण समिति के अध्यक्ष श्री शैलेंद्र दुबे ने कहा कि शिक्षा में जो क्रांति सरोजनी नगर में हो रही है, वह पूरे प्रदेश के लिए उदाहरण बनेगी।

इसके अलावा वरिष्ठ शिक्षा अधिकारी, विद्यालयों के प्राचार्य, स्थानीय जनप्रतिनिधि, ग्राम प्रधान, पार्टी पदाधिकारी और बड़ी संख्या में शिक्षक व छात्र-छात्राएं इस समारोह के गवाह बने। समारोह ने शिक्षा जगत को नई दिशा दी और यह संदेश दिया कि जब समाज और राजनीति मिलकर शिक्षा के लिए काम करते हैं तो परिणाम ऐतिहासिक होते हैं।

“विशिष्ट शिक्षक सम्मान समारोह” केवल एक कार्यक्रम नहीं बल्कि शिक्षा की बदलती तस्वीर और सरोजनी नगर के शिक्षा मॉडल का प्रमाण है। यह समारोह दिखाता है कि अगर सही नेतृत्व और दूरदृष्टि हो तो शिक्षा को न केवल आधुनिक बनाया जा सकता है बल्कि समाज के हर वर्ग तक पहुँचाया जा सकता है।

120 शिक्षकों का सम्मान और 15 मेधावी छात्रों को लैपटॉप वितरण इस परिवर्तन की केवल शुरुआत है। सरोजनी नगर की यह पहल आने वाले समय में प्रदेश और देश के लिए प्रेरणा स्रोत बनेगी। डॉ. राजेश्वर सिंह का विज़न स्पष्ट है – शिक्षा से आत्मनिर्भर और नवाचार-प्रधान भारत का निर्माण।

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