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साड़ी के बाद ऐश्वर्या राय ने नए लुक में बिखेरा जलवा, उनका आउटफिट देख थम गईं सबकी निगाहें

दुनिया की सबसे खूबसूरत एक्ट्रेस ऐश्वर्या राय बच्चन ने कान्स फिल्म फेस्टिवल 2025 के रेड कार्पेट पर अपने हुस्न का जमकर जलवा बिखेरा। साड़ी के बाद अब कान्स से उनके दूसरे दिन की तस्वीरें और वीडियोज सोशल मीडिया पर छाए हुए हैं। ऐश्वर्या राय ने जैसे ही रेड कार्पेट पर धांसू एंट्री मारी, तो उनके लुक पर हर किसी की निगाहें थम गईं। एक्ट्रेस ने रेड कार्पेट पर फुल कॉन्फिडेंट से एक झटके में पूरी महफिल लूट ली। इसी बीच, उनका एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वह कान्स के दूसरे दिन अपनी बेटी आराध्या का हाथ थामे नजर आईं।

साड़ी के बाद ब्लैक गाउन में ऐश्वर्या ने ढाया कहर

ऐश्वर्या राय का एक छोटा सा वीडियो इंटरनेट पर सामने आया है, जिसमें वह अपनी बेटी आराध्या के साथ दिख रही हैं। इंटरनेट पर वायरल हो रहे इस वीडियो में मां-बेटी की जोड़ी होटल से बाहर निकलती हुई दिखाई दे रही है। आराध्या अपनी मां का हाथ थामे हुए दिखाई दे रही हैं, जबकि ऐश्वर्या अपनी कार की ओर जाती नजर आईं। जाने से पहले, ऐश्वर्या ने अपनी खूबसूरत मुस्कान के साथ वहां खड़े प्रशंसकों का अभिवादन किया और फोटो के लिए पोज दिए। उन्होंने ब्लैक कलर के गाउन और उसके ऊपर व्हाइट ओवर साइजड श्रग पहने देखा गया। ग्लोबल स्टार ऐश्वर्या राय ने डिजाइनर गौरव गुप्ता द्वारा बनाया गए ब्लैक गाउन में रेड कार्पेट पर सभी का ध्यान अपनी ओर खींच लिया।

ऐश्वर्या राय का हाथ थामे दिखीं आराध्या

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में ऐश्वर्या राय बच्चन और उनकी बेटी आराध्या बच्चन 78वें कान्स फिल्म फेस्टिवल के दूसरे दिन ब्लैक आउटफिट में नजर आए है। बता दें कि बुधवार को कान्स फिल्म फेस्टिवल में बॉलीवुड डीवा ऐश्वर्या राय बच्चन ने अपने हुस्न का जलवा मनीष मल्होत्रा की डिजाइनर बनारसी साड़ी में बिखेरा था। वहीं एक दूसरे वीडियो में मां-बेटी की खूबसूरत बॉन्ड देखने को मिली।

ऐश्वर्या राय की आउटफिट पर लिखा था संस्कृत श्लोक

अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर गौरव ने यह भी एक्ट्रेस की तस्वीरें शेयर की हैं। ‘हम दिल दे चुके सनम’ की एक्ट्रेस ने जो बनारसी ब्रोकेड केप पहना है, उस पर भगवद गीता का एक संस्कृत श्लोक लिखा हुआ है। वाराणसी में हाथ से बुने गए इस श्लोक का अर्थ है, आपको अपने कर्म करने का अधिकार है, लेकिन उन कर्मों के फलों का नहीं। कर्म के फलों को अपना उद्देश्य न बनने दें, न ही निष्क्रियता के प्रति अपनी आसक्ति रखें।’

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