
लखनऊ, 20 जुलाई 2025 | उत्तर प्रदेश में हाल ही में सामने आए अवैध धर्मांतरण के मामलों ने न सिर्फ प्रदेश बल्कि पूरे देश को झकझोर दिया है। छांगुर बाबा धर्मांतरण गिरोह और आगरा में ISIS लिंक्ड कन्वर्ज़न मॉड्यूल के खुलासे के बाद समाज में भय और आक्रोश दोनों व्याप्त हैं। इन गंभीर घटनाओं पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए सरोजनीनगर के भाजपा विधायक एवं पूर्व आईपीएस अधिकारी डॉ. राजेश्वर सिंह ने केंद्र सरकार से एक सशक्त, सर्वमान्य और कठोर “केंद्रीय धर्मांतरण विरोधी अधिनियम” बनाने की मांग की है।
डॉ. सिंह ने स्पष्ट कहा, “अब धर्मांतरण धार्मिक स्वतंत्रता का विषय नहीं रहा। यह भारत की सांस्कृतिक आत्मा, बेटियों की अस्मिता और सामाजिक संरचना पर सीधा आक्रमण है। इसे सहन नहीं किया जा सकता।”
धर्मांतरण का राष्ट्रविरोधी चेहरा उजागर
डॉ. सिंह ने अपनी बात रखते हुए दो प्रमुख घटनाओं का उल्लेख किया:
- छांगुर बाबा गिरोह – जिसने अब तक लगभग 5000 हिन्दू लड़कियों का धर्मांतरण करवा कर करोड़ों रुपये का साम्राज्य खड़ा किया। जातिगत मूल्य निर्धारण के आधार पर धर्मांतरण की दर तय की जाती थी।
- आगरा ISIS कन्वर्ज़न मॉड्यूल – जिसमें दो बहनों को जबरन कोलकाता ले जाया गया, बाद में उत्तर प्रदेश पुलिस ने “मिशन अस्मिता” के तहत उन्हें मुक्त कराया और 10 धर्मांतरण एजेंटों को गिरफ्तार किया। इन घटनाओं ने यह स्पष्ट किया है कि यह केवल सामाजिक समस्या नहीं, बल्कि एक सुनियोजित, वैचारिक और विदेशी फंडिंग से पोषित राष्ट्रविरोधी नेटवर्क है।
डॉ. राजेश्वर सिंह ने उठाए ये गंभीर सवाल:
- जब हजारों बेटियाँ धर्मांतरण का शिकार होती हैं, तब तथाकथित सेक्युलर दल चुप क्यों रहते हैं?
- क्या उनका वोटबैंक, राष्ट्रहित से ऊपर है?
- क्या यह चुप्पी आतंकवाद की मौन सहमति नहीं है?
अवैध धर्मांतरण – एक सुनियोजित खतरा
डॉ. सिंह ने कहा कि यह सिर्फ एक व्यक्ति का धर्म बदलने की प्रक्रिया नहीं, बल्कि:
संस्कृति का उन्मूलन
परिवारों का विघटन
बेटियों की अस्मिता का शोषण
आतंकवाद के लिए वैचारिक जमीन तैयार करना
विदेशी फंडिंग और एजेंसियों का दखल
इन सभी बिंदुओं पर उन्होंने सरकार और समाज को जागरूक करते हुए कहा कि यदि अभी भी ठोस कदम नहीं उठाए गए तो इसका प्रभाव दीर्घकालिक और गंभीर होगा।
केंद्रीय विधि मंत्री को पत्र: कठोर कानून की मांग
डॉ. सिंह ने केंद्रीय विधि मंत्री अर्जुनराम मेघवाल को एक विस्तृत पत्र लिखकर केंद्रीय धर्मांतरण विरोधी अधिनियम (Central Anti-Conversion Act) लागू करने की मांग की। उन्होंने इस कानून में कई महत्वपूर्ण प्रावधानों का सुझाव दिया:
डॉ. सिंह के प्रस्तावित कानून की मुख्य बातें:
1️⃣ स्पष्ट परिभाषा और श्रेणीकरण:
जबरन, प्रलोभन, धोखाधड़ी, विवाह आधारित और विदेशी फंडिंग से प्रेरित धर्मांतरण को अलग-अलग श्रेणियों में रखा जाए।
संगठित धर्मांतरण को मानसिक एवं वैचारिक आतंकवाद माना जाए।
2️⃣ कड़ा दंड:
मास कन्वर्ज़न नेटवर्क चलाने वालों को आजीवन कारावास।
बिचौलियों और एजेंटों को 7 से 10 वर्ष तक की सख्त सजा।
3️⃣ सुरक्षा और निगरानी तंत्र:
हर धर्मांतरण से पहले और बाद में संबंधित व्यक्ति को जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष लिखित घोषणा देनी होगी।
विवाह आधारित धर्मांतरण के मामलों में न्यायिक जांच अनिवार्य की जाए।
एक राष्ट्रीय धर्मांतरण विरोधी प्राधिकरण की स्थापना की जाए जो संगठनों, फंडिंग और नेटवर्क की निगरानी करे।
NIA (नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी) को आतंक और विदेशी फंडिंग से जुड़े मामलों की जांच का अधिकार दिया जाए।
4️⃣ पीड़ितों की रक्षा और पुनर्वास:
पीड़ित बेटियों के लिए फास्ट-ट्रैक कानूनी सहायता, सुरक्षा, और पुनर्वास योजनाएं लागू हों।
सोशल मीडिया पर कट्टरपंथ फैलाने वाले अकाउंट्स को तुरंत बंद किया जाए।
5️⃣ NGO और विदेशी फंडिंग पर नियंत्रण:
FCRA कानून के तहत उन NGO पर प्रतिबंध लगाया जाए जो धर्मांतरण में संलिप्त हों।
सभी धार्मिक संस्थाओं की ऑडिटिंग अनिवार्य की जाए और उनकी विदेशी फंडिंग की नियमित जांच हो।
राजनीति से ऊपर राष्ट्रनीति की आवश्यकता
डॉ. सिंह ने कहा, “यह विषय राजनीति से ऊपर राष्ट्र की आत्मा से जुड़ा है। जब राष्ट्र की बेटियों की अस्मिता पर हमला हो, तब चुप रहना अपराध है। हमें वोटबैंक की नहीं, राष्ट्रीय नीति की आवश्यकता है।”
उन्होंने प्रधानमंत्री से अपील की कि भारत को एक राष्ट्र, एक कानून के सिद्धांत पर चलते हुए, एक ऐसा केंद्रीय कानून लाना चाहिए जो पूरे देश में लागू हो और हर प्रकार के धर्मांतरण षड्यंत्र पर पूर्ण विराम लगाए।
डॉ. राजेश्वर सिंह की यह मांग आज के समय में केवल एक राजनीतिक बयान नहीं, बल्कि भारत के सांस्कृतिक, सामाजिक और राष्ट्रीय अस्तित्व की सुरक्षा का आह्वान है। जब धर्मांतरण एक औजार बन जाए और बेटियाँ उसकी शिकार, तब चुप रहना कायरता है। अब आवश्यकता है कि भारत एक सशक्त कानून बनाकर यह स्पष्ट संदेश दे —
“धर्मांतरण के नाम पर राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
रिपोर्ट: True News UP ब्यूरो
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