
- सहारा मीडिया कर्मचारियों का वेतन भुगतान को लेकर 27वें दिन भी धरना जारी है।
- लेबर कमिश्नर और जिला प्रशासन की नोटिस के बावजूद प्रबंधन ने वेतन नहीं दिया।
- प्रबंधन पर धरना खत्म कराने के लिए हर दिन नई साजिश रचने का आरोप है।
- कर्मचारियों का दावा, 15 अगस्त से पहले आंदोलन खत्म करने की कोशिश की जा रही है।
- जनवरी 2014 से नियमित वेतन न मिलने से कर्मचारियों की आर्थिक हालत बदतर हो गई है।
लखनऊ/गौतमबुद्ध नगर : नोएडा स्थित सहारा कॉम्प्लेक्स में कर्मचारियों का वेतन भुगतान को लेकर आंदोलन 27वें दिन भी जारी है। कर्मचारियों का आरोप है कि सहारा प्रबंधन को न कानून का डर है और न ही प्रशासनिक नोटिसों की परवाह। लेबर कमिश्नर के आदेश और जिला प्रशासन की नोटिस के बावजूद वेतन भुगतान नहीं किया गया। उल्टे प्रबंधन ने शिकायत करने वाले 126 कर्मचारियों की सैलरी रोक दी, मानो यह संदेश देने के लिए कि उसे किसी कानूनी कार्रवाई का खौफ नहीं।
धरना तोड़ने के लिए लगातार नई साजिशें
कर्मचारियों का कहना है कि प्रबंधन धरना समाप्त कराने के लिए हर दिन नए-नए हथकंडे अपना रहा है। बीते एक माह से सेक्टर-24 थाना पुलिस कैंपस में तैनात है, लेकिन कर्मचारियों के मुताबिक पुलिस मूकदर्शक बनी हुई है। सोमवार को मुख्य गेट बंद करने को लेकर कर्मचारियों और सुरक्षा गार्डों के बीच तनाव बढ़ा, जिसके बाद भारी पुलिस बल मौके पर पहुंचा और काफी देर के हंगामे के बाद मामला शांत हुआ।
15 अगस्त से पहले धरना खत्म करने की मंशा का आरोप
कर्मचारियों ने आशंका जताई है कि 15, 16 और 17 अगस्त की छुट्टियों के दौरान प्रबंधन कोई भी चाल चलकर धरना खत्म कराने की कोशिश करेगा। उनका आरोप है कि प्रबंधन की पूरी मंशा 15 अगस्त से पहले आंदोलन समाप्त कराने की है, ताकि स्वतंत्रता दिवस पर कंपनी की छवि को लेकर कोई नकारात्मक खबर न आए।
विज्ञापन बंद होने से बढ़ी प्रबंधन की बौखलाहट
धरने के कारण विज्ञापन प्रसारण ठप होने से प्रबंधन पर दबाव बढ़ा है। कर्मचारियों का आरोप है कि विज्ञापन फिर से शुरू करवाने के लिए प्रबंधन धमकी, दबाव और डराने-धमकाने के तरीके अपना रहा है। कई कर्मचारियों को व्यक्तिगत तौर पर भी निशाना बनाया जा रहा है।
वर्षों की सेवा के बाद भी वेतन से वंचित
सहारा मीडिया कर्मचारियों का कहना है कि जनवरी 2014 से उन्हें नियमित वेतन नहीं मिला। बीच-बीच में ‘टोकन मनी’ के रूप में 30-40% राशि दी जाती रही, जो अब पूरी तरह बंद है। कई कर्मचारियों के घर बिक गए, सगाई टूट गई, बच्चों की पढ़ाई रुक गई, और कुछ ने आर्थिक तंगी में दम तोड़ दिया। 26 साल की निष्ठा का परिणाम उन्हें केवल धोखे के रूप में मिला है।
कर्मचारियों की कानूनी लड़ाई जारी
कर्मचारी कोर्ट, पुलिस, प्रशासन और यहां तक कि लखनऊ तक गुहार लगा चुके हैं। लेबर कमिश्नर चार महीने का रिकवरी चालान जारी कर चुके हैं और जिला प्रशासन ने प्रबंधन को नोटिस भी दी है, लेकिन अब तक वेतन भुगतान नहीं हुआ। कर्मचारियों का कहना है कि वे अनिश्चितकालीन धरना जारी रखेंगे और यह आंदोलन अब आर-पार की लड़ाई बन चुका है।