
- बख्शी का तालाब स्थित संस्थान में वन्डर बाक्स आधारित क्षमता संवर्धन प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन हुआ।
- उप मुख्यमंत्री के नेतृत्व में बच्चों की शिक्षा को नया दृष्टिकोण देने की पहल की गई।
- कार्यक्रम में सुशासन विषय पर भी विशेषज्ञों ने विचार प्रस्तुत किए।
- बच्चों की उम्र अनुसार शिक्षा की पद्धति पर शिक्षाविदों ने गहन विश्लेषण किया।
- महानिदेशक ने गुरुकुल परंपरा की उपयोगिता को आज के संदर्भ में सार्थक बताया।

लखनऊ, 6 अगस्त 2025 : दीन दयाल उपाध्याय ग्राम्य विकास संस्थान, बख्शी का तालाब, लखनऊ में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सतत् प्रशासनिक दक्षता और नवाचार आधारित क्षमता निर्माण के उद्देश्य से दो दिवसीय “वन्डर बाक्स आधारित क्षमता संवर्धन” विषयक प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफल आयोजन किया गया। उप मुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य के नेतृत्व और निर्देशन में यह आयोजन संस्थान के महानिदेशक एल. वेंकटेश्वर लू के संरक्षण तथा अपर निदेशक श्री सुबोध दीक्षित के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ।
प्रशिक्षण कार्यक्रम की रूपरेखा और उद्देश्य
यह विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम 4 और 5 अगस्त 2025 को आयोजित किया गया, जिसमें प्राथमिक शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश के सहयोग से विभिन्न सरकारी, अर्धसरकारी विभागों, स्वैच्छिक संस्थाओं तथा रचनात्मक कार्यों से जुड़े लोगों को प्रशिक्षण प्रदान किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य प्रतिभागियों को बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा के लिए उपयोगी और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समृद्ध “वन्डर बाक्स” के माध्यम से शिक्षण विधियों से परिचित कराना था।
साथ ही 5 से 7 अगस्त तक ‘गुड गवर्नेंस’ विषय पर भी प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है, जिसमें शासन व्यवस्था की पारदर्शिता, उत्तरदायित्व और सहभागिता जैसे प्रमुख पहलुओं पर फोकस किया जा रहा है।
विशिष्ट वक्ताओं ने रखे विचार
कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय प्रबुद्ध विशेषज्ञों ने अपने विचार व्यक्त किए।
- उमेश चन्द्र जोशी, सलाहकार एवं राष्ट्रीय मास्टर ट्रेनर, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग, भारत सरकार ने सुशासन प्रणाली में सहभागिता, पारदर्शिता और जवाबदेही जैसे मूलभूत तत्वों की प्रासंगिकता को रेखांकित किया।
- उन्होंने प्रशिक्षण की प्रभावी प्रक्रिया “सिस्टेमेटिक एप्रोच टू ट्रेनिंग” (SAT) तथा वयस्क शिक्षा और व्यवहार शास्त्र पर भी गहन व्याख्यान प्रस्तुत किया।
डा. किशनवीर सिंह शाक्य, प्रख्यात शिक्षाविद और उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के पूर्व वरिष्ठ सदस्य ने “वन्डर बाक्स” की उपयोगिता पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कहा कि तीन से छह वर्ष की आयु के बच्चों की सीखने की क्षमता तीव्र होती है, अतः उन्हें सहज और सरल ज्ञानवर्धक उपकरणों से जोड़ना अत्यंत आवश्यक है।
वरुण विद्यार्थी, मानवोदय सेवा संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष ने बाल मानसिकता, माता-पिता की चुनौतियों और परिवारिक परिवेश के प्रभाव पर अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने बालकेंद्री शिक्षण में सहयोगी और संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाने पर बल दिया।
महानिदेशक का प्रेरणादायी संदेश
कार्यक्रम के समापन पर संस्थान के महानिदेशक एल. वेंकटेश्वर लू ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए भारत की प्राचीन गुरुकुल परंपरा की उपयोगिता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि “हमारे ऋषि-मुनियों द्वारा संचालित गुरुकुल व्यवस्था न केवल ज्ञान, बल्कि नैतिकता, अनुशासन और सामाजिक सेवा की प्रेरणा भी देती थी।”
प्रशासनिक सहयोग और संचालन
कार्यक्रम का संचालन डा. नवीन कुमार सिन्हा द्वारा किया गया तथा उप निदेशक डॉ. बी. एल. मौर्य ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए सभी अतिथियों, प्रशिक्षकों, प्रतिभागियों और संस्थान के अधिकारियों का आभार प्रकट किया।
इस आयोजन में सफल प्रबंधन और आयोजन हेतु सहायक निदेशक डॉ. राजकिशोर यादव, डॉ. वरुण चतुर्वेदी, डॉ. शिव बचन सिंह यादव, मोहित यादव, विनीता सिंह, उपेन्द्र कुमार दूबे एवं मोहम्मद शहंशाह की सराहनीय भूमिका रही।


































