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भारत के दौरे के बाद वांग यी सीधे काबुल पहुंचे, पाकिस्तान के इशाक डार भी शामिल; तालिबान क्यों सक्रिय हुआ?

चीन के विदेश मंत्री वांग यी अपनी भारत यात्रा खत्म करने के बाद अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पहुंचे, जहां पाकिस्तान के उपप्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार भी मौजूद रहे। वांग ने भारत की संवेदनशीलता को देखते हुए नई दिल्ली के बाद सीधे इस्लामाबाद जाने के बजाय काबुल का रुख किया। वे चीन, पाकिस्तान और अफगानिस्तान की त्रिपक्षीय बैठक में हिस्सा लेने पहुंचे हैं।

अफगानिस्तान की तालिबान सरकार पहली बार चीन और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों की एक साथ मेजबानी कर रही है। इस बैठक में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) को काबुल तक विस्तार देने और आर्थिक सहयोग बढ़ाने पर चर्चा होनी है। भारत भी इस बैठक पर करीबी नजर रखे हुए है।

क्या चाहता है अफगानिस्तान?
तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद यह उनकी अगुवाई में होने वाली पहली उच्च-स्तरीय अंतरराष्ट्रीय बैठक है। इस त्रिपक्षीय सम्मेलन के जरिए तालिबानी सरकार अपनी अंतरराष्ट्रीय वैधता को मजबूत करने की कोशिश कर रही है। अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय के उप प्रवक्ता हाफिज जिया अहमद ने कहा कि बैठक में राजनीतिक, आर्थिक और क्षेत्रीय सहयोग जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी।

CPEC में अफगानिस्तान को जोड़ने का प्रस्ताव
इससे पहले तीनों देशों की बैठक बीजिंग में हुई थी, जहां अफगानिस्तान को CPEC में शामिल करने पर सहमति बनी थी। दरअसल, चीन ने 2017 में पहली बार अफगानिस्तान को इस प्रोजेक्ट से जोड़ने का प्रस्ताव दिया था। इस योजना के तहत पेशावर से काबुल तक एक मोटर-वे बनाने की योजना है, जिस पर तालिबान सरकार ने भी सहमति जताई है।

भारत की चिंता क्यों बढ़ी?
भारत शुरू से ही CPEC का विरोध करता आया है क्योंकि यह कॉरिडोर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) से होकर गुजरता है, जिसे भारत अपनी संप्रभुता का उल्लंघन मानता है। अब अफगानिस्तान के इस प्रोजेक्ट में शामिल होने से पाकिस्तान PoK पर अपना दावा और मजबूत कर सकता है, जो भारत के लिए गंभीर चिंता का विषय है।

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