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सहकारिता ग्रामीण विकास की रीढ़: कालपी में सहकारिता सप्ताह का समापन

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  • सहकारिता को ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ बताया गया।
  • सहकारी समितियों के माध्यम से रोजगार के अवसर बढ़ाने पर जोर।
  • छोटे किसानों और महिला उद्यमियों के सशक्तिकरण की संभावनाओं पर चर्चा।
  • सरकार से वित्तीय और तकनीकी सहायता की मांग।
  • सहकारी मूल्यों को आत्मसात करने और ग्रामीण विकास में योगदान का संकल्प।

कालपी- जालौन, 20 नवंबर 2024: देशभर में 14 से 20 नवंबर तक मनाए गए सहकारिता सप्ताह के समापन के अवसर पर कालपी में एक संगोष्ठी का आयोजन हुआ। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य सहकारी समितियों के माध्यम से सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करना और ग्रामीण विकास को प्रोत्साहन देना था।

डॉ. प्रवीण सिंह जादौन का संबोधन:
उत्तर प्रदेश राज्य निर्माण सहकारी संघ के निदेशक और मुख्य अतिथि डॉ. प्रवीण सिंह जादौन ने कहा,

“सहकारिता केवल आर्थिक सशक्तिकरण का साधन नहीं, बल्कि सामाजिक एकता को मजबूत करने का जरिया भी है। यह ग्रामीण क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता और समरसता का आधार बन सकती है।”

उन्होंने सहकारिता को ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ बताते हुए सहकारी समितियों के महत्व को रेखांकित किया।

कौशल किशोर द्विवेदी का दृष्टिकोण:
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जिला सहकारी विकास फेडरेशन, जालौन के अध्यक्ष कौशल किशोर द्विवेदी ने कहा कि सहकारी समितियां रोजगार बढ़ाने, गरीबी उन्मूलन और शिक्षा के प्रचार-प्रसार में सहायक हो सकती हैं।

“सहकारिता, आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में एक प्रमुख भूमिका निभा सकती है।”

उदय प्रताप सिंह की बात:
क्रय-विक्रय सहकारी समिति, कालपी के अध्यक्ष उदय प्रताप सिंह ने कहा कि सहकारी समितियां छोटे किसानों, महिला उद्यमियों और कारीगरों को सशक्त बना सकती हैं।

“सहकारी समितियां उत्पादकों और उपभोक्ताओं के बीच बिचौलियों की भूमिका खत्म कर सकती हैं।”

सहकारी आंदोलन को मजबूत करने की मांग:
संगोष्ठी में प्रद्युम्न सिंह, नितिन सैनी, समर सिंह चौहान, और अर्पित विश्वकर्मा ने सरकार से सहकारी समितियों के लिए वित्तीय और तकनीकी सहायता की मांग की।

कार्यक्रम का समापन और संकल्प:
सभी प्रतिभागियों ने सहकारी मूल्यों को अपनाने और ग्रामीण विकास में योगदान देने का संकल्प लिया।
संगोष्ठी का संचालन सुभाष परमार ने किया और आभार ज्ञापन शैलेन्द्र सिंह ने व्यक्त किया।

यह संगोष्ठी सहकारिता आंदोलन को प्रोत्साहित करने और ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की नई दिशा तय करने का एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई।

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