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महाकुम्भ 2025: प्रयागराज के नागवासुकी मंदिर का पौराणिक महत्व

महाकुम्भ 2025: प्रयागराज के नागवासुकी मंदिर का पौराणिक महत्व
  • नागवासुकी मंदिर समुद्र मंथन के बाद नागवासुकी के विश्राम स्थल के रूप में प्रसिद्ध है।
  • त्रिवेणी संगम स्नान और मंदिर दर्शन से भक्तों को पूर्ण फल की प्राप्ति होती है।
  • भोगवती तीर्थ गंगा के तीव्र प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए नागवासुकी ने बनाया था।
  • नागपंचमी पर्व पर यहां दर्शन करने से कालसर्प दोष निवारण होता है।
  • मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयास से मंदिर का जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण हुआ।

प्रयागराज/लखनऊ, 11 दिसम्बर 2024: प्रयागराज में स्थित नागवासुकी मंदिर का सनातन धर्म और पौराणिक कथाओं में विशेष स्थान है। यह मंदिर सर्पराज नागवासुकी को समर्पित है, जो भगवान शिव के कण्ठहार माने जाते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान नागवासुकी को रस्सी के रूप में उपयोग किया गया था। इसके बाद, भगवान विष्णु के निर्देश पर नागवासुकी ने प्रयागराज में विश्राम किया और यहीं स्थायी रूप से स्थापित हो गए। यह मंदिर प्रयागराज के दारागंज मोहल्ले में गंगा नदी के तट पर स्थित है।

समुद्र मंथन और नागवासुकी की कथा

समुद्र मंथन की कथा का उल्लेख स्कंद पुराण, पद्म पुराण, भागवत पुराण और महाभारत जैसे ग्रंथों में मिलता है। इस कथा के अनुसार, देवताओं और असुरों ने सागर मंथन के लिए मंदराचल पर्वत को मथानी और नागवासुकी को रस्सी के रूप में प्रयोग किया। मंथन के दौरान नागवासुकी के शरीर पर चोटें आईं, जिससे उन्हें कष्ट हुआ। त्रिवेणी संगम में स्नान करने के बाद उन्हें इन घावों से मुक्ति मिली।

मान्यता है कि संगम स्नान के बाद नागवासुकी मंदिर के दर्शन करने से भक्तों को पूर्ण फल की प्राप्ति होती है।

भोगवती तीर्थ और नागवासुकी मंदिर का महत्व

एक अन्य कथा के अनुसार, गंगा नदी के पृथ्वी पर अवतरण के समय, उनके तीव्र प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए नागवासुकी ने अपने फन से भोगवती तीर्थ का निर्माण किया। नागवासुकी मंदिर के पुजारी श्याम लाल त्रिपाठी ने बताया कि प्राचीन काल में मंदिर के पश्चिमी भाग में भोगवती तीर्थ नामक कुंड स्थित था, जो अब विलुप्त हो चुका है। मान्यता है कि जब बाढ़ के दौरान गंगा का पानी मंदिर की सीढ़ियों को छूता था, तो यहां स्नान करने से भोगवती तीर्थ के स्नान का पुण्य प्राप्त होता था।

नागपंचमी और कालसर्प दोष निवारण

नागपंचमी पर्व की शुरुआत भी नागवासुकी की कथा से जुड़ी है। मान्यता है कि नागपंचमी के दिन मंदिर में नागवासुकी के दर्शन करने और चांदी के नाग-नागिन का जोड़ा अर्पित करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। सावन मास में और हर महीने की पंचमी तिथि पर इस मंदिर में विशेष पूजा और रुद्राभिषेक का आयोजन किया जाता है।

यह माना जाता है कि यहां पूजा करने से भक्तों के जीवन में आने वाली सभी बाधाएं समाप्त हो जाती हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयास

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से महाकुंभ के दौरान नागवासुकी मंदिर का जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण किया गया। देवोत्थान एकादशी के दिन द्वादश माधवों में से असि माधव को इस मंदिर में पुनः प्रतिष्ठित किया गया। इससे पहले, सांसद मुरली मनोहर जोशी ने भी मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था। यूपी सरकार और पर्यटन विभाग ने मंदिर की ऐतिहासिक और धार्मिक महत्ता को नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए विशेष प्रयास किए हैं।

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