HomeDaily Newsभारतीय न्याय संहिता एक नए दौर की शुरूआत है – डॉ०राजेश्वर सिंह

भारतीय न्याय संहिता एक नए दौर की शुरूआत है – डॉ०राजेश्वर सिंह

  • डॉ.राजेश्वर सिंह ने बताईं बीएनएस की​ विशेषताएं, कहा- महिला सुरक्षा कानून एक मील का पत्थर है
  • बीएनएस में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करना, पीएम मोदी की संवेदनशीलता और प्रतिबद्धता को दर्शाता है– डॉ राजेश्वर सिंह

लखनऊ : सरोजनीनगर के बीजेपी विधायक डॉ राजेश्वर सिंह महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों को लेकर हमेशा ही मुखर रहे हैं। उन्होने अनेक मंचों से इन अपराधों के रोकथाम के लिए कड़े कानूनी प्रावधान बनाने की बात कही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा लाई गई भारतीय न्याय संहिता की सराहना करते हुए उन्होने एक्स पर अपने विचार रखे।

डॉ०सिंह ने सरकार द्वारा लाई गई भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की एक महत्वपूर्ण अधिनियम के रूप में सराहना करते हुए इसे महिला सुरक्षा कानून में मील का पत्थर बताया। जिसका उद्देश्य महिला सुरक्षा और कानूनी संरक्षण को बढ़ावा देना है। 1 जुलाई 2024 से लागू होने के लिए अधिसूचित इस कानून में देश भर में महिलाओं के अधिकारों और सम्मान की सुरक्षा के उद्देश्य से महत्वपूर्ण प्रावधान शामिल है। उन्होंने बीएनएस के चैप्टर V को रेखांकित करते हुए कहा कि महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध में यह अध्याय अपराधों को संबोधित करने के सर्वोपरि महत्व पर जोर देता है। बीएनएस में शामिल सेक्शन 69 यानी “धोखे से यौन संबंध बनाना” का उल्लेख करते हुए डॉ सिंह ने कहा कि ये धारा लव जिहाद जैसी प्रथाओं को रोकने के उद्देश्य से धोखा देकर या शादी के झूठे वादों के माध्यम से किसी महिला के साथ यौन संबंध बनाने वाले व्यक्तियों के लिए 10 साल तक की कैद की सजा का प्रावधान करता है।

सेक्शन 70 यानी “नाबालिग के साथ गैंगरेप” के बारे में डॉ सिंह ने बताया कि बीएनएस 18 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं के खिलाफ सामूहिक बलात्कार के अपराधियों के लिए आजीवन कारावास या मौत की कड़ी सजा सुनिश्चित करता है, जिससे पीड़ित की उम्र के आधार पर सजा में पिछली असमानता समाप्त हो जाती है। इसी तरह सेक्शन 95 यानी “ अपराधों में बाल संलिप्तता की रोकथाम” की इस धारा का उद्देश्य यौन शोषण या अश्लील साहित्य सहित किसी भी आपराधिक गतिविधि में बच्चों की भागीदारी को रोकना है।

डॉ सिंह ने यह भी बताया कि बीएनएस महिलाओं और बच्चों के सुरक्षा के दायरे को विस्तार देता है। महिला पर हमला करने या उसे निर्वस्त्र करने के इरादे से आपराधिक बल के प्रयोग और ताक-झांक के अपराधों में “एक आदमी” के स्थान पर “जो भी” शब्द का प्रतिस्थापन, अपराधी के लिंग की परवाह किए बिना ऐसे अपराधों से सुरक्षा के दायरे का विस्तार करता है। डॉ०राजेश्वर सिंह ने बीएनएस की एक प्रगतिशील कानून के रूप में सराहना की। राजेश्वर सिंह ने कहा कि बीएनएस पूरे देश में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। भारतीय न्याय संहिता 2023, को न्याय बनाए रखने और अपने नागरिकों, विशेषकर महिलाओं और बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए देश में चल रहे प्रयासों के प्रमाण के रूप में देखना चाहिए।

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