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भविष्य की शिक्षा होगी AI आधारित : सरोजिनी नगर विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंपा “AI संचालित शिक्षा नीति 2050” का प्रस्ताव

  • डॉ. राजेश्वर सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को “AI संचालित शिक्षा नीति 2050” का प्रस्ताव सौंपा।
  • प्रस्ताव में उत्तर प्रदेश को शिक्षा नवाचार और वैश्विक ज्ञान केंद्र बनाने की परिकल्पना की गई।
  • 2030 तक एक लाख AI-सक्षम स्मार्ट स्कूल स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है।
  • हर छात्र को डिजिटल उपकरण और इंटरनेट सुविधा देकर शिक्षा में समानता सुनिश्चित की जाएगी।
  • “फ्यूचर लर्निंग मिशन 2050” के जरिए यूपी को भारत की शिक्षा क्रांति का अग्रदूत बनाने की योजना है।

लखनऊ, True News UP: उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को भविष्य की चुनौतियों के अनुरूप तैयार करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए सरोजनीनगर के विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने सोमवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को “AI आधारित व्यक्तिगत शिक्षा नीति 2050 (Future Learning Vision Policy)” का प्रस्ताव सौंपा। इस नीति का उद्देश्य उत्तर प्रदेश को न केवल शिक्षा नवाचार की राजधानी बनाना है, बल्कि उसे एक ऐसे वैश्विक ज्ञान केंद्र के रूप में स्थापित करना है जो आने वाली पीढ़ियों के लिए दिशा तय करे।

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शिक्षा का नया अध्याय – पाठ्यपुस्तकों से टेक्नोलॉजी और क्लाउडरूम तक

डॉ. राजेश्वर सिंह ने प्रस्ताव प्रस्तुत करते हुए कहा कि किसी भी राज्य की सबसे बड़ी पूंजी उसकी शिक्षा है। जब पूरी दुनिया कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) की ओर अग्रसर हो रही है, तब उत्तर प्रदेश को भी शिक्षा के भविष्य की दिशा में निर्णायक कदम उठाने की आवश्यकता है। उन्होंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय के विद्वान हावर्ड गार्डनर के विचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि वर्ष 2050 तक पारंपरिक कक्षाओं की जगह AI-संचालित, जिज्ञासा-आधारित और परियोजना-केंद्रित शिक्षा प्रणाली लेगी, जिसमें विद्यार्थी केवल जानकारी प्राप्त नहीं करेंगे, बल्कि सृजन और नवाचार के केंद्र में होंगे।

डॉ. सिंह के अनुसार, आने वाले वर्षों में शिक्षा का परिदृश्य पूरी तरह बदल जाएगा। अब बच्चे पुस्तकों तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि वे क्लाउडरूम्स, इंटरएक्टिव प्लेटफॉर्म और वर्चुअल लैब्स के माध्यम से अपनी सीखने की प्रक्रिया को नया आयाम देंगे। शिक्षा अब विषयों का बोझ नहीं रहेगी, बल्कि अनुभव का विस्तार बनेगी।

शिक्षकों की भूमिका में परिवर्तन – अध्यापन से मार्गदर्शन तक की यात्रा

इस नीति का सबसे बड़ा आधार शिक्षकों की भूमिका में मूलभूत परिवर्तन है। डॉ. राजेश्वर सिंह ने स्पष्ट किया कि भविष्य की शिक्षा में शिक्षक अब केवल पढ़ाने वाले नहीं होंगे, बल्कि ‘लर्निंग मेंटर’, यानी सीखने की प्रक्रिया में मार्गदर्शक की भूमिका निभाएंगे। वे विद्यार्थियों की जिज्ञासा को दिशा देंगे, उन्हें परियोजना-आधारित शिक्षा के माध्यम से वास्तविक समस्याओं के समाधान सिखाएंगे और नवाचार के प्रति प्रेरित करेंगे।

AI-सक्षम उपकरणों के माध्यम से शिक्षक हर छात्र की सीखने की गति, उसकी रुचियों और कमजोरियों का विश्लेषण कर सकेंगे। इस तरह शिक्षा प्रणाली ‘एक जैसा सबके लिए’ नहीं, बल्कि ‘हर बच्चे के लिए विशेष’ बन सकेगी। यह परिवर्तन अध्यापन को मानवीय संवेदना और तकनीकी दक्षता दोनों से जोड़ता है।

डिजिटल समानता की क्रांति – हर बच्चे तक पहुंचे शिक्षा का अवसर

डॉ. राजेश्वर सिंह के प्रस्ताव में डिजिटल इक्विटी को एक सामाजिक न्याय की अवधारणा के रूप में रखा गया है। उनका कहना है कि शिक्षा तभी सार्थक होगी जब वह हर बच्चे तक समान रूप से पहुंचे। इसी उद्देश्य से उन्होंने ₹10,000 करोड़ का डिजिटल इक्विटी फंड स्थापित करने का सुझाव दिया है, जिसके अंतर्गत हर विद्यार्थी को टैबलेट, इंटरनेट और विश्वसनीय बिजली की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।

वर्ष 2030 तक एक लाख AI-सक्षम स्मार्ट स्कूलों की स्थापना का लक्ष्य रखा गया है। यह न केवल शिक्षण पद्धति में बदलाव लाएगा, बल्कि ग्रामीण और शहरी शिक्षा के बीच की गहराई को भी खत्म करेगा। उत्तर प्रदेश के किसी भी गांव का बच्चा अब शिक्षा के अवसरों में लखनऊ या नोएडा के छात्र से पीछे नहीं रहेगा।

मूल्यांकन प्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव – अब रटना नहीं, समझना और सृजन करना होगा आधार

डॉ. सिंह के अनुसार, वर्तमान परीक्षा प्रणाली छात्रों को केवल अंकों तक सीमित करती है, जबकि भविष्य की शिक्षा को रचनात्मकता और समस्या-समाधान क्षमता को प्रोत्साहित करना चाहिए। नई नीति में मूल्यांकन की प्रक्रिया को AI आधारित निरंतर मूल्यांकन प्रणाली से जोड़ा जाएगा।

अब छात्रों का आकलन केवल याददाश्त पर नहीं, बल्कि उनकी सोचने की क्षमता, नवाचार के स्तर और वास्तविक जीवन की चुनौतियों को हल करने की योग्यता पर किया जाएगा। इसके लिए अर्ली इंटरवेंशन एनालिटिक्स का उपयोग होगा, जिससे कमजोर छात्रों की पहचान समय रहते की जा सकेगी और उन्हें विशेष सहायता प्रदान की जा सकेगी। यह शिक्षा को न केवल अधिक न्यायसंगत बनाएगा, बल्कि विद्यार्थियों की आत्मविश्वास वृद्धि में भी सहायक होगा।

शिक्षक सशक्तिकरण – दस लाख अध्यापकों को AI साक्षर बनाने का संकल्प

शिक्षा सुधार का मूल स्तंभ शिक्षक हैं। डॉ. राजेश्वर सिंह ने प्रस्ताव में एक महत्वाकांक्षी योजना शामिल की है, AI टीचर ट्रेनिंग मिशन, जिसके तहत उत्तर प्रदेश के 10 लाख शिक्षकों को भविष्य की शिक्षा प्रणाली के अनुरूप प्रशिक्षित किया जाएगा।

इन शिक्षकों को डिजिटल अकादमियों, ऑनलाइन सिमुलेशन और क्षेत्रीय शिक्षण केंद्रों के माध्यम से प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह प्रशिक्षण उन्हें न केवल AI उपकरणों का उपयोग सिखाएगा, बल्कि यह भी बताएगा कि तकनीक को मानवीय मूल्यों के साथ कैसे जोड़ा जाए। जो शिक्षक AI-संयुक्त शिक्षण पद्धति को अपनाएंगे, उन्हें राज्य सरकार की ओर से विशेष मान्यता और प्रोत्साहन भी दिया जाएगा।

हर भाषा में शिक्षा – तकनीक से मिटेगी भाषाई बाधा

उत्तर प्रदेश जैसे विविध भाषाओं वाले राज्य में भाषा अक्सर शिक्षा की राह में बाधा बनती है। डॉ. राजेश्वर सिंह ने अपने प्रस्ताव में इस समस्या के समाधान के लिए एक अद्भुत दृष्टि प्रस्तुत की है। उन्होंने सुझाव दिया कि AI अनुवाद उपकरणों की मदद से शिक्षण सामग्री को सभी प्रमुख भारतीय और क्षेत्रीय भाषाओं में तैयार किया जाए।

इसके माध्यम से ग्रामीण, जनजातीय और अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों को भी समान अवसर मिलेंगे। हिंदी, भोजपुरी, अवधी, बुंदेलखंडी, उर्दू और अन्य स्थानीय भाषाओं में AI आधारित डिजिटल पुस्तकालयों और इंटरएक्टिव कंटेंट का निर्माण किया जाएगा। इससे भाषा अब शिक्षा की दीवार नहीं, बल्कि उसका पुल बनेगी।

AI नैतिकता और डेटा गोपनीयता – जिम्मेदार तकनीक की ओर कदम

डॉ. राजेश्वर सिंह के प्रस्ताव में यह भी सुनिश्चित किया गया है कि शिक्षा में तकनीक का उपयोग बिना जिम्मेदारी के नहीं होगा। उन्होंने “AI in Education Regulatory Board” की स्थापना का सुझाव दिया है, जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता के प्रयोग में नैतिकता और पारदर्शिता बनाए रखेगा।

यह बोर्ड विद्यार्थियों के डेटा की सुरक्षा, गोपनीयता और एल्गोरिदमिक निष्पक्षता के मानक तय करेगा, ताकि किसी भी छात्र के साथ डिजिटल असमानता या भेदभाव न हो। यह पहल उत्तर प्रदेश को शिक्षा के साथ-साथ तकनीकी नैतिकता में भी अग्रणी बनाएगी।

‘फ्यूचर लर्निंग मिशन 2050’ – उत्तर प्रदेश का बड़ा कदम

इस प्रस्ताव का केंद्रीय उद्देश्य “उत्तर प्रदेश फ्यूचर लर्निंग मिशन 2050” की स्थापना है। यह मिशन राज्य की शिक्षा प्रणाली में AI, IoT और वर्चुअल रियलिटी आधारित शिक्षण उपकरणों को सम्मिलित करेगा।

सरकारी और निजी दोनों स्कूलों में एक समान नवाचार-आधारित शिक्षा व्यवस्था लागू की जाएगी। इसके साथ ही वैश्विक विश्वविद्यालयों और एडटेक कंपनियों के साथ साझेदारी कर ज्ञान और तकनीक का आदान-प्रदान सुनिश्चित किया जाएगा। लखनऊ-कानपुर क्षेत्र को AI शिक्षा और नवाचार कॉरिडोर के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव भी रखा गया है। इस क्षेत्र में AI अनुसंधान प्रयोगशालाएं, शिक्षक अकादमियां और स्मार्ट विश्वविद्यालय परिसरों का निर्माण होगा, जिन्हें उत्तर प्रदेश के डिफेंस कॉरिडोर और AI सिटी प्रोजेक्ट्स से जोड़ा जाएगा।

ज्ञान, समानता और नवाचार – उत्तर प्रदेश की नई पहचान

इस नीति के संभावित लाभों पर डॉ. सिंह ने कहा कि यह पहल उत्तर प्रदेश को भारत की AI शिक्षा राजधानी बनने की दिशा में ले जाएगी। राज्य में रचनात्मकता, नवाचार और आलोचनात्मक सोच को नई ऊँचाइयाँ मिलेंगी। ग्रामीण और शहरी शिक्षा के बीच की खाई समाप्त होगी और युवाओं को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने का अवसर मिलेगा।

उन्होंने जोर देकर कहा कि यह नीति किसी राजनीतिक सोच से प्रेरित नहीं, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों के ज्ञान, समानता और सशक्तिकरण में निवेश का संकल्प है। यह वह मार्ग है, जो उत्तर प्रदेश को भारत की शिक्षा क्रांति का अग्रदूत बना सकता है।

भविष्य की कक्षा होगी डिजिटल

अपने प्रस्ताव के अंत में डॉ. राजेश्वर सिंह ने कहा, “उत्तर प्रदेश को भारत की शिक्षा क्रांति का नेतृत्व करना चाहिए, पीछे नहीं चलना चाहिए। भविष्य की कक्षा डिजिटल, गतिशील और समावेशी होगी – यही हमारे बच्चों का भविष्य और हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।”

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