
- सरोजनीनगर विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह की याचिका पर NGT ने 3.1 हेक्टेयर भूमि पर 8 अक्टूबर 2025 तक बेदखली पर रोक लगाई।
- गढ़ी चुनौटी के चांदेबाबा तालाब क्षेत्र में रह रहे अनुसूचित जाति के परिवारों को अंतरिम राहत मिली।
- शेष 31 हेक्टेयर तालाब क्षेत्र को झील के रूप में पुनर्विकसित करने की योजना को NGT ने स्वीकृति दी।
- राज्य सरकार को निर्देश दिया गया कि वह संपूर्ण विकास योजना बनाकर NGT में प्रस्तुत करे।
- डॉ. राजेश्वर सिंह ने जनप्रतिनिधि और अधिवक्ता के रूप में अदालत में सामाजिक न्याय की प्रभावी पैरवी की।
लखनऊ, 7 जुलाई 2025 | TRUENEWSUP ब्यूरो: सरोजनीनगर क्षेत्र के गढ़ी चुनौटी (चांदेबाबा तालाब) में दशकों से रह रहे गरीब अनुसूचित जाति परिवारों को राहत मिली है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने 3.1 हेक्टेयर भूमि पर 8 अक्टूबर 2025 तक के लिए बेदखली पर रोक लगा दी है। यह आदेश सरोजनीनगर विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह द्वारा एक अधिवक्ता के रूप में अदालत में प्रस्तुत याचिका पर सुनवाई के बाद जारी हुआ।
इस मामले में NGT ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनते हुए पर्यावरणीय संरक्षण और सामाजिक सरोकारों के बीच संतुलन कायम रखने की दिशा में निर्देश जारी किए हैं। यह मामला पिछले कई महीनों से विवाद का विषय बना हुआ था, जहां तालाब की सीमा में रह रहे परिवारों को हटाने की प्रक्रिया शुरू की जा रही थी।
मामले की पृष्ठभूमि
गढ़ी चुनौटी स्थित चांदेबाबा तालाब क्षेत्र में करीब 3.1 हेक्टेयर भूमि पर अनुसूचित जाति के कई परिवार लगभग तीन दशक से निवासरत हैं। हाल ही में NGT द्वारा तालाब क्षेत्र को पुनर्स्थापित करने और अतिक्रमण हटाने के आदेश के बाद इन परिवारों को नोटिस जारी किया गया था।
विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए एक अधिवक्ता के रूप में NGT में इन परिवारों का पक्ष रखा। उन्होंने अदालत को बताया कि संबंधित 3.1 हेक्टेयर क्षेत्र में रहने वाले परिवार लंबे समय से वहां रह रहे हैं और उन्हें अचानक बेदखल करना सामाजिक न्याय के विरुद्ध होगा।
NGT के आदेश की प्रमुख बातें:
- 3.1 हेक्टेयर भूमि पर 8 अक्टूबर 2025 तक बेदखली पर रोक लगाई गई है, जिससे वहां निवासरत परिवारों को अंतरिम राहत मिली है।
- शेष 31 हेक्टेयर तालाब क्षेत्र को विकसित कर झील के रूप में पुनर्निर्मित किया जाएगा, जिसमें गहरी खुदाई, जल संचयन और प्राकृतिक सौंदर्यीकरण की योजना शामिल है।
- राज्य सरकार को निर्देश दिया गया है कि वह संपूर्ण विकास योजना तैयार कर NGT में प्रस्तुत करे। इस योजना में पारिस्थितिक सुधार, वृक्षारोपण और संरचनात्मक विकास शामिल होगा।
- झील को छोटी नहरों से जोड़ा जाएगा, जिससे जल का स्तर साल भर बना रहे और यह एक स्थायी जल स्रोत के रूप में कार्य करे।
सरकार और न्यायालय की भूमिका
NGT ने स्पष्ट किया है कि विकास कार्यों में पर्यावरणीय सुरक्षा को सर्वोपरि रखा जाएगा, लेकिन साथ ही वहां रह रहे लोगों के अधिकारों की भी रक्षा की जाएगी। आदेश में सरकार को निर्देशित किया गया है कि वह विकास योजना तैयार करते समय स्थानीय निवासियों के सामाजिक और कानूनी पक्षों का भी ध्यान रखे।
राज्य सरकार की ओर से कहा गया है कि प्रस्तावित झील को पर्यटन और जलसंरक्षण की दृष्टि से विकसित किया जाएगा, साथ ही स्थानीय लोगों के हितों की उपेक्षा नहीं की जाएगी।
विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह की भूमिका
डॉ. सिंह ने केवल विधायक के रूप में नहीं, बल्कि एक अधिवक्ता के रूप में इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए अदालत में पैरवी की। उन्होंने कहा:
“जहां जरूरत हो, वहां जनता की आवाज़ अदालत तक पहुंचाना मेरी ज़िम्मेदारी है। सामाजिक न्याय और पर्यावरणीय संतुलन – दोनों पर समान रूप से ध्यान देना आवश्यक है।”
इस मामले में NGT का आदेश एक संतुलित दृष्टिकोण को दर्शाता है, जिसमें पर्यावरणीय पुनर्स्थापन और सामाजिक सुरक्षा – दोनों पर विचार किया गया है। अगली सुनवाई 8 अक्टूबर 2025 को प्रस्तावित है, तब तक बेदखली की कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।
📍 स्थान: चांदेबाबा तालाब, गढ़ी चुनौटी, सरोजनीनगर, लखनऊ
📄 आदेश तिथि: 6 जुलाई 2025
⚖️ अदालत: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT)
👨⚖️ याचिकाकर्ता अधिवक्ता: डॉ. राजेश्वर सिंह, विधायक सरोजनीनगर
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