
- “बेटियों को सशक्त बनाना केवल सुधार नहीं, राष्ट्र निर्माण है” — डॉ. राजेश्वर सिंह का महिला केंद्रित दृष्टिकोण।
- सरोजनीनगर में 160 तारा शक्ति केंद्र, 78 बालिका क्लब और ₹13.54 करोड़ से बना बालिका डिग्री कॉलेज बना मिसाल।
- 31 बालिका विद्यालयों में डिजिटल पैनल और 30 कॉलेजों में डिजिटल लाइब्रेरी से बेटियों को तकनीकी बढ़त।
- महिलाओं की भागीदारी कोई विशेषाधिकार नहीं, यह भारत की आर्थिक और सामाजिक आवश्यकता है — डॉ. सिंह।
- UN, World Bank और McKinsey के आंकड़ों से डॉ. सिंह ने महिला सशक्तिकरण के 5 ठोस कारण स्पष्ट किए।
लखनऊ, 16 जुलाई 2025 | True News Up : सरोजनीनगर विधानसभा क्षेत्र के विधायक एवं पूर्व वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी डॉ. राजेश्वर सिंह ने एक बार फिर यह स्पष्ट किया है कि भारत को सशक्त राष्ट्र के रूप में आगे ले जाने के लिए महिला सशक्तिकरण को प्राथमिकता देना आवश्यक है। उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक विस्तृत पोस्ट के माध्यम से यह संदेश दिया कि जब तक महिलाएं आत्मनिर्भर नहीं होंगी, तब तक भारत आत्मनिर्भर नहीं बन सकता।
डॉ. सिंह ने लिखा कि महिला सशक्तिकरण केवल एक सामाजिक या राजनीतिक नारा नहीं है, बल्कि यह आर्थिक विकास, सामाजिक स्थायित्व और राष्ट्रीय सुरक्षा से प्रत्यक्ष रूप से जुड़ा हुआ विषय है। उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी समाज की असली प्रगति तभी मानी जाती है जब वहां की महिलाएं हर क्षेत्र में बराबरी के साथ भाग ले रही हों।
महिला सशक्तिकरण पर डॉ. राजेश्वर सिंह के मुख्य बिंदु:
- आर्थिक भागीदारी की अनिवार्यता:
डॉ. सिंह के अनुसार महिलाओं की आर्थिक भागीदारी से देश की जीडीपी में तीव्र वृद्धि संभव है। McKinsey Global Institute की रिपोर्ट के अनुसार, यदि भारत लैंगिक असमानता को समाप्त करता है, तो 2025 तक जीडीपी में लगभग 770 बिलियन डॉलर की वृद्धि हो सकती है। - शिक्षा से सामाजिक परिवर्तन:
उन्होंने कहा कि एक शिक्षित महिला न केवल अपने परिवार को सशक्त बनाती है बल्कि आने वाली पीढ़ी को भी दिशा देती है। UNESCO के आंकड़ों के अनुसार, एक शिक्षित महिला अपने बच्चों की शिक्षा पर पुरुषों की तुलना में अधिक निवेश करती है। - गरीबी उन्मूलन की दिशा में प्रभावी कदम:
डॉ. सिंह ने बताया कि महिलाएं अपनी आय का 90 प्रतिशत हिस्सा अपने परिवार पर खर्च करती हैं, जिससे गरीबी उन्मूलन और सामाजिक स्थायित्व में मदद मिलती है। यह आंकड़ा UN Women India की रिपोर्ट से सामने आया है। - राजनीतिक और सामाजिक नेतृत्व की आवश्यकता:
उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत की संसद और विधानसभाओं में महिलाओं की भागीदारी को और बढ़ाना होगा। वर्तमान में लोकसभा में महिलाओं की भागीदारी मात्र 15 प्रतिशत है। - समाज में सुरक्षा और न्याय की स्थापना:
उन्होंने कहा कि लैंगिक समानता वाले समाजों में अपराध की दर कम होती है और सामाजिक संतुलन अधिक होता है। यदि महिलाएं समाज की मुख्यधारा में आएंगी, तो एक बेहतर और सुरक्षित समाज की नींव रखी जा सकेगी।
सरोजनीनगर में महिला सशक्तिकरण की जमीनी पहलें
डॉ. राजेश्वर सिंह ने केवल सैद्धांतिक बातें नहीं कीं, बल्कि अपने क्षेत्र में महिला सशक्तिकरण को लेकर कई ठोस योजनाएं लागू की हैं। उनके प्रयासों से सरोजनीनगर में महिला सशक्तिकरण को लेकर कई ठोस परिवर्तन देखने को मिले हैं।
- 160 से अधिक ‘तारा शक्ति’ प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना:
इन केंद्रों के माध्यम से महिलाओं को सिलाई-कढ़ाई, कढ़ाई-डिजाइनिंग, बुटीक संचालन और अन्य स्वरोजगार आधारित प्रशिक्षण दिया जा रहा है। अब तक 1,600 से अधिक महिलाओं को मुफ्त सिलाई मशीनें वितरित की जा चुकी हैं। - 78 गांवों में ‘गर्ल्स यूथ क्लब’ की स्थापना:
इन क्लबों के माध्यम से किशोरियों को योग, खेल, नेतृत्व विकास व करियर मार्गदर्शन की सुविधा मिल रही है। - शैक्षिक संस्थानों का सुदृढ़ीकरण:
क्षेत्र के 31 बालिका विद्यालयों में स्मार्ट डिजिटल पैनल लगाए गए हैं और 30 डिग्री कॉलेजों में डिजिटल लाइब्रेरी की स्थापना की गई है। - लतीफनगर बालिका डिग्री कॉलेज का पुनर्निर्माण:
कई वर्षों से अधूरा पड़ा यह कॉलेज अब ₹13.54 करोड़ की लागत से निर्माणाधीन है और जल्द ही संचालित होगा। यह क्षेत्र की बालिकाओं को उच्च शिक्षा के लिए नया अवसर प्रदान करेगा। - सरोजनीनगर स्पोर्ट्स लीग में बालिकाओं की भागीदारी:
इस पहल के तहत बालिकाओं को खो-खो, फुटबॉल, बास्केटबॉल, दौड़, क्रिकेट आदि के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है और प्रतियोगिताएं आयोजित की जा रही हैं।
डॉ. राजेश्वर सिंह की सोच: सेवा, समाधान और सशक्तिकरण
डॉ. सिंह का कहना है कि आज जब देश डिजिटल क्रांति की ओर बढ़ रहा है, तब महिलाओं को तकनीकी रूप से सशक्त बनाना आवश्यक हो गया है। चाहे वह शिक्षा हो, स्वास्थ्य हो, डिजिटल ज्ञान हो या स्वरोजगार—हर क्षेत्र में महिलाओं को समान अवसर देने से ही समाज में संतुलन और प्रगति संभव है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि हर क्षेत्र का जनप्रतिनिधि अपने-अपने क्षेत्र में महिला सशक्तिकरण की दिशा में ठोस प्रयास करे, तो भारत को विश्वगुरु बनने से कोई नहीं रोक सकता।
डॉ. राजेश्वर सिंह की पहलें दिखाती हैं कि यदि राजनीतिक इच्छाशक्ति हो और नीयत साफ हो, तो महिला सशक्तिकरण को जमीनी स्तर पर वास्तविकता में बदला जा सकता है। सरोजनीनगर आज न केवल लखनऊ में बल्कि प्रदेशभर में एक ऐसे मॉडल के रूप में उभर रहा है, जहां बेटियों को पढ़ने, आगे बढ़ने और नेतृत्व करने के समुचित अवसर उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
रिपोर्ट | True News Up | लखनऊ
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