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यूपी के डीजीपी प्रशांत कुमार की सख्त चेतावनी: पत्रकारिता की आड़ में अपराध बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, पुलिस द्वारा की जाएगी कड़ी कार्रवाई

यूपी के डीजीपी प्रशांत कुमार की सख्त चेतावनी: पत्रकारिता की आड़ में अपराध बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, की जाएगी कड़ी कार्रवाई
  • पत्रकारिता की आड़ में अपराध करने वालों पर अब सख्त कार्रवाई होगी।
  • कुछ लोग खुद को पत्रकार बताकर ब्लैकमेलिंग, धोखाधड़ी और फ्रॉड कर रहे हैं।
  • ये लोग सोशल मीडिया पर सक्रिय रहकर झूठ फैलाते और दबाव बनाते हैं।
  • फर्जी पत्रकार पुलिस के नाम से ट्विटर हैंडल चला रहा था, अकाउंट हटाया गया।
  • ऐसे गिरोह में महिलाएं भी शामिल हैं, और आगे और गिरफ्तारियां हो सकती हैं।

लखनऊ, 08 अप्रैल 2025: उत्तर प्रदेश में पत्रकारिता का नाम लेकर कुछ लोग अब अपराध की दुकान चला रहे हैं। खुद को पत्रकार बताकर कुछ लोग न सिर्फ झूठी पहचान बना रहे हैं, बल्कि उसका उपयोग कर ब्लैकमेलिंग, ठगी और दवाब बनाने जैसे अपराधों को अंजाम दे रहे हैं। इस प्रवृत्ति को लेकर अब उत्तर प्रदेश पुलिस ने सख्ती दिखानी शुरू कर दी है, हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान डीजीपी प्रशांत कुमार ने इस गंभीर मुद्दे पर स्पष्ट और सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि अब ऐसे लोगों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी जो लोकतंत्र के चौथे स्तंभ/मीडिया का दुरुपयोग कर रहे हैं।

लोकतंत्र के स्तंभों को नहीं बनने देंगे अपराध का औजार

डीजीपी प्रशांत कुमार ने कहा कि लोकतंत्र के चार स्तंभों में से एक मीडिया है, लेकिन आजकल कुछ लोग इसी स्तंभ की आड़ लेकर अपराधिक गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं।
उन्होंने कहा- “अपराधी मानसिकता वाले लोग पत्रकारिता के नाम पर सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं और लोगों को गुमराह कर रहे हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जा चुकी है और आगे भी की जाएगी।”

सोशल मीडिया बना अपराधियों का नया हथियार

डीजीपी ने बताया कि ऐसे फर्जी पत्रकार खास तौर पर सोशल मीडिया पर ज्यादा सक्रिय रहते हैं। वे किसी प्रभावशाली व्यक्ति को टारगेट करते हैं, उसके खिलाफ उल्टा-सीधा, अपमानजनक या झूठा कंटेंट पोस्ट करते हैं और फिर उस व्यक्ति से समझौते के नाम पर धोखाधड़ी और वसूली करते हैं। ये अपराधी मीडिया की आड़ लेकर खुद को असली पत्रकार की तरह पेश करते हैं, जिससे वे कानून और समाज दोनों को गुमराह करते हैं।

एटा के कथित पत्रकार का उदाहरण : झूठी पहचान, बड़ा खेल

डीजीपी द्वारा जिस घटनाक्रम की चर्चा की गई, उसमें एटा जिले का एक कथित पत्रकार पुलिस के नाम पर सोशल मीडिया हैंडल चला रहा था। वह खुद को एक जिम्मेदार अधिकारी बताकर धोखाधड़ी में शामिल था। ट्विटर ने उसका अकाउंट डिलीट कर दिया है, लेकिन यह पहला मामला नहीं है। उक्त व्यक्ति इससे पहले फर्जी विजिलेंस इंस्पेक्टर बनकर भी लोगों को धोखा देने की कोशिश कर चुका है। उसके साथ-साथ कई अन्य कथित पत्रकार भी इस गिरोह में शामिल हैं, जिन पर अब यूपी पुलिस की पैनी नजर है।

महिलाएं भी इस जाल में शामिल

डीजीपी ने बताया कि केवल पुरुष ही नहीं, बल्कि कई महिलाएं भी इन फर्जी पत्रकार गैंग्स का हिस्सा हैं। ये लोग सोशल मीडिया पर बेहद एक्टिव हैं और अपने पोस्ट्स के ज़रिए समाज और शासन में भ्रम फैलाने का काम कर रहे हैं। दबाव बनाकर, धमकी देकर और बदनामी कर के ये लोग निजी हित साधने का प्रयास करते हैं।

डीजीपी की खुली चेतावनी: कार्रवाई के लिए तैयार रहें

डीजीपी प्रशांत कुमार ने स्पष्ट कर दिया है कि ऐसे लोगों को अब बख्शा नहीं जाएगा।
उन्होंने कहा- “जो भी पत्रकारिता के नाम पर कानून का मजाक बनाएगा, लोकतंत्र की छवि खराब करेगा, उस पर सख्त से सख्त कार्रवाई होगी।” पुलिस की टीमें इन मामलों की निगरानी कर रही हैं और आने वाले समय में ऐसे और फर्जी पत्रकारों पर शिकंजा कसा जाएगा।

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