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सपा सांसद रामजी लाल सुमन के बयान से मचा बवाल: भाजपा विधायक डॉ.राजेश्वर सिंह ने बताया तुष्टीकरण की मानसिकता का घटिया प्रदर्शन, समाजवादी पार्टी की दूषित राजनीति अब हर मर्यादा लांघ चुकी, वोटबैंक के लालच में सपा नेता देश की अस्मिता, वीरता और गौरवशाली इतिहास से भी कर रहे खिलवाड़

  • सपा सांसद रामजी लाल सुमन के बयान पर विवाद, भाजपा विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह की तीखी प्रतिक्रिया
  • सपा सांसद रामजी लाल सुमन द्वारा महाराणा सांगा को ‘गद्दार’ कहने पर विवाद, भाजपा ने की कड़ी निंदा।
  • भाजपा विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने ट्वीट कर इसे “तुष्टीकरण की मानसिकता का घटिया प्रदर्शन” बताया।
  • इतिहासकारों ने किया खंडन, कहा – “बाबर को भारत बुलाने में राणा सांगा की नहीं, बल्कि दौलत खान लोदी और आलम खान की भूमिका थी।”
  • राजनीतिक माहौल गरमाया, भाजपा और राजपूत संगठनों ने समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव से माफी की मांग की।
  • मामला बढ़ सकता है, भाजपा ने सपा पर “झूठ और तुष्टीकरण की फैक्ट्री” होने का आरोप लगाया, अब अखिलेश यादव के जवाब का इंतजार।
भाजपा विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह का TWEET

लखनऊ, 23 मार्च 2025: समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद रामजी लाल सुमन द्वारा वीर योद्धा महाराणा सांगा को ‘गद्दार’ कहे जाने पर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। भाजपा विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने इस बयान की कड़ी निंदा करते हुए इसे तुष्टीकरण की मानसिकता का घटिया प्रदर्शन बताया है। उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल से इस विवादित बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव से माफी मांगने की मांग की।

भाजपा विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह का तीखा प्रहार

भाजपा विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने अपने ट्वीट में लिखा: “सपा सांसद का राष्ट्रद्रोही बयान तुष्टीकरण की मानसिकता का घटिया प्रदर्शन है! समाजवादी पार्टी की दूषित राजनीति अब हर मर्यादा लांघ चुकी है! मुस्लिम वोट बैंक के लालच में उनके नेताओं को देश की अस्मिता, वीरता और गौरवशाली इतिहास से कोई सरोकार नहीं रहा!!”

उन्होंने आरोप लगाया कि समाजवादी पार्टी (सपा) सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के लिए वीर योद्धाओं के चरित्र पर कीचड़ उछाल रही है।

“सपा सांसद रामजी लाल सुमन ने जब वीर योद्धा ‘महाराणा सांगा’ को ‘गद्दार’ कहने की धृष्टता की, तब उन्होंने न केवल ऐतिहासिक तथ्यों का अपमान किया, बल्कि भारतीय वीरता और स्वाभिमान की परंपरा को कलंकित करने का कुत्सित प्रयास भी किया!”

इतिहास के तथ्यों से छेड़छाड़?

सपा सांसद रामजी लाल सुमन ने अपने बयान में कहा कि “राणा सांगा ने बाबर को भारत बुलाया”, जिसे भाजपा और इतिहासकारों ने पूरी तरह गलत और तथ्यों से परे बताया है।

भाजपा विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने अपने ट्वीट में लिखा: “सपा सांसद का दावा ‘राणा सांगा ने बाबर को भारत बुलाया’ न केवल आधारहीन और भ्रामक है, बल्कि इतिहास की सतही समझ और तुष्टीकरण की शर्मनाक राजनीति का निकृष्ट उदाहरण है।”

इतिहासकारों के अनुसार, बाबर को भारत बुलाने वाले असंतुष्ट दरबारी थे, जिनमें खासकर दौलत खान लोदी और आलम खान शामिल थे। बाबरनामा में भी इसका स्पष्ट उल्लेख है कि दौलत खान लोदी ने बाबर से काबुल में संपर्क किया था।

क्या सपा इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश कर रही है?

भाजपा विधायक ने ट्वीट में जोर देते हुए लिखा: “समाजवादी पार्टी के नेता, या तो इतिहास पढ़ते नहीं या जानबूझकर झूठ फैलाते हैं!”
उन्होंने स्पष्ट किया कि राणा सांगा ने बाबर के खिलाफ निर्णायक युद्ध लड़ा था और वह भारत की रक्षा के लिए अंतिम सांस तक लड़े। महाराणा संग्राम सिंह ‘राणा सांगा’ परम प्रतापी थे – वीर शिरोमणि थे। जब बाबर ने पानीपत की पहली लड़ाई (1526) में लोदी को हराकर दिल्ली पर कब्जा कर लिया और भारत में अपनी सत्ता जमाने की कोशिश शुरू की, तो राणा सांगा ने उसका डटकर विरोध किया।”

खानवा युद्ध और महाराणा सांगा की वीरता

खानवा का युद्ध (17 मार्च 1527) भारतीय इतिहास में वीरता का प्रतीक है। इस युद्ध में महाराणा सांगा ने राजपूत सेना का नेतृत्व करते हुए बाबर से संघर्ष किया।

भाजपा विधायक ने अपने ट्वीट में लिखा “क्या कोई ‘गद्दार’ अपने देश की मिट्टी के लिए आखिरी साँस तक लड़ता है? समाजवादी पार्टी को इस प्रश्न का उत्तर देना चाहिए!!”

इतिहासकारों के अनुसार, इस युद्ध को बाबर ने ‘जिहाद’ का नाम दिया था और अपने सैनिकों का मनोबल बढ़ाने के लिए इसे धर्म युद्ध बताया। दूसरी ओर, राणा सांगा ने एक आँख, एक हाथ और अस्सी घावों के बावजूद बाबर की तोपों और तुलुगमा रणनीति का डटकर मुकाबला किया।

“क्या यही ‘गद्दारी’ होती है? या तुष्टीकरण के चलते सपा में वीरता की परिभाषा ही बदल गई? या समाजवादी पार्टी का हिंदू वीरता से द्वेष, उनके नेताओं की बुद्धि भ्रष्ट कर चुका है?”

राणा सांगा की वीरता के 5 ऐतिहासिक प्रमाण:

भाजपा विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह यहीं नहीं रुके, उन्होंने राणा सांगा की वीरता के प्रमाण के लिए इतिहास की कुछ प्रमुख किताबों में लिखे हुए उन शब्दों को भी पूरे प्रमाण के साथ (शब्द, लेखक, किताब का नाम व उसकी पेज संख्या के साथ) शेयर किया, जिससे ऐसे वाहियात बयान देने से पहले कोई भी प्रतिष्ठित पद में बैठ हुआ व्यक्ति अपने पद की गरिमा को जरूर समझे। भाजपा विधायक ने अपने ट्विटर हैन्डल में इतिहास की 5 प्रमुख किताबों का नाम उनके लेखकों के साथ-साथ पेज नंबर व पूरे तथ्य के साथ शेयर भी किया है, जिससे उनके बयान की प्रामाणिकता में किसी प्रकार का प्रश्न चिन्ह न लगे।

  1. मुगल आक्रमण का प्रतिरोध:
    राणा सांगा ने 1526-1527 में बाबर के नेतृत्व में मुगलों के आक्रमण का डटकर मुकाबला किया। उन्होंने अन्य राजपूत राज्यों के साथ गठबंधन करके विदेशी शासकों का विरोध किया। (संदर्भ: “A History of India” – John Keay, पेज 345)
  2. खानवा का महासंग्राम:
    राणा सांगा ने बाबर के खिलाफ खानवा का ऐतिहासिक युद्ध लड़ा। भले ही यह युद्ध उनकी हार में समाप्त हुआ, लेकिन उनकी वीरता और प्रतिरोध ने उन्हें अमर बना दिया। (संदर्भ: “The Mughal Empire” – John F. Richards, पेज 23)
  3. राजपूत शक्ति के संगठक:
    राणा सांगा ने मुस्लिम शासकों के खिलाफ राजपूत राज्यों को एकजुट किया। उन्होंने अम्बर, मारवाड़ और बीकानेर सहित अन्य राजपूत राज्यों के साथ गठबंधन स्थापित किया। (संदर्भ: “The Rajputs” – G.H. Ojha, पेज 234)
  4. प्रमुख सैन्य अभियान:
    राणा सांगा ने गुजरात और मालवा के सुल्तानों के खिलाफ कई सफल सैन्य अभियान चलाए और महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर विजय प्राप्त की। (संदर्भ: “A History of Rajasthan” – R.C. Jakhmola, पेज 201)
  5. अमर विरासत:
    राणा सांगा का बलिदान और संघर्ष भारतीय इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित है। उनकी वीरता और त्याग आज भी राजपूत इतिहास में प्रेरणा का स्रोत है। (संदर्भ: “Rana Sanga: A Study of His Life and Times” – Raghubir Singh, पेज 12)

समाजवादी पार्टी से माफी की मांग

भाजपा विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने इस विवाद पर स्पष्ट रूप से कहा कि समाजवादी पार्टी को इस शर्मनाक बयान के लिए देश से माफी मांगनी चाहिए।

उन्होंने ट्वीट में लिखा “समाजवादी पार्टी ने एक बार फिर साबित कर दिया कि उनकी राजनीति तथ्यों पर नहीं, बल्कि तुष्टीकरण पर टिकी है। बाबर और औरंगजेब जैसे आक्रांताओं की प्रशंसा और राणा सांगा जैसे वीर का अपमान उनकी नियति है!”

उन्होंने आरोप लगाया कि समाजवादी पार्टी की राजनीति ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़ने-मरोड़ने पर आधारित है और यह एक गहरी साजिश के तहत किया जा रहा है। साथ ही उन्होंने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि “भारत के वीरों का अपमान, समाजवादी पार्टी के डीएनए में है!” फिर भी अभी तक सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का कोई भी बयान नहीं आया है।

क्या समाजवादी पार्टी देगी जवाब?

समाजवादी पार्टी के सांसद द्वारा दिए गए इस बयान के बाद राजनीतिक माहौल गरमा गया है और भाजपा सहित कई हिंदू संगठनों ने समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव से सार्वजनिक रूप से माफी मांगने की मांग की है, उन्होंने कहा है कि “समाजवादी पार्टी झूठ और तुष्टीकरण की फैक्ट्री है!”

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के सरोजनी नगर से भाजपा विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह का यह ट्वीट अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। लोग इस पर अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं और सपा सांसद के बयान की कड़ी आलोचना कर रहे हैं।

अब सवाल यह है कि क्या समाजवादी पार्टी अपने सांसद के बयान पर सफाई देगी, या यह विवाद और गहराएगा? यह देखना दिलचस्प होगा कि अखिलेश यादव इस पर क्या रुख अपनाते हैं। क्योंकि अगर समाजवादी पार्टी और उसके जिम्मेदार नेताओं द्वारा समय रहते उचित फैसला नहीं लिया गया, तो मामला और भी बढ़ सकता है।

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