
- यूपी पुलिस मुख्यालय में 2 जून को पूर्व डीजीपी प्रशान्त कुमार के सम्मान में विदाई समारोह आयोजित किया गया।
- डीजीपी राजीव कृष्ण ने उन्हें स्मृति चिन्ह भेंट कर उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं।
- वरिष्ठ अधिकारियों ने उनके कार्यकाल की सराहना करते हुए संस्मरण साझा किए।
- प्रशान्त कुमार ने पूरे पुलिस बल और परिवार को सहयोग के लिए आभार प्रकट किया।
- 33 वर्ष की सेवा में उन्हें राष्ट्रपति पदक, वीरता पदक समेत अनेक राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हुए।

लखनऊ, 2 जून 2025 : उत्तर प्रदेश पुलिस मुख्यालय, लखनऊ में आज एक भावनात्मक एवं गरिमामय माहौल के बीच पूर्व पुलिस महानिदेशक श्री प्रशान्त कुमार जी के सेवानिवृत्त होने के उपलक्ष्य में विदाई समारोह का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम वर्तमान पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश श्री राजीव कृष्ण की अध्यक्षता में संपन्न हुआ, जिसमें पुलिस विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों सहित कई पूर्व पुलिस महानिदेशक एवं विशिष्ट अतिथि मौजूद रहे।
पुलिस विभाग के योगदान के लिए प्रशान्त कुमार को किया गया सम्मानित

समारोह के आरंभ में डीजीपी राजीव कृष्ण ने पूर्व डीजीपी प्रशान्त कुमार को पुलिस विभाग के प्रति उनके 33 वर्षों के समर्पित सेवाकाल, अनुकरणीय नेतृत्व और प्रशंसनीय कार्यों के लिए स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। उन्होंने श्री कुमार एवं उनके परिवार को सुख, समृद्धि और स्वस्थ जीवन की शुभकामनाएं देते हुए कहा,
“प्रशान्त कुमार जी ने जिस तरह उत्तर प्रदेश जैसे विशाल राज्य की कानून व्यवस्था को अपने नेतृत्व में संभाला, वह हम सभी के लिए प्रेरणादायक है।”
वरिष्ठ अधिकारियों ने सराहे कार्य, साझा किए अनुभव: समारोह में सेवानिवृत्त पुलिस महानिदेशक एवं यूपीएसएसएससी के चेयरमैन एस.एन. साबत एवं सेवानिवृत्त अपर पुलिस महानिदेशक एवं वर्तमान राज्य मानवाधिकार आयोग सदस्य बृज भूषण ने भी अपने उद्बोधन में प्रशान्त कुमार के साथ बिताए कार्यकाल की यादें साझा कीं। उन्होंने श्री कुमार की कार्यनिष्ठा, संवेदनशीलता और नैतिक नेतृत्व को सराहा और कहा कि उन्होंने हमेशा संगठन को प्राथमिकता दी और हर परिस्थिति में संतुलित निर्णय लिए।
प्रशान्त कुमार ने विदाई भाषण में व्यक्त की कृतज्ञता

अपने उद्बोधन में प्रशान्त कुमार भावुक होते नजर आए। उन्होंने कहा,
“मुझे गर्व है कि मैं दुनिया की सबसे बड़ी पुलिस फोर्स में कार्यरत रहा और इस संस्था का नेतृत्व करने का अवसर मिला। मेरे कार्यकाल की सफलता मेरे अधीनस्थ अधिकारियों, सहयोगियों और मेरे परिवार की वजह से ही संभव हो सकी।”
उन्होंने अपने माता-पिता, भाई-बहनों, पत्नी और बच्चों को धन्यवाद दिया, जिन्होंने हर परिस्थिति में उनका साथ दिया। श्री कुमार ने पुलिस बल द्वारा मिले सहयोग और स्नेह को अपने जीवन का सबसे बड़ा सम्मान बताया।
पुलिस महानिदेशक राजीव कृष्ण का संबोधन – निर्णयों में रहा जनहित का भाव

पुलिस महानिदेशक राजीव कृष्ण ने समारोह के अंत में अपने विशेष संबोधन में कहा,
“किसी भी पुलिस महानिदेशक द्वारा लिये गये निर्णयों में पुलिस बल का हित, आम जनता की सुरक्षा तथा शासन की नीति सभी का समावेश होता है। प्रशान्त कुमार जी ने इन सभी पहलुओं को समाहित करते हुए उत्तर प्रदेश पुलिस का संचालन जिस कुशलता से किया, वह अद्वितीय है।”
उन्होंने आशा व्यक्त की कि श्री प्रशान्त कुमार के सेवाभाव, नेतृत्व और अनुशासन की प्रेरणा से भविष्य की पीढ़ी भी मार्गदर्शन लेती रहेगी।
प्रशान्त कुमार का जीवन परिचय — 33 वर्षों का अनुकरणीय सेवाकाल

जन्म: 16 मई 1965, सीवान (बिहार)
आईपीएस चयन: 1990 बैच, तमिलनाडु कैडर से सेवा की शुरुआत
उत्तर प्रदेश कैडर में स्थानांतरण: वर्ष 1994
प्रमुख पदों पर सेवाएं:
- सहायक पुलिस अधीक्षक, बरेली
- पुलिस अधीक्षक (नगर), वाराणसी, बरेली
- एसपी: भदोही, पौड़ी गढ़वाल, सोनभद्र, जौनपुर, बाराबंकी
- एसएसपी: गाजियाबाद, फैजाबाद, सहारनपुर
- डीआईजी: सहारनपुर, मिर्जापुर, फैजाबाद, मेरठ परिक्षेत्र
- एडीजी: पीएसी, यातायात, मेरठ जोन, कानून व्यवस्था
- विशेष पुलिस महानिदेशक: कानून व्यवस्था, ईओडब्ल्यू, एसएसआईटी
- डीजीपी, उत्तर प्रदेश: जनवरी 2024 से 31 मई 2025 तक
सम्मान एवं पदक:
- 2007: दीर्घ सेवा के लिए पुलिस पदक (स्वतंत्रता दिवस)
- 2014: राष्ट्रपति द्वारा विशिष्ट सेवा के लिए पुलिस पदक (गणतंत्र दिवस)
- 2018: मुख्यमंत्री उत्कृष्ट सेवा पदक
- 2020: वीरता के लिए पुलिस पदक, पराक्रम पदक
- 2021 व 2022: दो बार वीरता पदक
- 2024: गणतंत्र दिवस पर वीरता पदक, डीजीपी प्रशंसा पत्र
- साथ ही ITBP, CISF, DGP UP के कमेंडेशन रोल व गोल्ड/सिल्वर डिस्क आदि

पूर्व डीजीपी प्रशान्त कुमार का सेवाकाल कर्मठता, ईमानदारी और निष्ठा का उदाहरण रहा। उन्होंने उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था को नई दिशा दी और संगठनात्मक मजबूती के साथ जनहित को सर्वोपरि रखा। पुलिस मुख्यालय में आयोजित यह विदाई समारोह न केवल उनके योगदान का सम्मान था, बल्कि भावी पुलिस अधिकारियों के लिए प्रेरणा भी।


































