
- शराब, यूपी के कई जनपदों में चल रहे बालू/मोरंग के घाटों पर अवैध खनन, कई सरकारी ज़मीनों पर अवैध कब्जे समेत अघोषित आय के तमाम अवैध कारोबार में लिप्त हैं करवरिया बन्धु
- प्रयागराज लोकसभा सीट से टिकट न मिलने पर भाज़पा से बगावत
- जवाहर पंडित उर्फ जवाहर यादव हत्याकांड में उम्रकैद की सजा में इलाज के बहाने पेरोल में लगातार जेल से बाहर रहने करवरिया बन्धुओं को पेरोल न मिलने पर बेटों ने संभाली कमान, जेल से मिले कमांड पर करते हैं काम
- कौशाम्बी के महेवाघाट थानाक्षेत्र के जमुनापुर बालू घाट में भी मानक को ताक में रखकर अवैध खनन करने के मामले में दी गई धमकी मामले में राजधानी लखनऊ में कार्यरत पत्रकार शिवसागर सिंह ने बीती 25 मई को महेवाघाट थाने में दर्ज करवाई एफआईआर, अपने व परिवार को इन लोगों से बताया खतरा
लखनऊ: तत्कालीन विधायक जवाहर पण्डित उर्फ जवाहर यादव हत्याकांड में प्रयोग हुई AK-47 से दहशत फैलाने में कामयाब हुए करवरिया बन्धुओं ने लगभग 3-4 दशक से आतंक फैला रखा है। गौरतलब है कि सपा विधायक विजमा यादव के पति जवाहर यादव उर्फ जवाहर पंडित की अगस्त 1996 में सिविल लाइंस में काफी हाउस के पास गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। किसी भी कत्ल में पहली बार एके-47 इस्तेमाल हुई थी। जिस पर प्रयागराज के सिविल लाइंस थाने में मुकदमा लिखा गया था, जिसकी जांच सीबीसीआइडी को सौंपी गई थी। इस हत्याकांड में इन माफिया भाइयों के प्रभाव के चलते कोर्ट में ट्रायल ही लंबे समय तक रुका रहा। अंततः कार्यवाही शुरू होने पर तीनों भाइयों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। पिछले कई वर्षों से तीनों करवरिया बंधु जेल में हैं। इस बीच पैरोल पर वे दो या तीन बार रिहा भी हुए थे।
2019 में करवरिया बन्धुओं को जवाहर यादव उर्फ जवाहर पंडित हत्याकांड में हुई उम्रकैद की सजा के बावजूद इलाज के लिए एक महीने की ली गई पेरोल पर एक लंबे समय तक जेल से बाहर ही रहे। लेकिन मृत जवाहर पंडित की पत्नी और हत्याकांड की मुख्य पैरोकार सपा विधायक विजमा यादव ने बीते साल 2023 में हुए नगर निगम/नगर पालिका परिषद/नगर पंचायत चुनाव में पेरोल में रहते हुए प्रयागराज शहर समेत शंकरगढ़, कौशाम्बी के मंझनपुर, चित्रकूट के राजापुर समेत तमाम चर्चित जगहों में चुनाव प्रचार की शिकायत करते हुए साक्ष्य के तौर पर फोटो व वीडियो कोर्ट में पेश किए और इन लोगों से खतरा बताया, जिसके बाद चुनाव के ही दौरान आनन-फानन में कोर्ट ने मामले की संवेदशीलता को समझते हुए इनकी पेरोल निरस्त की और इनके इलाज की सारी व्यवस्था जेल के अंदर ही करवाने को कहा और किसी भी स्थिति में इन्हें पेरोल देने से मना किया।
लोकसभा चुनाव में टिकट न मिलने पर भाजपा का किया आंतरिक विरोध
इन लोगों ने हाल ही में हो रहे लोकसभा चुनाव में प्रयागराज से टिकट न मिलने पर पार्टी से भी बगावत किया।करवरिया बन्धुओं के सगे रिश्तेदार कुख्यात माफिया विजय मिश्रा ने भी बगावती तेवर दिखाए थे। भाजपा सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक उम्रकैद की सजा होने के कारण लगातार जमानत व पेरोल के लिए बेताब करवरिया बन्धुओं ने चुनाव में जमानत व पेरोल न मिलने पर भाजपा के प्रयागराज, फूलपुर, कौशाम्बी और बांदा-चित्रकूट के प्रत्याशियों का विरोध भी किया। राजनीतिक फायदे के लिए ये तीनों भाई अलग अलग राजनीतिक दलों को साधते चले आ रहे हैं और कभी भी किसी भी राजनैतिक दल में स्थिर नहीं रहे हैं, इस बार का लोकसभा चुनाव इसका जीता जागता प्रमाण है।
गौरतलब है कि पेशेवर माफिया और प्रयागराज की जघन्य हत्याकांड के आरोपी कपिलमुनि करवरिया, उदयभान करवरिया, सूरजभान करवरिया के अलावा उनके रिश्तेदार रामचंद्र तिवारी उर्फ कल्लू को जवाहर पंडित हत्याकांड में उम्रकैद की सजा में एक माह की पेरोल मंजूर हुई थी लेकिन जवाहर यादव की पत्नी और विधायक विजमा यादव की अर्जी पर कोर्ट ने इनके मंसूबों में पानी फेर दिया और तब से लेकर आज तक लगातार ये अपने बच्चों को उसी जरायम की दुनिया में भेजकर जेल से ही उनकी मॉनिटरिंग करते हैं और अवैध खनन जैसे सारे काले कारोबार ये जेल से ही चलाते हैं। इनसे जेल में मिलने वालों की संख्या, उनकी प्रवृत्ति और बिजनेस मॉडल पर अगर समय रहते अंकुश नहीं लगाया गया तो ये शहर में रहते किसी भी बड़ी घटना को जेल से ही अंजाम तक पहुंचा सकते हैं। पांच साल से लगातार एक ही जेल में रहने से कहीं न कहीं जेल में भी इन्होंने गहरी पैठ बना ली है क्योंकि अगर जेल के अंदर मुलाकात करने पहुंचे लोगों को VIP ट्रीटमेंट मिलता है तो सोचने वाली बात है कि इनको जेल के अंदर कितना VVIP ट्रीटमेंट न मिलता होगा।


































