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महाकुम्भ 2025: अक्षय वट पर शीश नवाकर पीएम मोदी ने मांगा जनकल्याण का वरदान

अक्षय वट पर शीश नवाकर पीएम मोदी ने मांगा जनकल्याण का वरदान
  • पीएम मोदी ने अक्षय वट पर पूजा-अर्चना कर महाकुंभ 2025 की सफलता और जनकल्याण की कामना की।
  • अक्षय वट को तीर्थराज प्रयागराज का हृदय स्थल और भगवान वेणी माधव का स्वरूप माना जाता है।
  • प्रधानमंत्री ने अक्षय वट कॉरिडोर परियोजना और श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए किए गए कार्यों का निरीक्षण किया।
  • अक्षय वट की जड़ों में ब्रह्मा, मध्य में विष्णु और अग्रभाग में महेश का निवास माना गया है।
  • पीएम मोदी ने भारत के विश्वगुरु बनने की प्रार्थना करते हुए आस्था का दीप प्रज्वलित किया।

महाकुम्भ मेला/प्रयागराज, 13 दिसम्बर 2024: प्रयागराज के पावन तीर्थ अक्षय वट पर शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूजा-अर्चना कर देश की सुख-शांति और जनकल्याण की कामना की। महाकुंभ 2025 के सफल आयोजन के लिए यजमान के रूप में प्रधानमंत्री ने अक्षय वट के समक्ष संकल्प लिया और दीप अर्पित किया। साथ ही, उन्होंने इस ऐतिहासिक स्थल के चारों ओर परिक्रमा कर विश्व कल्याण की प्रार्थना की। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल भी इस विशेष अवसर पर मौजूद रहीं।

अक्षय वट की आध्यात्मिक महत्ता

अक्षय वट को तीर्थराज प्रयागराज का हृदय स्थल और भगवान वेणी माधव का साक्षात स्वरूप माना जाता है। इसकी मान्यता कल्पवृक्ष के अंश के रूप में है, जो समुद्र मंथन से प्राप्त 14 रत्नों में से एक है। यह स्थल ब्रह्मा, विष्णु और महेश के निवास स्थान के रूप में प्रसिद्ध है। पुराणों में वर्णित है कि यह स्थान सर्व सिद्धि प्रदान करने वाली आध्यात्मिक शक्ति का केंद्र है। यही कारण है कि अक्षय वट को सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण माना गया है।

महाकुंभ 2025 की तैयारियों का निरीक्षण

प्रधानमंत्री मोदी ने अक्षय वट पर पूजा-अर्चना करने के बाद महाकुंभ 2025 के लिए किए जा रहे विकास कार्यों का निरीक्षण किया। उन्होंने अक्षय वट कॉरिडोर परियोजना और यहां आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं को सुगम दर्शन प्रदान करने के प्रयासों की सराहना की। पीएम ने विशेष रूप से इस बात पर ध्यान दिया कि महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालु बिना किसी कठिनाई के अक्षय वट का दर्शन कर सकें।

ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व

अक्षय वट पर शीश नवाकर पीएम मोदी ने मांगा जनकल्याण का वरदान

ऐतिहासिक दृष्टि से अक्षय वट ने मुगल काल और अंग्रेजी शासन के दौरान कई चुनौतियों का सामना किया। इसके बावजूद, यह स्थल सनातन धर्म के ध्वजवाहक के रूप में अपनी पहचान बनाए रखने में सफल रहा। मान्यता है कि प्रभु श्रीराम ने लंका विजय के बाद अयोध्या लौटने से पहले अक्षय वट के दर्शन किए थे। इस पावन स्थल पर श्रीराम, माता सीता और भ्राता लक्ष्मण के विग्रहों का पूजन होता है।

कॉरिडोर विकास और भविष्य की योजनाएं

प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में अक्षय वट कॉरिडोर परियोजना को सुव्यवस्थित तरीके से विकसित किया गया है। इस परियोजना का उद्देश्य श्रद्धालुओं को धार्मिक अनुभव को और भी दिव्य और सहज बनाना है। पीएम ने इस अवसर पर भारत के अक्षय पुण्य की वृद्धि और विश्वगुरु के रूप में देश के उदय की प्रार्थना की।

धार्मिक अनुष्ठान और आस्था का केंद्र

अक्षय वट पर पूजा-अर्चना के दौरान भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के साथ-साथ प्रभु श्रीराम, माता जानकी और लक्ष्मण का पूजन किया गया। पीएम मोदी ने अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हुए यहां आस्था का दीप जलाया। यह पावन स्थल न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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