
- प्रतापगढ़ जिले में 9वीं की छात्रा रिया प्रजापति ने आत्महत्या कर ली, स्कूल ने फीस बकाया होने पर परीक्षा से बाहर कर दिया था।
- परीक्षा से निकालने के साथ ही स्कूल ने रिया को सार्वजनिक रूप से अपमानित किया, जिससे वह मानसिक रूप से टूट गई।
- प्राइवेट स्कूलों की मनमानी फीस, बिल्डिंग चार्ज, यूनिफॉर्म-बुक्स की अनिवार्यता ने शिक्षा को व्यापार बना दिया है।
- रिया की मौत ने नई शिक्षा नीति और समावेशी भारत के दावों पर सवाल खड़े कर दिए हैं — क्या शिक्षा अब सिर्फ अमीरों के लिए है?
- रिया चली गई, लेकिन समाज को झकझोरने वाले कई सवाल छोड़ गई, जिनका जवाब अब पूरे सिस्टम को देना होगा।
प्रतापगढ़ : उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में 9वीं कक्षा की छात्रा रिया प्रजापति ने इसलिए अपनी जान दे दी क्योंकि उसके स्कूल ने फीस बकाया होने के कारण उसे परीक्षा में बैठने से मना कर दिया और सार्वजनिक रूप से अपमानित किया। रिया की मौत ने एक बार फिर शिक्षा व्यवस्था, निजी स्कूलों की मनमानी और समाज की संवेदनहीनता पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
शिक्षा व्यवस्था के कड़े सवाल, जिनका जवाब ज़रूरी है:
- क्या यही है “नई शिक्षा नीति”, जिसमें गरीब बच्चों को अपमान का सामना करना पड़े?
- क्या यही है “समावेशी भारत”, जहाँ हर बच्चे को पढ़ने का अधिकार है?
- क्या शिक्षा अब सिर्फ पैसे वालों का विशेषाधिकार बन गई है?
- क्या प्राइवेट स्कूलों की मनमानी फीस और अपमानजनक रवैया अब बच्चों की जान लेगा?
- कौन है रिया की मौत का जिम्मेदार — स्कूल प्रबंधन, व्यवस्था या हम सब?
शिक्षा या व्यापार?
- निजी स्कूलों में बिल्डिंग चार्ज, यूनिफॉर्म और बुक्स पैकेज, मजबूरी में खरीदी जाने वाली महंगी चीज़ें
- फीस न देने पर बच्चों का मानसिक उत्पीड़न, परीक्षा से बाहर करना, सार्वजनिक तौर पर अपमानित करना
- गरीब बच्चों की भावनाओं और आत्मसम्मान को कुचलते शिक्षक और प्रबंधन
रिया चली गई… पर सवाल छोड़ गई
- रिया जैसी बच्चियाँ कहीं चुप हैं, कहीं टूट रही हैं
- ये सिर्फ एक बच्ची की मौत नहीं, ये पूरी व्यवस्था पर करारा तमाचा है
- आज अगर चुप रहे, तो कल अगली रिया आपके घर से भी हो सकती है
समाज, सरकार और व्यवस्था से अपील :
अब भी वक्त है कि हम शिक्षा को अधिकार समझें, न कि व्यापार।
संवेदनाएं जगाइए, आवाज़ उठाइए।
रिया के लिए, हर बच्चे के लिए।
सीएम योगी के एक्शन पर टिकी सबकी निगाहें
अब पूरे प्रदेश की निगाहें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर टिकी हैं। यह देखना अहम होगा कि वो इस संवेदनशील और शर्मनाक घटना का किस स्तर पर संज्ञान लेते हैं।
क्या रिया की मौत के बाद वो दोषी स्कूल प्रबंधन और लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे?
और क्या वह निजी स्कूलों की बेलगाम मनमानी पर लगाम कसने के लिए कोई ठोस नीति और सख्त निर्देश जारी करेंगे?
अब इंतजार है उस प्रशासनिक संवेदनशीलता और इच्छाशक्ति का, जो यह साबित कर सके कि उत्तर प्रदेश में बच्चों की शिक्षा सिर्फ अमीरों की जागीर नहीं, बल्कि हर बच्चे का हक़ है।