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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से राज्य निर्माण सहकारी संघ के निदेशक डॉ. प्रवीण सिंह जादौन ने की मुलाकात : गौशाला प्रबंधन को सहकारी समितियों के हवाले करने का रखा सुझाव

  • डॉ. प्रवीण सिंह जादौन ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से गौशालाओं के संचालन को सहकारी समितियों (बी-पैक्स) के माध्यम से कराने का प्रस्ताव रखा।
  • सहकारी समितियों को शामिल करने से किसानों और ग्रामीण महिलाओं को रोजगार और आय के नए अवसर मिलेंगे।
  • गोबर से जैविक खाद बनाने से खेती टिकाऊ बनेगी और मिट्टी की उर्वरता में वृद्धि होगी।
  • ग्रामीण महिलाएँ गोबर आधारित उत्पाद (जैसे अगरबत्ती, पैलेट, ऊर्जा ब्रिकेट्स) बना कर आत्मनिर्भर बन सकेंगी।
  • सहकारिता आंदोलन के माध्यम से ‘आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्य को बल मिलेगा।

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से शुक्रवार को लखनऊ स्थित उनके सरकारी आवास पर उत्तर प्रदेश राज्य निर्माण सहकारी संघ लखनऊ के निदेशक डॉ. प्रवीण सिंह जादौन ने मुलाकात की। इस शिष्टाचार भेंट के दौरान डॉ. जादौन ने मुख्यमंत्री को एक सुझाव पत्र सौंपा, जिसमें प्रदेश की गौशालाओं को सहकारी समितियों (बी पैक्स) के माध्यम से संचालित करने का प्रस्ताव रखा गया।

सहकारी समितियों के जरिए गौशालाओं का प्रबंधन क्यों ज़रूरी?

डॉ. प्रवीण सिंह जादौन ने मुख्यमंत्री के समक्ष तर्क देते हुए कहा कि सहकारी समितियाँ गाँव-गाँव तक अपनी मजबूत पकड़ रखती हैं और ग्रामीण समाज से गहराई से जुड़ी हुई हैं। ये समितियाँ न केवल किसानों बल्कि ग्रामीण महिलाओं को भी सीधे तौर पर जोड़ने का काम करती हैं।

उन्होंने कहा कि यदि गौशालाओं का प्रबंधन सहकारी समितियों को सौंपा जाता है, तो—

  • सहकारिता आंदोलन को नई गति मिलेगी।
  • समितियों के स्तर पर ग्रामीण युवाओं और महिलाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
  • ग्रामीण स्तर पर गोबर आधारित जैविक खाद का उत्पादन होगा, जिससे किसानों को आसानी से सस्ती और गुणवत्तापूर्ण खाद उपलब्ध हो सकेगी।
  • खेती को टिकाऊ बनाने और मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में मदद मिलेगी।

ग्रामीण महिलाओं के लिए आत्मनिर्भरता का अवसर

डॉ. जादौन ने बताया कि सहकारी समितियों के जरिए ग्रामीण महिलाओं को भी सीधा लाभ मिलेगा। महिलाएँ गाय के गोबर से बने विभिन्न उत्पादों का उत्पादन कर सकती हैं, जैसे—

  • अगरबत्ती
  • दीये और दीपक
  • खाद पैलेट
  • ऊर्जा ब्रिकेट्स

इन उत्पादों का स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर विपणन किया जा सकता है। इससे महिलाओं को आर्थिक आत्मनिर्भरता प्राप्त होगी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई मजबूती मिलेगी।

आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में पहल

डॉ. जादौन ने मुख्यमंत्री से कहा कि इस नए दृष्टिकोण के माध्यम से गौ-संरक्षण भी सुनिश्चित होगा और साथ ही किसानों व ग्रामीण समाज को बहुआयामी लाभ मिलेगा। सहकारिता आंदोलन को इस दिशा में जोड़ने से “आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश” और “आत्मनिर्भर भारत” की दिशा में एक मजबूत कदम साबित होगा।

आलू उत्पादक किसानों की समस्याओं पर विमल कटियार की चर्चा

इस अवसर पर उत्तर प्रदेश आलू विपणन सहकारी संघ के अध्यक्ष विमल कटियार भी मौजूद रहे। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से आलू उत्पादक किसानों की समस्याओं पर विस्तार से बातचीत की।

कटियार ने मुख्यमंत्री को बताया कि आलू किसानों को उत्पादन की लागत के अनुरूप मूल्य नहीं मिल पा रहा है और विपणन व्यवस्था में भी कई खामियाँ हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की कि—

  • किसानों को उचित मूल्य दिलाने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएँ।
  • विपणन व्यवस्था को और अधिक सुदृढ़ और पारदर्शी बनाया जाए।
  • ठंडे घरों (कोल्ड स्टोरेज) और मंडी व्यवस्था में सुधार कर किसानों को राहत प्रदान की जाए।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दोनों प्रतिनिधियों के सुझावों को गंभीरता से सुना और भरोसा दिलाया कि सरकार किसानों व गौशालाओं से जुड़े मुद्दों पर सकारात्मक पहल करेगी।

यह मुलाकात न केवल गौशालाओं के बेहतर प्रबंधन की दिशा में नए रास्ते खोल सकती है, बल्कि किसानों और ग्रामीण महिलाओं के लिए भी रोजगार और आत्मनिर्भरता का बड़ा माध्यम बन सकती है। सहकारिता आंदोलन को इसमें जोड़ने से गाँवों में नई ऊर्जा और विकास की लहर दौड़ सकती है।

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